Motihari Police News: मोतिहारी में 22 हजार एफआईआर का फ़ाइल में पॉकेट डिस्पोजल हो गई है. पुलिस ने कोर्ट में कोई कागजात नहीं भेजा गया है. नतीजा मुकदमा लंबित और लोगों को न्याय नहीं मिल पा रहा है. वहीं, पॉकेट डिस्पोजल के नाम पर आंखों मे धूल झोंकने वाली पुलिस की कार्यशैली पर मोतिहारी एसपी स्वर्ण प्रभात ने रोक लगाया.
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Motihari News: आप और हम किसी भी विवाद में थाना या न्यायालय का शरण लेते हैं. अमूमन जब कहीं कोई घटना घटती है तो लोग थाना में जाकर एफआईआर दर्ज करवाते हैं. इतना तो आप जानते ही होंगे कि एफआईआर दर्ज होने के बाद थानाध्यक्ष की तरफ से एक आईओ को नियुक्त किया जाता है फिर आईओ अनुशंधान और रोज केस डायरी लिखने की शुरुआत करते हैं. केस डायरी का सुपरविजन करने के लिए इंस्पेक्टर, एसडीपीओ से लेकर एसपी तक के अधिकारी होते है. अब आप सोच रहे होंगे कि इसमें खबर क्या है?
आप शायद यह भी सोच रहे होंगे, इसमें आंखों मे धूल झोकने वाली क्या बात है? तो चलिए अब हम आपको असली खबर से रुबरु करवाते हैं. पुलिस की केस डायरी के आधार पर न्यायालयों में मुकदमे की सुनवाई होती है. सुनवाई के बाद निर्दोष बड़ी होते है और दोषी को सजा मिलती है, पर धूल झोंकने वाला काम यही पर होता है. अनुशंधान का अंतिम रूप होता है पुलिस की तरफ से न्यायालय में चार्जशीट दाखिल करना. मगर, आपको यह जान कर हैरानी होगी कि मोतिहारी में करीब 32 हजार केस अभी अनुशंधान के दौरान चल रहा हैं. इसमें से 22 हजार केस ऐसे है जो जिला पुलिस के रिकॉर्ड से लेकर मुख्यालय तक के रिकॉर्ड में केस डिस्पोजल के तौर पर फाइल में दर्ज है. जिसे पॉकेट डिस्पोजल का नाम दिया गया है.
अब आपको बताते हैं पॉकेट डिस्पोजल होता क्या है. आखिर इसे आंखों में धूल झोंकना क्यों कहा जाता है? कानून के जानकार एडवोकेट अजीत सिंह ने बताया है कि केस डिस्पोजल होने के बाद कोर्ट में नहीं भेजने के कारण कोर्ट में केस का निपटारा नहीं हो पाता है, जिस वजह से कोर्ट में केस पेंडिग बढ़ता जाता है और पीड़ित पक्ष कोर्ट और थाना का चक्कर लगाता रह जाता है.
दरअसल, पॉकेट डिस्पोजल का मतलब हुआ एफआईआर का वैसा अनुशंधान जिसे पूर्ण होने की सूचना जिला पुलिस ने मुख्यालय को तो भेज दिया, लेकिन न्यायालय में नहीं भेजा. अब अगर न्यायालय में भेजा जाता तो न्यायालय में केस की सुनवाई जल्द पूर्ण होती. पीड़ित जब कभी पुलिस के रिकॉर्ड में अपना केस के अनुशंधान की स्थिति को जानने पहुंचता है तो पुलिस के रिकॉर्ड में अनुशंधान पूर्ण यानी फाइनल कट जाने की जानकारी मिलती है पर न्यायालय में जाने पर उसे पता चलता है कि पुलिस ने चार्जशीट दाखिल ही नहीं किया है.
मोतिहारी के एसपी स्वर्ण प्रभात ने मिशन अनुशंधान की शुरुआत कर दिया है. मोतिहारी एसपी 22 हजार एफआईआर का ना सिर्फ पॉकेट डिस्पोजल के नाम पर आंखों मे धूल झोंकने वाली तस्वीर को खत्म करने में जुट गए है बल्कि 22 हजार पॉकेट डिस्पोजल एफआईआर के साथ ही कुल 32 हजार एफआईआर के अनुशंधान को पूर्ण करने के लिए मोतिहारी में मिशन अनुशंधान की शुरुआत भी कर दिया है. मोतिहारी में अब दुबारा से कोई पॉकेट डिस्पोजल ना हो इसके लिए एसपी ने प्रत्येक अनुसंधानकर्ता को कोर्ट से रिसविंग लेने का आदेश भी जारी कर दिया है.
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एसपी स्वर्ण प्रभात के मिशन अनुशंधान के निर्देश के बाद अब थाना में इंस्पेक्टर से लेकर अनुसंधानकर्ता फाइल पर लगे धूल हटाते हुए दिखने लगे हैं. थानाध्यक्ष थाना पर अनुसंधानकर्त्ताओं के साथ बैठक कर निर्देश देते हुए दिखाई देने लगे है. मोतिहारी एसपी ने ना सिर्फ पॉकेट डिस्पोजल को खत्म कर पीड़ितों को जल्द न्याय मिलने की उम्मीद को जगाया है बल्कि थाना में दर्ज करीब 32 हजार एफआईआर की भी जल्द अनुसंधान पूर्ण करने के लिए मिशन मोड में अनुशंधान को जल्द पूर्ण करने की हिदायत देकर सही मायने में आम लोगों तक न्याय की पहुंच को आसान भी बनाया है.
रिपोर्ट: पंकज कुमार
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