Usman Khanyar Encounter: हाल में घाटी में एक बड़े एनकाउंटर में लश्कर के बड़े आतंकी को ठिकाने लगा दिया. रात में किए गए ऑपरेशन में तीन फेज में जवानों ने लश्कर कमांडर उस्मान को घेरा और उसे बाहर निकलने का मौका मिला तो सीधे कमांडोज के निशान पर आ गया. ड्रोन की मदद से कैसे कुत्तों को भौंकने से रोका गया. पढ़िए पूरी कहानी.
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24 साल से कश्मीर में लश्कर-ए-तैयबा की कमान संभालने वाले आतंकी कमांडर उस्मान को ढेर करने का ऑपरेशन इतना आसान नहीं था. सुरक्षाबलों ने इसके लिए बाकायदे संयुक्त रूप से पुलिस मुख्यालय पर आधी रात तक बैठक की थी. घनी आबादी वाला इलाका होने और रात की ख़ामोशी को ध्यान में रखते हुए तीन चरणों में योजना बनाई गई. चुनौती एक नहीं कई थी. आसपास बसे लोग, तंग गलियां और गलियों में घूमते आवारा कुत्ते. जरा सी आहट पर आतंकी उस्मान को चुंगल से बच निकलने का मौका मिल जाता.
एक नवंबर को शाम के करीब सात बजे थे. जम्मू कश्मीर पुलिस को ह्यूमन हिंट मिला कि आतंकी उस्मान आज रात श्रीनगर के खनीयर के मीर मोहल्ला के एक घर में रुकने वाला है. खबर की पुष्टि होते ही उस्मान के मीर मोहल्ला पहुंचने से पहले ही जम्मू कश्मीर पुलिस, सीआरपीएफ, पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप, सीआरपीएफ के कमांडो के अधिकारियों ने आपस में मिलकर एक उच्चस्तरीय बैठक की. 10 लोगों की तीन टीमें बनाई गईं जो ऑपरेशन को फ्रंट से लीड करते.
फेज-1, रात @11.30 बजे
सबसे पहले इलाके को हर तरफ से घेरे में लेने की रणनीति बनाई गई. सबसे बड़ी चुनौती थी घनी बस्ती जहां घरों की दीवार से दीवार मिली हुई है. तंग गलियों में रात को आवारा कुत्ते घूमते हैं. तय किया गया कि पहले चार किमी के दायरे को घेरे में लिया जाएगा और खनीयर मीर मोहल्ला की घेराबंदी रात 11.30 बजे शुरू हुई. केवल रेनिवारा अस्पताल जाने वाले रास्ते के एक हिस्से को छोड़कर सब एंट्री-एग्जिट पॉइंट सील कर दिए गए. आउटर घेराबंदी के बाद मौके पर स्पेशल थ्री टीम पहुंची, जिनके साथ सिविल कपड़ों में कमांडो थे जो पहले तीन तरफ से इस मकान की ओर बढ़े.
जिस घर में आतंकी उस्मान छुपा था, वह अशफाक शाह के भाई का है. अशफाक कश्मीर का पहला आत्मघाती हमलावर था जिसने साल 2000 में 12वीं कक्षा के दौरान मारुति 800 में बारूद लेकर श्रीनगर में सेना की 15वीं कोर के दरवाज़े को उड़ा दिया था. यह वही साल था जब 2000 में उस्मान पहली बार कश्मीर आया था.
फेज-2, 17 घरों में घुसे कमांडो
स्पेशल थ्री के सिविल कपड़ों में कमांडो के सामने अब अगली चुनौती थी बिना आहट के स्पेशल थ्री टीम के 30 जवानों का घर तक पहुंचना. इसका भी समाधान निकाला गया. इन लोगों ने पहले आवारा कुत्तों से निपटने की सोची. नाइट ऑपेरशन के एसओपी के तहत ये रोटी और बिस्कुट साथ लाए थे और कुत्तों को खिलाना शुरू किया जिससे कुत्ते शांत हुए. इसके बाद एक-एक कर आसपास के करीब 17 घरों में ये कमांडो चुपके से घुसे और घरवालों को सतर्क किया. अब स्पेशल थ्री घेराबंदी कर रही थी.
