अब जर्मनी में दक्षिणपंथी पार्टी को जिताने में जुटे एलन मस्क, अचानक की रैली
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अब जर्मनी में दक्षिणपंथी पार्टी को जिताने में जुटे एलन मस्क, अचानक की रैली

Elon Musk on Germany: हाल ही में एलन मस्क का एक आर्टिकल जर्मनी के अखबार में छपा. इस लेख के बाद जर्मनी की राजनीति में बवाल मच गया. एक न्‍यूजपेपर की संपादक ने इसके बाद अपने पद से रिजाइन तक कर दिया.

अब जर्मनी में दक्षिणपंथी पार्टी को जिताने में जुटे एलन मस्क, अचानक की रैली

Elon Musk on Germany Election: डोनाल्ड ट्रंप ने एलन मस्‍क के लिए नया मंत्रालय बनाकर अपने सिर पर बिठा लिया है. अपनी बढ़ती ताकत से गदगद मस्क लगातार दुनियाभर के नेताओं से पंगे ले रहे हैं. ट्रंप 2.0 में टेस्‍ला के चीफ मस्क को जो बड़ा ओहदा दिया है. उस पर फोकस करने के बजाए वो ग्लोबल पिच पर अलग लेवल का गेम खेल रहे हैं. सुपरपावर मुल्क के प्रेसिडेंट के साए में बैठकर इतरा रहे मस्क ने सबसे पहले ट्रूडो को घेरा. कनाडा में ट्रूडो नपे तो थे अपने कर्मों और खालिस्तान प्रेम की वजह से लेकिन इसे भी मस्क इफेक्ट से जोड़कर देखा गया. अब मस्क ने जर्मनी में सनसनी मचा दी है.

मस्क का ध्यान अब जर्मनी पर

ट्रंप के शपथ ग्रहण के बाद मस्क ने जर्मनी पर फोकस किया है. कहा जा रहा है कि टेस्ला और स्पेस एक्स के मालिक एलन मस्क अमेरिका में अपनी फेवरेट सरकार बनने के बाद जर्मनी में अपने पसंदीदा नेता की सरकार बनाने की मंशा से एक पार्टी विशेष के हक में दिलचस्पी दिखाते हुए फ्रंटफुट पर बैटिंग कर रहे हैं. हाल ही में मस्क का एक लेख जर्मनी के अखबार में छपा. उसके बाद जर्मनी की सियासत में जमकर हो हल्ला हुआ. मेनस्ट्रीम मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक ऐसी बमचक कटी कि एक अखबार की संपादक ने अपने पद से इस्तीफा तक दे दिया.

पुरानी आदतों से बाज नहीं आ रहे मस्क, जर्मनी में वर्चुअल रैली

अमेरिकी टेक अरबपति एलन मस्क जर्मनी की दक्षिणपंथी पार्टी अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) के एक अभियान में वर्चुअल रूप से शामिल हुए. मस्क की इस ऑनलाइन रैली को सीएनएन समेत अमेरिका के सभी मीडिया हाउस ने प्रमुखता से कवर किया.

मस्‍क पर जर्मनी की सरकार ने बेहद गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वो उनके देश की चुनावी प्रक्रिया में ‘घुसपैठ’ कर रहे हैं. जर्मनी सरकार ने कहा कि वो चुनावों के दौरान लोगों की विचारधारा को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं.

जर्मनी में आगामी चुनावों को लेकर सरगर्मी तेज है. मस्‍क के चक्‍कर में एक एडिटर की नौकरी चली गई. हालांकि उन्‍होंने खुद ही इस्‍तीफा दिया. हुआ ये कि मस्‍क का एक आर्टिकल जर्मनी के पॉपुलर न्यूज़ पेपर ‘वेल्ट एम सोनटैग’ में छपा. जिसमें उन्‍होंने फार-राइट यानी दक्षिणपंथी विचारधारा वाली जर्मनी की एएफडी (अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी) पार्टी का समर्थन किया था, ओपिनियन आर्टिकल पब्लिश होते ही जर्मनी की सियासत में उबाल आ गया. विरोधी पर्टियों की तरफ से इसके खिलाफ आवाज उठाई गई.

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इसे आप कुछ इस तरह से समझिए कि जैसे भारत के केरल में आतंकी संगठन हमास के एक नेता ने वर्चुअल रैली संबोधित की थी. जर्मनी की सरकार के नेता बिना किसी लागलपेट के सीधे कह रहे हैं कि मस्क बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना बनकर घूम रहे हैं. जर्मनी की सरकार के प्रवक्ता क्रिस्टियन हॉफमैन ने एलन मस्‍क के एडिटोरियल ओपिनियन को लेकर ये तक कह दिया कि वो अपने बयानों के माध्यम से जर्मनी के आंतरिक मामलों में दखल देते हुए देश के चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं.

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