Vastu Secrets: सही वास्तु से चमक सकती है कुंडली! जानें कौन से ग्रह होते हैं प्रभावित
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Vastu Secrets: सही वास्तु से चमक सकती है कुंडली! जानें कौन से ग्रह होते हैं प्रभावित

Vastu Shastra Secrets: वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर का निर्माण और उसकी संरचना व्यक्ति के जीवन पर सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है. वहीं, ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की स्थिति भी जीवन की घटनाओं को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.

Vastu Secrets: सही वास्तु से चमक सकती है कुंडली! जानें कौन से ग्रह होते हैं प्रभावित

Vastu Secrets: वास्तु शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र दोनों ही व्यक्ति के जीवन को गहराई से प्रभावित करते हैं. वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर का निर्माण और उसकी संरचना व्यक्ति के जीवन पर सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है. वहीं, ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की स्थिति भी जीवन की घटनाओं को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. जब वास्तु और कुंडली के ग्रह सही सामंजस्य में होते हैं, तो व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है.

अगर घर के निर्माण में दिशाओं का ध्यान न रखा जाए या घर में वास्तु दोष उत्पन्न हो जाए, तो यह न केवल व्यक्ति के भाग्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है, बल्कि मानसिक तनाव, आर्थिक समस्याओं और पारिवारिक कलह को भी जन्म दे सकता है. कुंडली में ग्रहों की स्थिति यदि पहले से ही कमजोर हो, और वास्तु दोष इसे और बढ़ा दे, तो जीवन में बाधाएं अधिक आ सकती हैं. इसलिए, सही वास्तु अपनाकर ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है और जीवन में सुख-शांति लाई जा सकती है.

कैसे जुड़े हैं वास्तु और कुंडली?

प्रत्येक ग्रह किसी न किसी दिशा से जुड़ा होता है, और वास्तु शास्त्र में भी दिशाओं का विशेष महत्व है. उदाहरण के लिए-

सूर्य - पूर्व दिशा का स्वामी है.

चंद्रमा - उत्तर दिशा से संबंधित है.

मंगल - दक्षिण दिशा का कारक है.

बुध - उत्तर-पूर्व दिशा से जुड़ा है.

गुरु (बृहस्पति) - उत्तर-पूर्व दिशा का स्वामी है.

शुक्र - पश्चिम दिशा से संबंधित है.

शनि - पश्चिम और दक्षिण-पश्चिम दिशा से जुड़ा होता है.

राहु-केतु - उत्तर-पश्चिम और दक्षिण-पश्चिम दिशाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं.

घर का निर्माण और ग्रहों का प्रभाव

यदि घर का निर्माण वास्तु सिद्धांतों के अनुसार नहीं किया जाता है, तो वहां रहने वालों पर ग्रहों का नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.

यदि व्यक्ति की कुंडली में कोई ग्रह कमजोर है या अशुभ स्थिति में है, तो घर का वास्तु दोष इस प्रभाव को और अधिक बढ़ा सकता है.

घर के गलत दिशा में बने दरवाजे, रसोई, शौचालय, और सीढ़ियां भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं.

वास्तु दोष से होने वाली समस्याएं

वास्तु दोष के कारण व्यक्ति को विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.

स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां

आर्थिक नुकसान और करियर में बाधाएं

पारिवारिक कलह और वैवाहिक जीवन में तनाव

मानसिक अशांति और निरंतर चिंता

संतान पक्ष से जुड़ी समस्याएं

कुंडली के ग्रहों के आधार पर वास्तु दोष का पता कैसे लगाएं?

ज्योतिष शास्त्र में चतुर्थ भाव घर और भूमि का कारक माना जाता है. यदि इस भाव में कोई अशुभ ग्रह स्थित है, तो घर में वास्तु दोष उत्पन्न हो सकता है.

चंद्रमा- मन और घर का कारक होता है. यदि चंद्रमा कमजोर है, तो घर में शांति नहीं रहती और पारिवारिक अशांति बनी रहती है.

सूर्य- आत्मबल और स्वास्थ्य का कारक होता है. यदि सूर्य कमजोर है, तो घर के सदस्यों का स्वास्थ्य प्रभावित होता है.

मंगल- क्रोध और विवाद का कारक होने के कारण यदि मंगल अशुभ स्थिति में हो, तो घर में कलह और झगड़े होते हैं.

शनि- यदि शनि कमजोर या अशुभ स्थिति में हो, तो घर में नकारात्मकता, आलस्य और आर्थिक तंगी बनी रहती है.

