S Jaishankar Prediction: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अगले 2 सालों में होने वाले कुछ बड़े बदलावों को लेकर बड़ी भविष्याणी कर दी है. उन्होंने दुनिया में चीन के बढ़ते दबदबे को लेकर भी बात की. उन्होंने UNSC में सदस्यता पर भी जोर दिया. साथ ही विदेश मंत्री ने QUAD और NATO पर भी बात की.
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S Jaishankar News: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि आने वाले समय में वैश्विक राजनीति में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं. म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन के बाद दिल्ली में आयोजित एक चर्चा में उन्होंने इस बदलाव की ओर संकेत दिया. इतना ही नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया अमेरिका दौरे के कुछ ही दिनों बाद जयशंकर ने अगले 2 सालों में होने वाले कुछ बदलावों की एक साफ तस्वीर भी पेश की. उनका यह बयान वैश्विक स्तर पर भारत की भूमिका, चीन के बढ़ते प्रभाव और वैश्विक शक्ति संतुलन में संभावित बदलावों की तरफ भी इशारा करता है.
उन्होंने दिल्ली में ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक प्रोग्राम में कहा, ‘मैं यह नहीं कर रहा कि यह अच्छा है या बुरा… मैं बस यह अनुमान लगा रहा हूं कि क्या होने वाला है और मुझे लगता है कि आने वाले वक्त में कुछ बड़ा होने वाला है.’
चीन के प्रभाव को कैसे कम किया जाए?
एशिया में चीन की बढ़ती ताकत को कम करने के लिए भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में स्थायी सदस्यता हासिल करना चाहता है. लेकिन, चीन इस इसमें लगातार बाधा डाल रहा है. मौजूदा वक्त में UNSC के पांच में से चार स्थायी सदस्य भारत का समर्थन कर चुके हैं. बावजूद इसके चीन लगातार विरोध कर रहा है. अगर भारत को UNSC की सदस्यता मिल जाती है तो चीन के दबदबे को कम करने में मदद मिलेगी.
लेकिन, मौजूदा स्थिति को देखते हुए भारत क्वाड (QUAD) को ज्यादा एक्टिव देखना चाहेगा. क्योंकि क्वाड एक कूटनीतिक और सैन्य समूह है, जिसमें भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं. इसका मुख्य मकसद हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकना है.
उन्होंने कहा, ‘नियमों पर आधारित व्यवस्था हो या बहुपक्षीय संगठन, चीन इसका सबसे ज़्यादा फ़ायदा उठा रहा है. इस बात पर हम सब सहमत हैं. हम ये भी कहते हैं कि हमें इसकी काट करनी चाहिए, क्योंकि दूसरा ऑप्शन और भी बुरा है. लेकिन मैं सोच रहा हूं कि आखिर करें तो क्या करें.’
क्वाड और नाटो में अंतर
जयशंकर ने क्वाड और नाटो (NATO) के बीच एक बड़ा अंतर बताया. नाटो यूरोप और उत्तरी अमेरिका के 32 देशों का सैन्य संगठन है, जिसका अधिकतर खर्च अमेरिका उठाता है. इसके उलट, क्वाड में सभी सदस्य देश बराबर योगदान देते हैं और अपने-अपने खर्च का वहन करते हैं, जो इस संगठन को और भी ज्यादा प्रभावी और संतुलित बनाता है.
जयशंकर का मानना है कि अमेरिका में एक आम राय बन रही है कि उसे अपनी विदेशी प्रतिबद्धताओं को सीमित करना चाहिए. ऐसे में, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जो चीन के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने के लिए जाने जाते हैं, वो QUAD पर अपना ध्यान बढ़ा सकते हैं, जो कि अमेरिका में जो बाइडन प्रशासन के तहत थोड़ा ठहर सा गया था.
अमेरिका और भारत की साझेदारी
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रंप की मुलाकात के दौरान 2035 तक के लिए एक नई रक्षा साझेदारी की रूपरेखा तैयार करने पर सहमति बनी है. इस समझौते को साल के अंत तक अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है. भारत और अमेरिका दोनों के लिए चीन की बढ़ती ताकत चिंता का विषय बनी हुई है. इसलिए, वैश्विक मंच पर भारत और अमेरिका का सहयोग न केवल एशिया, बल्कि पूरे विश्व में शक्ति संतुलन बनाए रखने के लिए आवश्यक है.