Kasrawad Election Result: कसरावद में फिर बाजी मार गए सचिन यादव, BJP की हुई बड़ी हार
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Kasrawad Election Result: कसरावद में फिर बाजी मार गए सचिन यादव, BJP की हुई बड़ी हार

Kasrawad Chunav Result 2023: खरगोन जिले की कसरावद विधानसभा सीट जिले की वीआईपी सीट मानी जाती है. यहां से कांग्रेस के दिग्गज प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे. और जीत भी गए हैं.

कसरावद विधानसभा सीट

Kasrawad Chunav Result 2023: मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में आने वाली कसरावद विधानसभा सीट सूबे की हॉट सीट मानी जाती है. क्योंकि यहां से सूबे के दिग्गज कांग्रेस नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुभाष यादव चुनाव जीतते रहे हैं. उनके बेटे सचिन यादव यहां से पिछले दो चुनाव जीत चुके थे, और तीसरी जीत भी हासिल हो गई है. सचिन ने 2008 में जीते आत्माराम पटेल को 5676 वोटों के अंतर से हराया है.

पिता विरासत संभाल रहे सचिन 

सचिन यादव इस सीट पर पिता की विरासत संभाल रहे हैं, 2013 में वह पहली बार चुनाव जीते थे. इसके बाद 2018 में भी उन्होंने जीत हासिल की थी. जिसके बाद उन्हें कमलनाथ सरकार में मंत्री भी बनाया गया था. सचिन के बड़े भाई अरुण यादव पूर्व केंद्रीय मंत्री और पीसीसी चीफ रह चुके हैं. दोनों भाइयों ने इस बार भी सीट पर मेहनत की है. 

वहीं बात अगर बीजेपी प्रत्याशी आत्माराम पटेल की जाए तो उनके लिए राह आसान नहीं है. लेकिन वह 2008 में इसी सीट से सुभाष यादव जैसे दिग्गज नेता को हरा चुके हैं. ऐसे में इस बार आत्माराम पटेल ने भी पूरा जोर लगाया है. 

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2018 में ऐसा रहा था कसरावद का परिणाम 

2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सचिन यादव ने बीजेपी के आत्माराम पटेल को बड़े अंतर से हराया था. सचिन यादव को यहां से 79,685 वोट मिले थे, जबकि बीजेपी के आत्मराम पटेल को 67,880 वोट मिले थे. सचिन ने ये चुनाव 5,539 वोटों से जीत लिया था.

चुनाव का लेखा जोखा 

मध्य प्रदेश की सभी 230 विधानसभा सीटों पर 17 नवंबर को वोटिंग हो चुकी है. प्रदेश में पहली बार रिकॉर्ड तोड़ 77.69 फीसदी लोगों ने मतदान किया. मतदान देखकर साफ हो गया है कि इस बार जनता ने बढ़ चढ़कर चुनाव में हिस्सा लिया है. चुनाव परिणाम 3 दिसंबर को आएंगे. बात करें एमपी के राजनीति की तो यहां दो प्रमुख दल हैं भाजपा व कांग्रेस. कुछ सीटों पर बहुजन समाज पार्टी भी असरदार है. पूरे प्रदेश में जाति और आदिवासी फैक्टर भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. राज्य की 47 सीट आदिवासी आरक्षित हैं, जिसमें से 2018 में कांग्रेस ने 30 सीट अपने नाम की थी.  

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