mp news-खंडवा में पुलिस ने महाराष्ट्र के बुलढावा जिले के रहने वाले युवक पर दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की है. पीड़िता के बच्चे को जन्म देने के बाद बाल विवाह का खुलासा हुआ.
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madhya pradesh news-मध्यप्रदेश के खंडवा से बाल विवाह का हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां पुलिस ने महिला के पति पर रेप केस दर्ज किया है. दरअसल, खंडवा के हरसूद की रहने वाली पीड़िता ने 21 जनवरी को बुलढाणा के जिला अस्पताल में बच्चे को जन्म दिया था. उसके आधार कार्ड में उसकी उम्र महज 16 साल पाई गई. जब पुलिस ने पूछताछ की तो बाल विवाह होने की बात सामने आई.
पुलिस ने महाराष्ट्र के बुलढाणा के रहने वाले युवक पर दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट में एफआईआर दर्ज की है. पीड़िता युवकी की पत्नी है.
क्या है मामला
हरसूद थाना टीआई राजकुमार राठौर ने बताया कि प्रकरण में महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले की नांदुरा पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की थी. पीड़िता का मायका हरसूद के डोटखेड़ा गांव में है, इस वजह से केस नांदुरा पुलिस ने हैंडओवर किया है. केस की डायरी खंडवा एसपी कार्यालय भेजी है. केस डायरी के आधार पर एफआईआर दर्ज की गई है. पीड़िता के बयान के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी. वहीं पीड़िता की असल उम्र पता लगाने के लिए डॉक्टरों ने बोन ऑसिफिकेशन कराया है. यह मेडिकल सर्टिफिकेट भी केस डायरी में लगाया गया है.
अस्पताल में हुआ खुलसा
बुलढाणा में जिला अस्पताल में कागजी कार्रवाई के दौरान अस्पताल प्रबंधन ने पाया की प्रसूता नाबालिग है. इसकी सूचना पुलिस को दी गई. इसके बाद कोतवाली पुलिस ने जोरी कायमी कर प्रकरण नांदुरा पुलिस को भेज दिया. नांदुरा थाना टीआई जगदीश बंगार ने बताया कि पीड़िता की दस्तावेज में उम्र के आधार पर कह सकते हैं कि उसकी बाल विवाह हुआ है. आदिवासी कोरकू समाज में अभी भी बाल विवाह होता है.
पहले भी हो चुकी है डिलीवरी
शुरुआती जांच में महाराष्ट्र पुलिस ने पाया कि पीड़िता ने दूसरी बार संतान को जन्म दिया है. इससे पहले 2022 में उसकी पहली डिलीवरी हो चुकी है. यानी पीड़िता और आरोपी पति का एक ढाई साल का बेटा है. पुलिस के अनुसार, पीड़िता की की पहली डिलीवरी मध्यप्रदेश के राजपुर में हुई थी. उस दौरान पीड़िता की उम्र 20 साल बताई गई थी. ताजा घटनाक्रम के अनुसार कार्रवाई की गई है.
स्कूल ही नहीं गई पीड़िता
टीआई जगदीश बंगार ने बताया कि पीड़िता की पहली और दूसीर डिलीवरी के दस्तावेज में उम्र का फर्क पाया गया. आधार कार्ड में जन्म वर्ष 2008 का होने से उम्र 16 साल पाई गई. जांच के दौरान पीड़िता के स्कूल और जन्म प्रमाण-पत्र संबंधी दस्तावेज मांगे गए. परिजनों ने बताया कि वो कभी स्कूल ही नहीं गई. जन्म प्रमाण-पत्र तो उन्होंने बनवाया ही नहीं. उम्र के दस्तावेज का आधार सिर्फ आधार कार्ड था. जिसके बाद पीड़िता का बोन ऑसिफिकेशन कराया गया. इस टेस्ट में पीड़िता की उम्र का आंकलन 20 से 21 साल बताया है.
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