Independence @75: हाथ में तिरंगा, होठों पर गौरव गान, कश्मीर की वादियों में गूंज रहा राष्ट्र गान
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Independence @75: हाथ में तिरंगा, होठों पर गौरव गान, कश्मीर की वादियों में गूंज रहा राष्ट्र गान

75th Independence Day 2021: हम आपके साथ मिलकर 75वें स्वतंत्रता दिवस का जश्न मनाएंगे. इस जश्न के माहौल में सबसे पहले हम आपको जम्मू-कश्मीर ले चलेंगे और आपको दिखाएंगे कि वहां से धारा 370 हटने के बाद वहां क्या बदलाव आएं हैं.

पललगाम का कम्युनिटी स्कूल

नई दिल्ली: देश की आजादी के 74 साल पूरे होने जा रहे हैं. 15 अगस्त को देश अपनी आजादी की खुशियां मनाएगा. इन 74 सालों में हिंदुस्तान में बहुत कुछ बदला है. बहुत कुछ बदलना अभी बाकी है. लेकिन सबसे बड़ा बदलाव हुआ है जम्मू कश्मीर में. 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर को आर्टिकल 370 से आजादी मिली. इस बदलाव के दो साल पूरे हो गए हैं. तो आज स्वतंत्रता दिवस से दो दिन पहले हम आपको ये बताते हैं कि कैसे कश्मीर के लोगों ने इन 2 वर्षों में उन लोगों को करारा जवाब दिया जो कहते थे कि अगर 370 हटा तो कश्मीर में तिरंगा थामने वाला नहीं बचेगा.

  1. कश्मीर में सेना पर पत्थरबाजी एकदम बंद
  2. कश्मीर में निवेश का माहौल बना, युवाओं को सबसे ज्यादा फायदा
  3. धारा 370 हटने के बाद कश्मीर देश की मुख्यधारा से जुड़ा

कश्मीर के बदलाव की निशानी

राष्ट्रवाद और देशभक्ति की भावना से ओत प्रोत बच्चे कश्मीर के बदलाव की निशानी हैं और इन्हीं निशानियों को समझने के लिए ज़ी न्यूज़ की टीम कश्मीर के पहलगाम के आखिरी छोर के देहवातु पहलगाम स्कूल में पहुंची.

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कोरोना काल में शुरू हुआ ये 'स्कूल'

यहां पहाड़ हैं और पहाड़ों के ऊपर जंगल है और जंगल के बीच में ये स्कूल. ज़ी न्यूज़ की टीम यहां पहुंची ये जानने के लिए कि आजादी के बाद का समय और बीते 2 साल में जबसे अनुच्छेद 370 हटा है इतने दिनों में क्या बदल गया है. पहले क्या फर्क था और अब क्या फर्क है. पहले के कश्मीर और अब के कश्मीर में क्या अंतर है.

कोरोना काल में जब सारे स्कूल बंद हो गए थे. हर जगह ऑनलाइन क्लासेज चल रही थीं उस दौर में यहां कम्युनिटी स्कूल की शुरुआत हुई. आपदा को यहां के लोगों ने अवसर में बदल दिया. वो किया जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी. यहां के लोगों ने खुद से बदलाव की कहानी लिखनी शुरू की.

उम्मीद की किरण 

हालांकि यहां अब भी कुछ समस्याएं हैं. जिन्हें दूर करना बेहद जरूरी है. लेकिन पिछले 2 साल में बदलाव भी दिख रहा है. ये बदलाव सिर्फ कागज पर बदलाव नहीं है ये उम्मीद की एक किरण है. उस कश्मीर के लिए जो अब तक आतंक से जूझता रहा है. ये उम्मीद की किरण उन युवाओं के लिए है जो कल देश की अगुवाई करने वाले हैं. ये उम्मीद की किरण उन बेटियों के लिए है जो कल ओलंपिक में भारत की मसाल थामने वाली हैं. 

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