Alwar News: वीरेंद्र सिंह राजपूत ने 2021 में श्रीनगर में हुए आतंकवादी हमले के दौरान लश्कर-ए-तैयबा के तीन उग्रवादियों को मार गिराया था. यह कार्रवाई उनकी शौर्य और पराक्रम की अद्वितीय मिसाल थी. उनकी इस वीरता और अदम्य साहस के लिए राष्ट्रपति पुलिस वीरता पदक से सम्मानित किया जाएगा.
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Rajasthan News: रविवार 26 जनवरी को अलवर आए सीआरपीएफ के असिस्टेंट कमांडेंट साजिल कुमार 83 (RAF) सीआरपीएफ ने बताया कि वीरेंद्र सिंह राजपूत पुत्र भगवान सिंह राजपूत ने वर्ष 2021 में पंखा चौक श्रीनगर में हुए आतंकवादी हमले में लश्करे ए तैयबा के तीन उग्रवादियों को मार गिराया था. इस शौर्य पराक्रम अदम्य साहस के लिए भारत की महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा इन्हें राष्ट्रपति पुलिस वीरता पदक से नवाजने का ऐलान किया गया है.
वीरेंद्र सिंह राजपूत सीआरपीएफ के वैली QAT में वर्ष 2020 से 2024 तक तैनात रहे. इस दौरान सीआरपीएफ द्वारा आतंकवादियों के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन में अहम भूमिका निभाई थी.सीआरपीएफ के असिस्टेंट कमांडेंट साजिल कुमार ने बताया कि भारत सरकार और डीजी सीआरपीएफ की तरफ से इन्हें प्रशंसा पत्र भेजा है. जो इनको अलवर के घर पर देने आए हैं. सेरेमनी के दौरान इनको सम्मानित किया जाएगा. हम 6 लोग इनको सम्मानित करने के लिए इनके घर 83 RAF जयपुर से आए हे. जब भी सेरेमनी होगी. इनको उस दरमियां बताया जाएगा या 19 मार्च को होने वाली एनिवर्सरी परेड में या फिर डायरेक्टरेट के द्वारा बता दिया जाएगा. जम्मू और कश्मीर में आतंकवादियों को ढेर करने के अदम्य साहस और वीरता के लिए राष्ट्रपति पुलिस वीरता पदक दिया जाएगा. वीरेंद्र कुमार डिफेंस कॉलोनी बनर्जी का बाग में रहते हैं.
पुलिस वीरता पदक विजेता वीरेंद्र कुमार ने बताया कि वह श्रीनगर 35 बटालियन से वैली QET में अटैचमेंट पर तैनात था. वैली क्यूटी श्रीनगर और तीन डिस्ट्रिक्टों में शांति व्यवस्था की जिम्मेदारी निभाती है. मैं उस वक्त वहां तैनात था. 30 से 31 दिसंबर 2021 में पंखा चौक श्रीनगर में रात करीब 1:00 बजे हमला हुआ. लश्करे तैयबा के तीन आतंकवादियों में से एक उग्रवादी को मैंने मार गिराया. इसी उपलक्ष्य में मुझे भारत सरकार और राष्ट्रपति पुलिस वीरता पदक से सम्मानित किया जा रहा है.
वीरेंद्र कुमार ने हमले की दास्तान सुनाते हुए कहा 10 मीटर की दूरी पर तीन उग्रवादी मौजूद थे. हमारी टीम भी मौजूद थी. वहीं एक उग्रवादी गली में निशाना सादे बैठा हुआ था. जैसे ही मैंने अंदर जाने की कोशिश की तब तक ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू हो गई. मैं जिस वाहन में मौजूद था. वह गाड़ी मैंने उग्रवादी के ऊपर चढ़ा दी. दो उग्रवादी जो अपने साथी को बचाने आए थे. उनको भी न्यूट्रलाइज किया. मेरे वाहन के ऊपर लगातार फायरिंग हुई. सारे AP राउंड थे. तीनों ही उग्रवादी फॉरेन टेररिस्ट थे. जिनमें एक अफगानी और दो मुल्तान के थे. जब गोलीबारी हो रही थी तब केवल 10 मी का फासला था. उस दौरान में असिस्टेंट कमांडेंट और तीन अन्य साथी मौजूद थे. फाइनल ब्रीफिंग के दौरान मुझे 10 जनवरी को पता लगा कि मुझे सम्मानित किया जा रहा है. मैं बेहद खुश हूं परिवार और दोस्तों का शुक्रिया अदा करता हूं.
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