Bharatpur Murga Mela : दुनिया चाहे कितनी भी आगे क्यों ना बढ़ जाए. लेकिन अंधविश्वास की जड़े इतनी गहरी होती हैं. कि इन्हे उखाड़ फेंकने में बहुत समय लगता है और इसी का फायदा उठाकर कुछ लोग चांदी कूटते हैं और भोले भाले लोगों की गाढ़ी कमाई को हजम कर जाते हैं. बात राजस्थान (Rajasthan News)के भरतपुर (Bharatpur Murga Mela)की जहां मुर्गा डॉक्टर बना है.
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Bharatpur Murga Mela : राजस्थान के भरतपुर में हर साल एक मेला लगता है. जहां मुर्गा डॉक्टर भी होता है और ओझा भी. ये मेला हर साल जून महीने में हर सोमवार को लगता है. मेले में आने वाले लोगों इसे चमत्कार मानते हैं. तो कुछ महज इस अधंविश्वास के खेल को देखने पहुंचते हैं.
वो कहते हैं ना...दुनिया चाहे कितनी भी आगे क्यों ना बढ़ जाए. लेकिन अंधविश्वास की जड़े इतनी गहरी होती हैं. कि इन्हे उखाड़ फेंकने में बहुत समय लगता है और इसी का फायदा उठाकर कुछ लोग चांदी कूटते हैं और भोले भाले लोगों की गाढ़ी कमाई को हजम कर जाते हैं. बात राजस्थान के भरतपुर की जहां मुर्गा डॉक्टर बना है.
इस मेले को कुआं वाला मेला कहा जाता है. जहां मुर्गों का दरबार है मेले में बच्चों का मुंडन होता है और नजरदोष का इलाज भी होता है. पहले बच्चों का मुंडन होता है और फिर एक मुर्गे को बच्चे के सिर से घुमाकर उसका आशीर्वाद दिलाया जाता है.
मुर्गा दरअसल झाड़ फूंक कर रहा होता है, जो खरीदा भी बच्चे के मां बाप की तरफ से जाता है. जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय के पास लगने वाले इस मेले में सैकड़ों लोग अपने छोटे बच्चों के साथ पहुंचते हैं. मुर्गे और मेले में विश्वास रखने वाले पहले मुर्गो खरीदते हैं और फिर ये क्रिया होती है.
यानि की मुर्गा बेचने वाले इस एक महीने जमकर चांदी कूटते हैं. जितना बड़ा मुर्गा नजर भी उतनी ही उतरेगी और खर्च भी उतना ही होगा. मेले आने वाले लोग इसे कुआं वाली जात के नाम से पुकारते हैं. यहां आने वाले लोग अपने बच्चों को बुरी नजर से बचाने के लिए मुर्गे से आशीर्वाद लेते हैं.
कुल मिलाकर जिस मुर्गे को ये भी नहीं पता कि अगले ही पल वो किसकी प्लेट में सजा मिलेगा. वो मुर्गा आपके बच्चे के लिए आशीर्वाद देगा. वाह बच्चों की बीमारी या फिर किसी भी तरह की तकलीफ के लिए अपनी गाढ़ी कमाई को यू ना फूंके बल्कि डॉक्टर के पास जाएं.