सूर्य से उठने वाले तूफान बहुत नुकसान कराते हैं, ISRO के Aditya-L1 मिशन से पता चला पृथ्वी को बचाने का तरीका
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सूर्य से उठने वाले तूफान बहुत नुकसान कराते हैं, ISRO के Aditya-L1 मिशन से पता चला पृथ्वी को बचाने का तरीका

Aditya L1 Mission Findings: भारत के आदित्य-एल1 सौर मिशन से ऐसी खोजें सामने आई हैं जो भविष्य की सौर गतिविधियों से पृथ्वी के बुनियादी ढांचे की रक्षा करने में मदद कर सकती हैं.

सूर्य से उठने वाले तूफान बहुत नुकसान कराते हैं, ISRO के Aditya-L1 मिशन से पता चला पृथ्वी को बचाने का तरीका

ISRO Aditya L1 Mission: भारत के आदित्य-L1 मिशन ने पहली बड़ी उपलब्धि हासिल की है. उसने वैज्ञानिकों को बहुमूल्य डेटा मुहैया कराया है जो घातक सौर गतिविधि से पृथ्‍वी के इंफ्रास्ट्रक्चर को बचा सकता है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिकों ने कहा कि मिशन की खोजें, अगली बार जब सौर गतिविधियां पृथ्वी और अंतरिक्ष में बुनियादी ढांचे के लिए खतरा पैदा करेंगी, तो बिजली ग्रिड और संचार उपग्रहों को खतरे से दूर रखने में मददगार होंगी. भारत ने इसी साल आदित्य-एल1 मिशन लॉन्च किया था. उस पर सात तरह के वैज्ञानिक उपकरण लगे हैं, जिनमें से एक ने जुलाई में यह डेटा कैप्चर किया.

Aditya-L1 पर लगे Velc या विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ ने एक कोरोनल मास इजेक्शन (CME) की शुरुआत का सटीक समय बताया है. CMEs सूर्य की बाहरी कोरोना परत से निकलने वाले आवेशित कणों के विशाल विस्फोट को कहते हैं. CMEs की स्टडी करना आदित्य-L1 के मिशन उद्देश्‍यों में सबसे अहम है.

धरती की ओर बढ़ा आग का गोला, फिर बदला रास्ता

Velc को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (IIA) के प्रोफेसर आर रमेश ने डिजाइन किया है. उन्होंने बताया, 'आवेशित कणों से बना एक CME एक ट्रिलियन किलोग्राम तक वजनी हो सकता है. यात्रा करते समय यह 3,000 किलोमीटर प्रति सेकंड तक की गति प्राप्त कर सकता है. यह पृथ्वी की ओर या किसी भी दिशा में जा सकता है. अब कल्पना कीजिए कि यह विशाल आग का गोला पृथ्वी की ओर तेजी से बढ़ रहा है। अपनी अधिकतम गति पर, पृथ्वी-सूर्य की 150 मिलियन किलोमीटर की दूरी तय करने में इसे लगभग 15 घंटे लगेंगे.'

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प्रोफेसर रमेश का रिसर्च पेपर Astrophysical Journal Letters में छपा है. इसके मुताबिक, Velc ने 16 जुलाई को जिस CME को कैप्चर किया, वह 13:08 (GMT - ग्रीनविच मीन टाइम) पर शुरू हुआ था. रमेश के मुताबिक, इसकी शुरुआत धरती की ओर हुई थी लेकिन आधे घंटे की यात्रा के बाद यह दूसरी दिशा में चला गया, सूर्य के पीछे. चूंकि यह बेहद दूर था, इसलिए पृथ्‍वी के मौसम पर असर नहीं दिखा.

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क्यों खास है आदित्य-एल1 का Velc?

Velc एक तरह का कोरोनाग्राफ है जिसे यूं डिजाइन किया गया है कि यह पूर्ण सूर्यग्रहण के प्रभावों को सिमुलेट करता है. हमें जमीन से सूर्य एक नारंगी गोले जैसा दिखता है, लेकिन Velc उसकी सबसे चमकदार परत - फोटोस्फीयर - को ब्लॉक कर देता है जिससे सूर्य का कोरोना सामने आ जाता है. यानी, आदित्य L1 लगातार सूर्य की बाहरी परत को निहारता रहता है.

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