जंक फूड का दिमाग पर सीधा वार, जानें कैसे बदलता है सोचने-समझने का तरीका?
Advertisement
trendingNow12662214

जंक फूड का दिमाग पर सीधा वार, जानें कैसे बदलता है सोचने-समझने का तरीका?

अगर आप भी चॉकलेट बार, चिप्स और अन्य जंक फूड के दीवाने हैं, तो यह खबर आपके लिए है. हाई-कैलोरी और फैटी फूड खाने से दिमाग के काम करने के तरीके में बदलाव आ सकता है.

जंक फूड का दिमाग पर सीधा वार, जानें कैसे बदलता है सोचने-समझने का तरीका?

अगर आप भी चॉकलेट बार, चिप्स और अन्य जंक फूड के दीवाने हैं, तो यह खबर आपके लिए है. हाल ही में हुई एक स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि सिर्फ 5 दिन तक हाई-कैलोरी और फैटी फूड खाने से दिमाग के काम करने के तरीके में बदलाव आ सकता है, जो मोटापे से जूझ रहे लोगों में देखे गए पैटर्न से मेल खाता है. इस अध्ययन में पाया गया कि शरीर के वजन या संरचना में बदलाव न होने के बावजूद, जंक फूड का सेवन दिमाग की एक्टिविटी पर गहरा असर डालता है. यह स्टडी 'नेचर' जर्नल में प्रकाशित हुई है.

जर्मनी की यूनिवर्सिटी ऑफ ट्यूबिंगन की न्यूरोसाइंटिस्ट स्टेफनी कुलमैन और उनकी टीम ने 29 हेल्दी पुरुषों पर यह अध्ययन किया. इनमें से 18 प्रतिभागियों को 5 दिनों तक हाई-कैलोरी डाइट दी गई, जिसमें हर दिन लगभग 1,500 कैलोरी के हाई-फैट और हाई-शुगर स्नैक्स शामिल थे. हालांकि, औसतन इन लोगों ने अपनी कैलोरी इनटेक को 1,200 कैलोरी प्रति दिन तक बढ़ाया. शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों के दिमाग में खून में फ्लो की इमेजिंग की, ताकि दिमाग की एक्टिविटी को समझा जा सके. यह इमेजिंग 5 दिन की अवधि से पहले, बाद में और एक हफ्ते बाद की गई.

स्टडी में क्या सामने आया?
स्टडी में पाया गया कि सिर्फ 5 दिनों तक जंक फूड खाने के बाद ही प्रतिभागियों के दिमाग में उन क्षेत्रों में हाई एक्टिविटी देखी गई, जो फूड रिवॉर्ड और डाइट में बदलाव से जुड़े होते हैं. ये वही पैटर्न हैं, जो आमतौर पर मोटापा और इंसुलिन रेजिस्टेंस से जुड़े होते हैं.

स्टडी के अनुसार, "जब हम कुछ खाते हैं, तो शरीर इंसुलिन छोड़ता है, जो भूख को कंट्रोल करता है. लेकिन मोटे लोगों में दिमाग की इंसुलिन प्रतिक्रिया कमजोर हो जाती है, जिससे शरीर में भोजन को प्रोसेस करने का तरीका प्रभावित होता है. चौंकाने वाली बात यह है कि जंक फूड बंद करने के एक हफ्ते बाद भी, इन लोगों के दिमाग के उन हिस्सों में कम एक्टिविटी देखी गई, जो मेमोरी और भोजन से जुड़े विजुअल संकेत को समझने में मदद करते हैं.

क्या कहती हैं विशेषज्ञ?
स्टेफनी कुलमैन ने बताया कि अध्ययन में शामिल हाई-कैलोरी फूड की मात्रा भले ही ज्यादा लगे, लेकिन यह त्योहारों या छुट्टियों के दौरान आमतौर पर खाए जाने वाले फूड पैटर्न जैसा ही है.

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

Trending news