China Biggest Dam: चीन ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाने जा रहा है, जिसे लेकर भारत सरकार भी अलर्ट हो गई है. संसद में मोदी सरकार ने कहा कि उसने इस पर संज्ञान लिया है. चीन का यह बांध मौजूदा सबसे बड़े थ्री गॉर्जेस डैम से भी तीन गुना बड़ा होगा.
Trending Photos
China New Dam: चीन ब्रह्मपुत्र नदी पर सबसे बड़ा बांध बना रहा है, जो उसके मौजूदा थ्री गॉर्जेस बांध से भी 3 गुना बड़ा होगा. अब इस पर मोदी सरकार ने संसद में जवाब दिया है. संसद में केंद्र सरकार ने बताया कि उसने तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में यारलुंग सांगपो (ब्रह्मपुत्र के ऊपरी हिस्से) नदी के निचले हिस्से पर एक विशाल बांध परियोजना की चीन की घोषणा पर संज्ञान लिया है.
विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में यह भी कहा कि सीमा पार नदियों से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चीन के साथ "संस्थागत विशेषज्ञ स्तरीय तंत्र" के तहत चर्चा की जाती है, जिसे 2006 में स्थापित किया गया था, साथ ही राजनयिक माध्यम से भी चर्चा की जाती है.
चीन के बांध से बढ़ गई टेंशन
मंत्रालय से पूछा गया था कि क्या भारत और बांग्लादेश में बहने वाली ब्रह्मपुत्र नदी पर जलविद्युत बांध बनाने के चीन के फैसले से निचले इलाकों में रहने वाले लाखों लोगों पर पड़ने वाले संभावित प्रभाव के बारे में चिंताएं पैदा हुई हैं. उन्होंने कहा, "भारत सरकार ने तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में यारलुंग सांगपो नदी के निचले हिस्से पर एक विशाल बांध परियोजना को मंजूरी देने की चीन की घोषणा पर संज्ञान लिया है.
इससे पहले चीन ने भारत की सीमा के पास तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाने की अपनी योजना को लेकर कहा था कि प्रस्तावित परियोजना गहन वैज्ञानिक सत्यापन से गुजर चुकी है और नदी प्रवाह के निचले इलाकों में स्थित भारत और बांग्लादेश पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा. लगभग 13.7 अरब अमेरिकी डॉलर की अनुमानित लागत वाली यह परियोजना पारिस्थितिक रूप से नाजुक हिमालयी क्षेत्र में टेक्टोनिक प्लेट सीमा पर स्थित है, जहां अक्सर भूकंप आते रहते हैं.
क्या बोले चीन के अधिकारी
पिछले महीने चीनी विदेश मंत्रालय के नए प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने कहा था, 'यारलुंग जांगबो नदी के निचले इलाकों में जलविद्युत परियोजना पर चीन ने अपना रुख साफ कर दिया है. मैं दोहराना चाहता हूं कि परियोजना के निर्माण का निर्णय गहन वैज्ञानिक मूल्यांकन के बाद लिया गया और इस परियोजना से पारिस्थितिकी पर्यावरण, भूवैज्ञानिक स्थितियों और प्रवाह के निचले देशों के जल संसाधनों से संबंधित अधिकारों और हितों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा.'