Illegal immigration: राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अवैध प्रवासन के मामले में कड़ा रुख अपनाए हुए हैं. उन्होंने पिछले साल दिसंबर में चुनाव जीतने के बाद कहा था कि वो सभी अवैध प्रवासियों को डिटेंशन सेंटर में न रखकर उन्हें वापस उनके देश भेजना चाहते हैं. ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका में अवैध प्रवासी घोषित किए गए 104 भारतीय नागरिकों को भारत वापस भेज दिया है.
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Delhi News: डोनाल्ड ट्रंप के सख्त आप्रवासन नीति अपनाने के बाद 104 अवैध प्रवासियों को भारत वापस भेज दिया गया. इन भारतीय नागरिकों को अमेरिकी सेना के जंबो जेट से अमृतसर एयरपोर्ट पर लाया गया. अमेरिकी सेना इन सभी भारतीय नागरिकों के साथ मुजरिमों की तरह सलूक किया और हाथ-पैर बांधकर भारत लाया. ट्रंप प्रशासन के द्वारा भारतीय लोगों को इस तरह भेजना भारत में बहस का मुद्दा बन गया है. इस मामले को लेकर देश में सियासत गरमाई हुई. सभी विपक्षी पार्टियां पीएम मोदी पर हमलावर हैं. इस बीच, नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास की तरफ से इस मामले लेकर बयान जारी किया गया है.
अमेरिकी दूतावास का बयान
अमेरिकी दूतावास ने बयान जारी करते हुए कहा कि 'अवैध रूप से अमेरिका में घुसने वालों को वापस भेजा जाएगा. अमेरिका के इमिग्रेशन कानूनों का पालन करना नेशनल सिक्योरिटी और जनता की सुरक्षा के लिए जरूरी है.' इतना ही नहीं दूतावास ने ट्रंप के नक्शे कदम पर चलते हुए 'अवैध प्रवासियों को ‘एलियंस’ कहकर संबोधित किया. उन्होंने कहा कि इन्हें देश से निकालना सरकार की प्राथमिकता है.'
कैसे पकड़े गए भारतीय नागरिक?
अमेरिका के मिलिट्री प्लेन बुधवार को दोपहर करीब 2 बजे अमृतसर एयरपोर्ट पर लैंड किया. अमेरिका से भारत भेजे गए कुल 104 भारतीय नागरिकों में 79 पुरुष और 25 महिलाएं समेत कई बच्चे भी शामिल हैं.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये भारतीय वैध वीजा के साथ भारत से रवाना हुए थे. लेकिन बताया जा रहा है कि इन भारतीयों को उस वक्त पकड़ा गया जब वे मेक्सिको-अमेरिका सीमा पर ( डंकी रूट के जरिए ) अवैध तरीके से अमेरिका में घुसने की कोशिश कर रहे थे. इसी दौरान इमिग्रेशन एजेंसी ने इन्हें पकड़ लिया और फिर डिपोर्ट करने का फैसला लिया.
पहली बार मिलिट्री प्लेन का इस्तेमाल
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस की कुर्सी दूसरी बार संभालते ही अवैध प्रवासन के मामले में कड़ा रुख अपनाए हुए हैं. उन्होंने पिछले साल दिसंबर में चुनाव जीतने के बाद कहा था कि वो सभी अवैध प्रवासियों को डिटेंशन सेंटर में न रखकर उनके देश भेजना चाहते हैं. हालांकि, अमेरिका पहली बार अवैध प्रवासियों को उनके देश वापस भेजने के लिए मिलिट्री प्लेन का इस्तेमाल किया है, जबकि सैन्य विमान सिविल विमानों की तुलना में कई गुना महंगे होते हैं. बावजूद फिर भी ट्रंप ने यही विकल्प चुना. इससे पहले ग्वाटेमाला, पेरू, होंडुरास और इक्वाडोर के अवैध प्रवासियों को भी इसी तरह भेजा गया था.
ट्रंप की सख्त नीति का संकेत
ट्रंप प्रशासन ने साफ कर दिया है कि वह अवैध प्रवासन को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगा. उन्होंने कहा था कि वह प्रवासियों को डिटेंशन सेंटर में 20 साल नहीं रखना चाहते, बल्कि तुरंत उनके देश भेजना चाहते हैं. ट्रंप का यह फैसला दुनिया को यह दिखाने के लिए भी लिया गया कि वे इस मुद्दे पर कितने सख्त हैं.
अमेरिका की इस कार्रवाई ने भारत में नई बहस छेड़ दी है. विपक्षी पार्टियां मोदी सरकार पर सवाल उठा रहे हैं कि वह भारतीय नागरिकों की सुरक्षा को लेकर गंभीर क्यों नहीं है. वहीं, कई नेताओं ने कहा कि भारतीय प्रवासियों के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार गलत है. इसे लेकर कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियां नरेंद्र मोदी सरकार को घेरने की पूरी कोशिश कर रही हैं.