Delhi News: दिल्ली की एक अदालत ने 2020 के सांप्रदायिक दंगों के दौरान कथित तौर पर एक शख्स पर हमला करने और उसे राष्ट्रगान गाने पर मजबूर करने के मामले में बड़ा आदेश दिया है.
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Delhi News: दिल्ली की एक अदालत ने 2020 के सांप्रदायिक दंगों के दौरान एक शख्स पर कथित तौर पर हमला करने और उसे राष्ट्रगान गाने के लिए मजबूर करने के मामले में दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी के खिलाफ एफआईआर करने के मजिस्ट्रेट के आदेश पर रोक लगा दी है.
एडिशनल सेशन जज समीर बाजपेयी, ज्योति नगर पुलिस स्टेशन के तत्कालीन स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) सलेन्द्र तोमर की पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जो उन्होंने इस साल 18 जनवरी को पारित मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश के खिलाफ दायर की थी.
1 फरवरी को जारी आदेश में अदालत ने कहा था, "रिकॉर्ड देखने और (एसएचओ के वकील) की दलीलें सुनने के बाद, अदालत का मानना है कि अगर अदालत द्वारा विवादित आदेश के क्रियान्वयन पर रोक नहीं लगाई जाती है, तो मौजूदा याचिका का पूरा मकसद की बेकार हो जाएगा." इसे "घृणा अपराध" करार देते हुए मजिस्ट्रेट ने निर्देश दिया था कि तत्कालीन एसएचओ के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 295 ए (किसी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करके उसकी धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 342 (गलत तरीके से बंधक बनाना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत एफआईआर दर्ज की जाए.
याचिका में कहा गया है, "इसके अलावा, निचली अदालत ने इस फैक्ट की अनदेखी करके बड़ी गलती की है कि मामले की जांच को स्थानांतरित करते समय, जैसा कि ऊपर लिखा गया है, 23 जुलाई, 2024 के आदेश के तहत, दिल्ली उच्च न्यायालय ने सीबीआई को मामले की उचित जांच करने का निर्देश दिया है. ऐसे में निचली अदालत एक और एफआईआर दर्ज करने का आदेश देने के लिए सक्षम नहीं थी, जब वही आरोप पहले से ही उच्च न्यायालय के समक्ष विचाराधीन हैं."
मजिस्ट्रेट ने पहले मोहम्मद वसीम नाम के शख्स की याचिका पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश पारित किया था, जिसने दावा किया था कि वह उन पांच लोगों में शामिल था, जिन पर 24 फरवरी को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक दंगों के दौरान कथित रूप से हमला किया गया था और उन्हें राष्ट्रगान गाने के लिए मजबूर किया था. घटना का एक कथित वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें पांच मुस्लिम पुरुषों को पुलिसकर्मियों के जरिए पीटा जा रहा था और उन्हें राष्ट्रगान और राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम' गाने के लिए मजबूर किया गया था.
घटना के बाद पांच लोगों में से एक फैजान की मौत हो गई थी, जिसके बाद उसकी मां किस्मतुन ने 2020 में हाई कोर्ट का रुख कर अपने 23 साल के बेटे की मौत की अदालत की निगरानी में एसआईटी जांच की मांग की थी. हाई कोर्ट ने पिछले साल जुलाई में मामला सीबीआई को हस्तांतरित कर दिया था.