Osamu Suzuki: ओसामु सुजुकी को ऑटोमोटिव उद्योग में कमाल के योगदान और भारत में मारुति के साथ मिलकर आम लोगों की जिंदगी में सस्ती कार पहुंचाने के लिए पद्म विभूषण (मरणोपरांत) से नवाजा गया है. पिछले साल 94 साल की उम्र में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था.
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Who Was Osamu Suzuki: सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन के पूर्व चेयरमैन ओसामु सुजुकी को भारत के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण (मरणोपरांत) से नवाजा गया है. भारत में ऑटोमोटिव उद्योग में उनके योगदान के लिए उन्हें इस सम्मान से नवाजा गया है. पिछले साल 94 साल की उम्र में ओसामु सुजुकी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था. साल 2007 में उन्हें पद्म भूषण (Padma Bhushan) से सम्मानित किया गया था. ऐसे में आज हम बात करेंगे कि आखिर कौन थे ओसामु सुजुकी और भारत के ऑटोमोटिव उद्योग में उनका क्या योगदान था?
जन्म
ओसामु मात्सुदा का जन्म जापान के गेरो में 30 जनवरी, 1930 को हुआ था. उन्होंने साल 1958 में शोको सुजुकी से शादी की और सुजुकी फैमिली के कारोबार को संभालने लगे. उससे पहले वह एक बैंककर्मी थे. शोको सुजुकी के दादा मिचियो सुजुकी सुजुकी मोटर के संस्थापक थे. करीब 40 सालों तक ओसामु ने कंपनी का नेतृत्व किया. इस दौरान वो दो बार कंपनी के प्रेसिडेंट चुने गए. उनकी गाइडलाइन में सुजुकी मोटर ने उत्तरी अमेरिका और यूरोप में अपना नेटवर्क बढ़ाने के लिए जनरल मोटर्स और फॉक्सवैगन के साथ समझौता कर लिया. आज पूरी दुनिया सुजुकी ऑटोमोबाइल को उसके बेस्ट प्रोडक्ट्स की वजह से जानती है.
भारत में मारुति 800
साल 1978 में सुजुकी कंपनी ने अपना प्रोडक्शन भारत में शुरू किया. उस वक्त ओसामु सुजुकी कंपनी के सीईओ थे. सुजुकी कंपनी भारत में लोकल प्रोडक्शन शुरू करने वाली पहली जापानी वाहन कंपनी बन चुकी थी. इसके बाद 1982 में सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन ने मारुति उद्योग प्राइवेट लिमिटेड के साथ साझेदारी की और भारत में अब तक का सबसे ज्यादा पसंद किया जाना वाली कार मारुति 800 को मार्केट में उतारा. कंपनी ने साल 1983 में मारुति 800 को भारत में लांच किया, जिसके बाद अगले 40 सालों तक मारुति 800 लोगों की पहली पसंद बनी रही. इस कार के पहले ग्राहक हरपाल सिंह बने थे, जिन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपने हाथों से कार की चाबी दी थी.
सोच-विचार
ओसामु सुजुकी अपने काम को लेकर काफी सीरियस रहते थे. उनका मानना था कि कंपनी के मालिक को प्रेसीडेंट के ऑफिस में नहीं बल्कि कारखानों में रहना चाहिए.