Veer Abdul Hamid School Raw: उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में 1965 के भारत- पाकिस्तान जंग के नायक परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद के नाम पर रखे गए स्कूल का नाम बदलने पर प्रशासन से अपनी गलती मानते हुए स्कूल का नाम फिर से नायक अब्दुल हमीद का नामक्स्क पर रख दिया है. इस मामले में स्कूल के प्रिंसिपल की गलती सामने आयी है.
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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में 1965 के युद्ध के नायक परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद के नाम पर रखे गए स्कूल के नाम को सरकार ने बदलकर ‘पीएम श्री कम्पोजिट स्कूल’रख दिया था, लेकिन अब्दुल हमीद के परिवार और देश भर में सरकार के इस कदम के विरोध के बाद सरकार बैकफुट पर आ गयी है. भारी दबाव और शर्मिंदगी में आकर सरकार ने फिर से पीएम श्री कम्पोजिट स्कूल स्कूल का नाम बदलकर ‘शहीद हमीद विद्यालय’कर दिया है. सरकार के इस फैसले का शहीद के परिवार समेत देशभर के प्रबुद्ध लोगों ने स्वागत किया है. इस मामले में स्कूल के प्रिंसिपल की लापरवाही सामने आई है.
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शहीद वीर अब्दुल हमीद के पोते ने की थी शिकायत
शहीद वीर अब्दुल हमिद के पोते जमील अहमद के मुताबिक, कुछ दिन पहले जब स्कूल का रंग-रोगन किया गया था, तो स्कूल के एंट्री गेट पर ‘शहीद हमीद विद्यालय’ का नाम तब्दील करके ‘पीएम श्री कम्पोजिट स्कूल’ लिख दिया गया था. जब उन्होंने स्कूल के प्रधानाध्यापक अजय कुशवाह से इस बारे में ऐतराज जताया तो उन्हें बीएसए हेमंत राव से इस सम्बन्ध में राबता करने के लिए कहा गया. गौरतलब है कि परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद और 1965 के भारत-पाक युद्ध के नायक ने बचपन में गाजीपुर जिले के धामूपुर गाँव में इसी प्राथमिक विद्यालय से पढाई की थी. सरकार ने उनके सम्मान में इस स्कूल का नाम शहीद हमीद विद्यालय किया था. लेकिन हाल में स्कूल का नाम बदलने पर प्रदेश सरकार को भारी जन विरोध का सामना करना पड़ा था.
बेसिक शिक्षा अधिकारी ने फिर से लिखवाया नाम
शहीद के परिजनों द्वारा इसकी शिकायत किए जाने के बाद, गाजीपुर के बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) हेमंत राव ने गुजिश्ता शनिवार को स्कूल के एंट्री गेट पर परमवीर चक्र विजेता का नाम फिर से लिखवा दिया है. बीएसए राव ने कहा, “शहीद वीर अब्दुल हमीद का नाम स्कूल के मुख्य द्वार पर फिर से लिख दिया गया है.” राव ने आगे कहा, "हामिद का नाम स्कूल के अन्दर की दीवार पर भी दर्ज है.
स्कूल के प्रिंसिपल की गलती का नतीजा
गौरतलब है कि परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद का नाम 2019 में घोषित किये गए .कम्पोजिट स्कूल' के दस्तावेजों में दर्ज नहीं किया गया था. शहीद के पौत्र जमील आलम ने कहा कि 1982 में स्कूल पर उनके दादा का नाम लिखा गया था. सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव के आदेशों के बाद शहीद के नाम से प्राथमिक विद्यालय की घोषणा की गई थी. धामूपुर प्राइमरी स्कूल के प्रधानाध्यापक की गलती से अभिलेखों में नाम दर्ज नहीं किया गया था. बीएसए हेमंत राव ने कहा कि शहीद वीर अब्दुल हमीद के नाम का प्रस्ताव बनाकर शासन में भेजा गया है. सरकार की योजना में शहीद परिवार के नाम से विद्यालय के नाम रखने का प्रावधान अभी भी मौजूद है. स्कूल के दस्तावेजों में भी अब इस नाम को दर्ज किया जाएगा. कुल मिला कर ऐसा लग रहा है कि ये गलती सरकार नहीं, बल्कि स्कूल के प्रिंसिपल की गलती का नतीजा थी.
कौन थे वीर अब्दुल हमीद ?
शहीद वीर अब्दुल हमीद 1 जुलाई, 1933 में उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के धामूपुर गांव में पैदा हुए थे. 20 साल की उम्र में वह भारतीय सेना में भर्ती हुए थे. ट्रेनिंग के बाद 1955 में 4 ग्रेनेडियर्स में उन्हें पोस्टिंग मिली थी. 1962 की भारत- पाक जंग में उनको 7 माउंटेन ब्रिगेड, 4 माउंटेन डिवीजन की तरफ से जंग में भेजा गया था. जंग के बाद वह जंगल में भटक गए थे और कई पेड़ के पत्ते खाकर खुद को जिंदा रखा था. 1965 में अब्दुल हमीद पंजाब के तरनतारन जिले के खेमकरण सेक्टर में तैनात थे. पाकिस्तान ने अमेरिकन पैटन टैंकों से खेमकरण सेक्टर के असल उताड़ गांव पर हमला कर दिया. सेना के रिकॉर्ड के मुताबिक, उस वक़्त अब्दुल हमीद की जीप 8 सितंबर, 1965 को सुबह 9 बजे चीमा गांव के बाहरी इलाके से गुजर रही थी. वहीँ उन्होंने मोर्चा संभाल लिया. इस जंग में उन्होंने अमेरिका निर्मित पाकिस्तान के 8 युद्ध टैंक को अकेले ध्वस्त कर दिया. तभी पाकिस्तान की सेना ने उनको घेरकर वहीँ शहीद कर दिया. अब्दुल हमीद के अदम्य साहस और वीरता के लिए मरणोपरांत सरकार ने उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया. पूरा देश खुद को उनका कर्ज़दार मानता है और उनकी शहादत पर गर्व करता है.