उम्र कैद की सजा काट रहे हिमायत बेग को बॉम्बे हाई कोर्ट से नहीं मिली राहत; इस मामले में है गुनहगार
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उम्र कैद की सजा काट रहे हिमायत बेग को बॉम्बे हाई कोर्ट से नहीं मिली राहत; इस मामले में है गुनहगार

German bakery bomb blast: महाराष्ट्र के जर्मन बेकरी रेस्टोरेंट बम बलास्ट में सजा काट रहा मुजरिम हिमायत बेग की याचिका पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने सभी मांगों को खारिज कर दिया है. हिमायत बेग उम्र कैद की सजा काट रहा है. पूरी खबर जानने के लिए नीचे स्क्रॉल करें

उम्र कैद की सजा काट रहे हिमायत बेग को बॉम्बे हाई कोर्ट से नहीं मिली राहत; इस मामले में है गुनहगार

German bakery bomb blast: साल 2010 में महाराष्ट्र के पुणे में मौजूद जर्मन बेकरी रेस्टोरेंट में विस्फोट मामले में हिमायत बेग को सुप्रीम कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई थी. सजा याफता हिमायत बेग पिछले 12 सोलों से  महाराष्ट्र के नासिक जेल में बंद है. खबर है कि बेग ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर एकांत कारवास से दूसरे कारवास में स्थानांतरित करने की अपील की थी. हालांकि हाई कोर्ट ने मानसिक स्तिथि सही होने की दलील दे कर कारावास को बदलने की अपील को मानने से इनकार कर दी है.

बॉम्बे हाई कोर्ट ने राहत देने से किया इनकार
गौरतलब है कि बेग जर्मन बेकरी विस्फोट मामले में पिछले 12 सालों से सजा काट रहा है. 18 फरवरी को बेग के तरफ से दायर याचिका पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई करते हुए कहा कि हिमायत बेग को किसी "मनोवैज्ञानिक आघात" का खतरा नहीं है. बेग ने शिकायत की थी कि उसे महाराष्ट्र की नासिक सेंट्रल जेल में पिछले 12 वर्षों से एकांत कारावास में रखा गया है. बेग ने पिछले साल दायर याचिका में दावा किया था कि एकांत कारावास के कारण उसकी मानसिक सेहत प्रभावित हो रही है. इसलिए उसे एकांत कारावास से बाहर स्थानांतरित कर दिया जाए.

हिमायत बेग ने किया था अपील
इस याचिका पर  जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और नीला गोखले की बैंच सुनवाई कर रही थी. बेंच ने हिमायत बेग को राहत देने से इनकार कर दिया है. अदालत ने कहा, "वर्तमान स्थिति में याचिकाकर्ता (बेग) द्वारा किए गए दावे के मुताबिक किसी मनोवैज्ञानिक आघात की स्थिति नहीं है." जेल प्रशासन के तरफ से बेग को कोई काम सौंपने के अर्जी पर अदालत ने कहा कि बेग को जेल नियमों और विनियमों के मुताबिक काम सौंपा जाएगा. महाराष्ट्र सरकार ने इससे पहले हाई कोर्ट को बताया था कि राज्य की किसी भी जेल में एकांत कारावास की सिस्टम नहीं है.

बम बलास्ट मामले में हुई थी उम्र कैद
 जेल अधिकारियों के मुताबिक, विस्फोट जैसे बड़े क्राइम में दोषी ठहराए गए व्यक्तियों को दूसरे कैदियों से अलग रखा जाता है. पुणे की एक विशेष अदालत ने साल 2013 में बेग को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) और भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत दोषी करार देते हुए उसे मौत की सजा सुनाई थी. हालांकि हाई कोर्ट ने साल 2016 में उसकी मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया और यूएपीए के तहत लगे आरोपों से बरी कर दिया.

हिमायत बेग जर्मन बेकरी विस्फोट मामले में दोषी ठहराया गया एकमात्र व्यक्ति था. फरवरी 2010 में पुणे स्थित इस फेमस रेस्टोरेंट में हुए विस्फोट में 17 लोगों की मौत हो गई थी और 60 लोग घायल हुए थें. इस मामले में छह दूसरे लोगों के खिलाफ भी आरोपपत्र दायर किया गया है.

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