Delhi Assembly Elections 2025: दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए सोमवार शाम 5 बजे चुनाव प्रचार थम गया. अब बुधवार (5 फरवरी) को वोट डाले जाएंगे. चुनाव प्रचार के अंतिम दिन सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने जमकर चुनाव प्रचार किया. कई नेताओं ने रोड शो के जरिए वोटर्स का दिल जीतने की कोशिश की. आप और बीजेपी के बीच लोग कांटे की टक्कर मान रहे हैं. लेकिन इस चुनाव में बीजेपी के लिए आरएसएस संजीवनी बूटी की तरह काम कर सकती है. जानें कैसे?
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Delhi Election 2025: दिल्ली में चुनाव प्रचार के अंतिम दिन तक खासी सियासी हलचल बनी रही. महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव में सक्रिय रहे आरएसएस ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी खूब मेहनत की. संघ ने पूरी दिल्ली में हजारों छोटी-छोटी बैठकें कर लोगों को विकास के मुद्दे पर जागृत किया और एक राष्ट्रवादी सरकार के गठन के लिए लोगों को वोट करने के लिए प्रेरित किया. अपनी कार्यपद्धति के अनुरूप आरएसएस ने गली-मुहल्लों में छोटी-छोटी बैठकों का आयोजन किया जिसमें औसतन 10-15 लोग उपस्थित रहे. दिल्ली में बुधवार को 1.56 करोड़ वोटर्स अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. तो क्या इसका फायदा बीजेपी को मिलेगा.
हरियाणा, महाराष्ट्र चुनाव की तरह RSS ने दिल्ली में अपनाया तरीका
हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के दौरान आरएसएस ने इसी तरह की रणनीति अपनाई थी. उस चुनाव में ये रणनीति काफी सफल रही थी. अब दिल्ली में भी उसी तरह के प्रयोग करने की कोशिश की है. इससे पहले एक रोडमैप पार्टी कार्यालय में RSS और BJP के शीर्ष नेताओं के बीच हुई बैठक में तय किया गया था.
दिल्ली चुनाव को लेकर आरएसएस का मेगा प्लान
इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में आरएसएस ने 50,000 ड्राइंग रूम मीटिंग आयोजित की. और करीब डेढ़ लाख छोटी-छोटी गोष्ठियां आयोजित किया गया. हर बूथ में करीब 10 से ज्यादा गोष्ठियां करने की योजना थी. जिसका अभी आधिकारिक डेटा सामने नहीं आया है. देशभर से कार्यकर्ता दिल्ली में डेरा डाले. डेरा दिल्ली के सभी 13033 बूथों में जाकर डोर टू डोर संपर्क करने का मकसद था.. इतना ही नहीं आरएसएस के कार्यकर्ता साढ़े पांच लाख घरों में जाकर भी राष्ट्रवादी सरकार की जरूरत समझाने का प्लान बना.
मतदान दिन तक आरएसएस कार्यकर्ता रहेंगे डटे
इतना ही नहीं संघ के जमीनी कार्यकर्ता बीजेपी के वर्कर्स को प्रशिक्षण भी दिए. कार्यकर्ताओं की बैठकों में इस बात का प्रशिक्षण दिया गया कि किस वर्ग की बैठकों में बीजेपी के कार्यकर्ताओं को कौन से मुद्दे उठाने थे. आरएसएस का तमाम कैडर जो मैदान में हैं वह मतदान के दिन तक सक्रिय रहेंगे. अब देखना इस बात का है आखिर कितना आरएसएस आप पार्टी का गेम बदल सकता है.
मुहल्लों में बैठक कर रही आरएसएस
बिना झंडा-बैनर और बिना शोर-शराबे के स्वयंसेवकों के घरों में हो रही इन बैठकों के बारे में बाहरी लोगों को पता भी नहीं चलता. लेकिन संबंधित मोहल्ले के स्वयंसेवकों को पहले से इसकी सूचना होती है. बैठक में सीधे तौर पर भाजपा के लिए मतदान के लिए नहीं कहा जाता है, लेकिन दिल्ली की मौजूदा हालात का आकलन किया जाता है और राष्ट्रवाद, हिंदुत्व और सामाजिक कार्यों को देखते हुए उम्मीदवार को वोट देने को कहा जाता है.
मतदान से पहले क्या है प्लान?
दिल्ली विधानसभा चुनाव में मतदान से पहले मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उनका एक लास्ट प्लान भी था. चुनाव से पहले तक सभी इलाकों में ऑफिसों में, संस्थाओं में, शॉपिंग सेंटरों, स्कूलों, कॉलेजों और अन्य इलाकों में हर आदमी तक कोई न कोई कार्यकर्ता उन लोगों तक अपनी बातें शेयर करे. दिल्ली मुख्यायल में मौजूदा पदाधिकारियों से भी एक्टिव रहने को कहा गया है.
अब दिल्ली की बारी
राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ चुनाव में जीत के बाद बीजेपी ने सभी को चौंका दिया था. ऐसा इसलिए नहीं कि उन्होंने तीनों राज्य जीत लिए थे, बल्कि ऐसा इसलिए कि उन्होंने ऐसे लोगों को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया जो शायद मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में शामिल नहीं थे. फिर इस बात पर जोर दिया गया कि इसके पीछे आरएसएस है, इसके बाद महाराष्ट्र में महायुति की सरकार बनने के बाद कहा गया कि आरएसएस ने इस जीत में अहम भूमिका निभाई है. अब असल में क्या फायदा होगा यह चुनाव नतीजों के बाद ही पता चलेगा.