mp news-बालाघाट जिला अस्पताल में एक आदिवासी महिला ने 40 साल की उम्र में अपने दसबें बच्चे को जन्म दिया है. महिला के 8 बच्चे अभी जीवित हैं, महिला अपने पति के साथ नसबंदी के लिए अस्पताल भी गई थी, लेकिन इसके लिए उन्हें मना कर दिया गया.
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madhya pradesh news-देशभर में सरकार जनसंख्या नियंत्रण को लेकर जागरूकता अभियान चला रही है. अलग-अलग अभियानों के माध्यम से लोगों को शिक्षित और जागरुक कर जनसंख्या नियंत्रण करने की सीख दी जाती है. लेकिन मध्यप्रदेश के बालाघाट से ऐसा मामला सामने आया है, जो इन जागरूकता अभियानों को ठेंगा दिखाता है. यहां जिला अस्पताल में 21 जनवरी को एक आदिवासी महिला ने 10वें बच्चे को जन्म दिया है.
महिला के पति ने बताया कि यह महिला की दसवीं संतान है, जिनमें से 8 अभी जीवित हैं.
40 साल की उम्र है
बालाघाट जिले में एक बैगा आदिवासी महिला ने 40 साल की उम्र में दसवें बच्चे को जन्म दिया है. परसवाड़ा क्षेत्र के बघोली गांव की इस महिला की डिलीवरी सीजेरियन ऑपरेशन से हुई है. महिला के अब तक 10 बच्चों में से 8 जीवित हैं, जिनमें चार बेटे और चार बेटियां शामिल हैं. मजदूरी करने वाले पति दसरू ने बताया कि परिवार के पालन-पोषण में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.
परिवार के सामने आर्थिक चुनौती
दसरू ने बताया कि उनके गांव में बैगा समुदाय के मात्र चार परिवार रहते हैं. परिवार नियोजन की चाह रखने के बावजूद नियमों के कारण वे इसे करवा नहीं पा रहे हैं, जिससे परिवार आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों का सामना कर रहा है. वह परिवार नियोजन चाहते हैं, लेकिन बैगा समुदाय की आबादी के कारण नसबंदी की अनुमति नहीं मिल रही है.
नसबंदी को लेकर प्रावधान
दरअसल, बैगा जनजाति की आबादी में लगातार आ रही कमी को लेकर सरकार चिंता में थी. ऐसे में मध्यप्रदेश में 1979 में बैगा जनजाति के लोगों के नसबंदी न करने को लेकर कानून बना दिया गया था. हालांकि, बाद में हाईकोर्ट ने इसे निरस्त कर दिया था. जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. निलय जैन के अनुसार, बैगा समुदाय में पुरुष या महिला के नसबंदी को लेकर प्रशासन से इजाजत लेनी होती है. वहीं, इसमें कई तरह की कानूनी प्रावधानों को ध्यान में रखना होता है.
कलेक्टर से लेनी होगी अनुमति
सीएचएमओ डॉ. मनोज पांडेय बताते है कि बैगा और विशेष समुदाय की महिलाओं की भी नसबंदी की जाती है. इसमें सबसे पहले नसबंदी करवाने के लिए कलेक्टर को आवेदन करना होता है. कलेक्टर, एसडीएम को ऐसे मामले को डील करने के लिए अधिकार दिए हैं. जो बैगा महिलाओं के नसबंदी के विषय को देखते हैं और यदि यह महिला भी स्वेच्छा से नसबंदी करवाना चाहती है तो इनकी भी नसबंदी की जा सकती है.
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