फेज-3, आधी रात 2 बजने वाले थे
ठीक रात के 1.45 मिनट पर स्पेशल थ्री के कमांडो ने टारगेटेड मकान को घेरे में ले लिया. घेराबंदी और लोगों को बाहर निकालने का यह अभियान करीब दो घंटे तक चला. जब मकान की घेराबंदी सख्त हुई तब उस्मान को आहट हुई मगर तब तक काफी देर हो चुकी थी. स्पेशल थ्री के जांबाज़ जम्मू कश्मीर के 20 और सीआरपीएफ के 10 कमांडोज ने घर को हर तरफ से घेर लिया था. उस्मान को इस बात का अंदेशा नहीं था. घेराबंदी देख आतंकी उस्मान ने बाहर निकलने की कोशिश की और स्पेशल टीम पर गोलियां चलानी शुरू कर दी. इसमें चार सुरक्षाकर्मी घायल हो गए.
हालांकि उस्मान समझ गया था कि वह हर तरफ से घिर गया है यहां तक कि उस घर में रहने वालों को भी जांबाज़ सुरक्षाकर्मी निकाल चुके थे. अब उस्मान अकेला था और स्पेशल थ्री. उस्मान घर के भीतर जगह बदल-बदल कर गोलियां दागने लगा ताकि सुरक्षाबल समझें कि उस्मान अकेला नहीं बल्कि उसके साथी भी उसके साथ हैं. तब इस अभियान में बैकअप प्लान का इस्तेमाल किया गया और वो था टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके आतंकी की लोकेशन पता करना.
तड़के करीब 3 बजे घर के आंगन में आतंकी के पास गोला बारूद फटा और घर में आग लग गई. हालांकि ये आग इस घर के पीछे किसी दूसरे घर तक ना पहुंचे, इसके लिए चार दमकल की गाड़ियां मौजूद थीं जो पास के घरों की दीवारों को ठंडा कर रही थीं. आतंकी जिस घर में छिपा था, उसमें धुआं इतना हुआ कि आतंकी को सांस लेने के लिए बाहर निकलना पड़ा तब तक उसकी हरकत को देखने के लिए आसमान में ड्रोन आ चुके थे. जैसे ही ड्रोन ने स्पेशल थ्री को टारगेट की लोकेशन दी, उन्होंने आतंकी उस्मान का अंत कर दिया.
उस्मान के शव के पास से एक एके-47 राइफल, दो चाइनीज पिस्तौल मिले. माना जा रहा है कि उसके पास काफी बारूद भी था जो आग लगने से नष्ट हो गया. उस्मान ने गोलियां चलाई थीं और ग्रेनेड भी दागे थे.
कौन था आतंकी उस्मान
आतंकी उस्मान (लश्करी) घाटी के इलाकों से अच्छी तरह से वाकिफ था, खासकर बांदीपोरा, गांदरबल और श्रीनगर की गली-गली के बारे में उसे पता था. यह आतंकी पहले साल 2000 अप्रैल के महीने में कश्मीर घुसपैठ कर आया था और कई आतंकी गतिविधियों को अंजाम दिया था. शक है कि उसके इशारे पर कश्मीर में पहला आत्मघाती हमला हुआ था, जो 12वीं कक्षा के स्टूडेंट अशफाक शाह ने किया था. रिकॉर्ड के मुताबिक उस्मान घाटी में लश्कर-ए-तैयबा को मजबूत करने आया था और वह कई नौजवानों को आतंक के रास्ते पर ले गया.
घाटी में लश्कर की कुछ हद तक मजबूती के बाद वह फिर से पाकिस्तान चला गया. अंदाज़ा लगाया जा रहा है कि उस्मान 2019-2020 के आसपास फिर से गुरेज़ सेक्टर से घुसपैठ कर कश्मीर पहुंचा. घाटी में कमजोर पड़े लश्कर की ताकत को फिर से मज़बूत करने लगा. उसके सुझाव से ही TRF (The Resistance Front) को खड़ा किया गया क्योंकि लश्कर के चलते पाकिस्तान का नाम बदनाम हो रहा था. पुलिस के मुताबिक उस्मान पिछले साल पुलिस इंस्पेक्टर मसरूर वानी की ईदगाह इलाके में गोली मारकर की गई हत्या में शामिल था. उस समय मसरूर क्रिकेट खेल रहे थे.