वास्तु दोष के निवारण के उपाय

यदि घर में वास्तु दोष है, तो कुछ विशेष उपायों को अपनाकर इसे दूर किया जा सकता है. सही उपाय अपनाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और नकारात्मक प्रभावों से बचा जा सकता है. आइए जानते हैं कुछ महत्वपूर्ण वास्तु दोष निवारण उपाय.

1. ज्योतिषीय सलाह लें: यदि आप भी लगातार किसी न किसी परेशानी से गुजर रहे हैं, जैसे कि आर्थिक तंगी, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ या पारिवारिक कलह, तो किसी अनुभवी और प्रतिष्ठित ज्योतिषी से परामर्श लें. वे आपकी कुंडली और घर के वास्तु का गहराई से विश्लेषण करके उचित समाधान सुझा सकते हैं, जिससे जीवन में शांति और समृद्धि बनी रहे.

2. मुख्य द्वार का सही दिशा में होना: घर के मुख्य द्वार की दिशा वास्तु शास्त्र में अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है. इसे पूर्व या उत्तर दिशा में बनाना सबसे अधिक शुभ माना जाता है, क्योंकि यह दिशाएँ सकारात्मक ऊर्जा और प्रगति का प्रतीक होती हैं. यदि मुख्य द्वार गलत दिशा में है, तो वहां पंचमुखी हनुमान जी की तस्वीर लगाकर या वास्तु दोष निवारण यंत्र का उपयोग करके दोषों को कम किया जा सकता है.

3. पूजा स्थल सही स्थान पर हो: घर में पूजा स्थल का स्थान विशेष रूप से उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए, क्योंकि यह ईशान कोण कहलाता है, जो दिव्य ऊर्जा का केंद्र माना जाता है. यदि यह गलत स्थान पर हो, तो घर में शांति भंग हो सकती है. पूजा स्थल को हमेशा स्वच्छ और सुगंधित रखना चाहिए और यहाँ नियमित रूप से दीप जलाना और मंत्र जाप करना शुभ माना जाता है.

4. सूर्य की रोशनी का प्रवेश: घर में प्राकृतिक रोशनी और वायु संचार का उचित होना बहुत जरूरी है. सुबह के समय सूर्य की किरणें घर में प्रवेश करने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. यदि घर में रोशनी कम आती है, तो हल्के रंगों का उपयोग करें, दर्पण लगाएँ और कृत्रिम रोशनी के विकल्प बढ़ाएँ.

5. रसोई घर की सही स्थिति: वास्तु शास्त्र के अनुसार, रसोई घर को दक्षिण-पूर्व (अग्नि कोण) दिशा में रखना सबसे अधिक शुभ माना जाता है, क्योंकि यह अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करता है. यदि रसोई गलत दिशा में है, तो खाना बनाने वाले को पूर्व दिशा की ओर मुख करके भोजन बनाना चाहिए. साथ ही, गैस स्टोव और पानी की निकासी के स्थान को संतुलित करने के लिए वास्तु उपाय अपनाने चाहिए.

6. नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए उपाय: घर में सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने के लिए नियमित रूप से कपूर जलाना, सेंधा नमक के पानी से फर्श का पोछा लगाना और तुलसी का पौधा लगाना बहुत लाभकारी होता है. यह उपाय नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में मदद करते हैं और घर के वातावरण को पवित्र बनाते हैं. इसके अलावा, हर पूर्णिमा और अमावस्या को घर में गंगा जल का छिड़काव करना भी शुभ होता है.

7. शयन कक्ष की दिशा: सोने के लिए सिर दक्षिण या पूर्व दिशा में होना चाहिए, ताकि स्वास्थ्य और मानसिक शांति बनी रहे. गलत दिशा में सिर करके सोने से नींद में बाधा आ सकती है, स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं और तनाव बढ़ सकता है. बेडरूम में दर्पण को इस प्रकार लगाएँ कि वह बिस्तर के सामने न हो, अन्यथा यह वास्तु दोष उत्पन्न कर सकता है और मानसिक अस्थिरता का कारण बन सकता है.

8. वास्तु दोष निवारण यंत्र का प्रयोग: यदि घर में लगातार समस्याएँ बनी रहती हैं और कोई समाधान नहीं दिख रहा, तो वास्तु दोष निवारण यंत्र का प्रयोग किया जा सकता है. यह यंत्र विभिन्न प्रकार के होते हैं, जैसे कि श्री यंत्र, वास्तु पिरामिड, नवग्रह यंत्र आदि, जो घर में सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने और नकारात्मक प्रभावों को कम करने में सहायक होते हैं. इन्हें घर में उचित स्थान पर स्थापित करके लाभ प्राप्त किया जा सकता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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