फरवरी में कब रखा जाएगा द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत, नोट कर लें सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि
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फरवरी में कब रखा जाएगा द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत, नोट कर लें सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित है. कहते हैं कि इस दिन विधि-विधान से गणपति की पूजा-अर्चना करने पर उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है. ऐसे में आइए जानते हैं कि इस बार द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत कब रखा जाएगा.

फरवरी में कब रखा जाएगा द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत, नोट कर लें सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2025: द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. भगवान गणेश को समर्पित इस व्रत का विशेष महत्व है.  कहते हैं कि द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने पर तमाम उलझनों से मुक्ति मिलती है, साथ ही गणपति की विशेष कृपा प्राप्त होती है. कहा जाता है कि विधि-विधान से द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने पर घर में सुख-शांति संमृद्धि का आगमन होता है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि फरवरी में द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत कब रखा जाएगा, पूजन के लिए शुभ मुहूर्त, विधि और मंत्र क्या है.

कब रखा जाएगा द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत

वैदिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन कृष्ण चतुर्थी तिथि की शुरुआत 15 फरवरी को रात को 11 बजकर 52 मिनट पर होगी. जबकि इस तिथि का समापन 17 फरवरी को रात 02 बजकर 15 मिनट पर होगा. ऐसे में उदया तिथि की मान्यता के अनुसार, इस बार 16 फरवरी को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत-पूजन किया जाएगा.

पूजन विधि

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान इत्यादि दैनिक कर्म से निवृत हो जाएं. इसके बाद सबसे पहले सूर्य देव को अर्घ्य दें. फिर,  पूजा मंदिर में चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश और शिव परिवार की प्रतिमा स्थापित करें. इतना करने के बाद उन्हें मोदक, लड्डू, अक्षत और दूर्वा इत्यादि अर्पित करें. इसके बाद भगवान गणेश के मस्तक पर तिलक लगाएं. पूजन के अंत में भगवान गणेश की आरती करें और व्रत कथा का पाठ करें.

गणेश मंत्र 

ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ 

निर्विघ्नं कुरू मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा 

ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ति प्रचोदयात्

ॐ गणेश ऋणं छिन्धि वरेण्यं हुं नमः फट्

 (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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