Maharashtra Loudspeaker Controversy: महाराष्ट्र में बीएमसी चुनाव होने वाले हैं. इस बीच मस्जिद पर लगे लाउडस्पीकर को हटाने की मांग तेज हो गई है. बीजेपी नेता जमकर बवाल काट रहे हैं.
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Maharashtra Loudspeaker Controversy: महाराष्ट्र में एक बार फिर मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने की मांग तेज हो गई है. मुंबई के भांडुप इलाके में मस्जिदों के लाउडस्पीकर से आने वाली अज़ान के बढ़े हुए स्तर को लेकर बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने शिकायत दर्ज कराई है. बीजेपी नेता ने दावा किया है कि सुबह करीब 5.30 बजे भांडुप के सोनपुर इलाके में स्थित मोहम्मदिया जामा मस्जिद में तेज आवाज़ में अज़ान दी जा रही थी, जिसके बाद ये शिकायत दर्ज कराई गई है.
लाउडस्पीकर को लेकर क्यों हुआ विवाद
पूर्व सांसद किरीट सोमैया ने कहा कि उन्हें यह शिकायत लंबे समय से मिल रही थी, सिर्फ़ भांडुप से ही नहीं बल्कि घाटकोपर जैसे दूसरे इलाकों से भी. जब उन्होंने भांडुप पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और पुलिस से लिखित जवाब मिला तो उन्हें और भी झटका लगा. पुलिस के मुताबिक इलाके की मोहल्ला कमेटी हर 30 दिन के बाद पुलिस को सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक मस्जिद से लाउडस्पीकर के इस्तेमाल की इजाज़त देने के लिए आवेदन लिखती है, जिसे स्वीकार कर लिया जाता है, यानी हर 30 दिन के बाद अगले 30 दिनों के लिए मस्जिद से लाउडस्पीकर के इस्तेमाल की इजाज़त दे दी जाती है, तो कुल मिलाकर यह इजाज़त पूरे साल के लिए दी जाती है, जो कि गैरकानूनी है.
किरीट सोमैया ने क्या कहा?
किरीट सोमैया ने लाउडस्पीकर के खिलाफ मुहिम चलाने की बात कही है. उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि 13 फरवरी को शिकायत करने के फौरन बाद भांडुप पुलिस ने मस्जिद कमेटी के लोगों से बात की और उन्हें मस्जिद से लाउडस्पीकर हटाने या बहुत कम आवाज़ में बजाने को कहा, फिर शुक्रवार को इसकी इजाज़त दी गई. सुबह से ही इलाके की लगभग सभी मस्जिदों से लाउडस्पीकर पर अज़ान बजाई गई, लेकिन आवाज़ बहुत कम थी.
लोगों ने लगाए गंभीर इल्जाम
वहीं, मकामी लोगों का कहना है कि ये सब राजनीति के लिए किया जाता है. पहले लोकसभा और विधानसभा इलेक्शन हुए और अब बीएमसी चुनाव आ रहे हैं, जिसके लिए मुसलमानों से जुड़े मुद्दों पर विवाद पैदा करके राजनीतिक ज़मीन तैयार की जा रही है. मुसलमान कभी दूसरे धर्मों पर सवाल नहीं उठाते, फिर उन्हें क्यों निशाना बनाया जा रहा है. आम लोगों को इससे कोई परेशानी नहीं है, लेकिन पार्टियों के नेता जानबूझकर इसे मुद्दा बना रहे हैं.