पति की हुई मौत तो शादियों में खाना बनाकर कमाया, 10 साल बाद बेटी को बनाया CID ऑफिसर; पढ़ें Success Story
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पति की हुई मौत तो शादियों में खाना बनाकर कमाया, 10 साल बाद बेटी को बनाया CID ऑफिसर; पढ़ें Success Story

Daughter Became CID Officer: मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है. जी हां, ऐसा ही कुछ कर दिखाया है हनुमानगढ़ जिले के टिब्बी तहसील के गांव सिलवाला कलां की एक विधवा की बेटी सिमरजीत कौर ने.

 

पति की हुई मौत तो शादियों में खाना बनाकर कमाया, 10 साल बाद बेटी को बनाया CID ऑफिसर; पढ़ें Success Story

Success Story: मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है. जी हां, ऐसा ही कुछ कर दिखाया है हनुमानगढ़ जिले के टिब्बी तहसील के गांव सिलवाला कलां की एक विधवा की बेटी सिमरजीत कौर ने. सिमरजीत कौर का सीआईडी आईबी व जयपुर कमिश्नरेट में चयन हुआ है, लेकिन वे सीआईडी आईबी ज्वाइन करेगी. दस साल पहले अचानक एक दिन पति शार्दुल सिंह के असमय निधन के बाद तीन बच्चों की मां मनजीत कौर के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया. सिमरजीत कौर की मां मनजीत कौर ने दस साल पहले अपने पति शार्दुल सिंह की असमय मौत के बाद दो बेटियों व एक छोटे बेटे की परवरिश की जिम्मेदारी आ पड़ी, जिसे मनजीत कौर ने मेहनत कर बेटी को सफलता तक पहुंचाने में सफल हुईं.

पति के मौत के बाद मां ने बच्चों को पढ़ाया

बेटी की सफलता ने माता की दस वर्ष की तपस्या को सफल कर दिया. तीन बच्चों की मां मनजीत कौर ने असमय पति को खोने के बाद अपने जीवन का लक्ष्य बच्चों के भविष्य को बनाना मान कर हाड तोड़ मेहनत की. शादियों में खाना तक बनाया ताकि बच्चों की शिक्षा के लिए धन की कमी नहीं आने दी. मनजीत कौर ने बताया कि दस साल पहले पति के मृत्यु के बाद लोगों के घर व शादियों में रोटी बनाने का कार्य बच्चों को पालने का कार्य किया. अब बेटी की सफलता पर मनजीत कौर के आंखों में खुशी के आंसू निकल पड़े. उन्होंने कहा कि बड़ी मुश्किल से बच्चों को पाला है. 

शादी में जाकर खाना बनाया करती थीं मनजीत कौर

सिमरजीत कौर ने बताया कि पिता की मौत के बाद उनकी जिंदगी बहुत ही अभावों में गुजरी है. मां ने लोगों के घरों और शादियों में रोटी बनाने का कार्य कर उसे इस मुकाम पर पहुंचाया. इसी बीच सिमरजीत कौर की छोटी बहन राजपाल कौर ने भी बहन के भविष्य को देखते हुए पढ़ाई बीच में छोड़ दी. अब वे अपनी बहन की पढ़ाई फिर से शुरु कराएगी. उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय मां मनजीत कौर और छोटी बहन राजपाल कौर को दिया. मां के बेटी की पढ़ाई के लिए लोगों के घरों में काम कर बच्चों का लालन-पालन किया. छोटी बहन ने घर में गाय का दूध बेचकर बड़ी बहन की पढ़ाई का खर्च वहन किया.

लोग देते थे ताना लेकिन बेटी पढ़कर बन गईं ऑफिसर

सूरतगढ़ के शहीद भगत सिंह एकेडमी के सलीम सर ने उन्हें निःशुल्क फिजिकल की तैयारी करवाई, जिसके लिए सिमरजीत हमेशा उनके आभारी रहने की बात कहती है. सिमरजीत की शुरुआती शिक्षा प्राथमिक गांव सिलवाला कलां में हुई तथा माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्तर की शिक्षा तलवाड़ा झील के सरकारी स्कूल में हुई है. सिमरजीत को उच्च शिक्षा टिब्बी के कस्वां कन्या पीजी कॉलेज से प्राप्त हुई. सिमरजीत कौर ने बताया की बेटियों की पढ़ाई के प्रति लोगों की सोच सकारात्मक नहीं रही. लोग अक्सर उनके परिवार को ताना देते थे कि बेटियों को पढ़ाकर कौन-सा अफसर बनाना है.  बेटियों को शादी कर दूसरे घर ही तो भेजना है, लेकिन एक मां में अपनी बेटी को अफसर बनाने की जिद्द और जूनून ने बेटी को अफसर बना दिया.

सिमरजीत कौर ने बताया कि लोगों को बेटियों के प्रति अपनी सोच बदलनी होगी. बेटियां पढ़ सकतीं हैं, आगे बढ़ सकती हैं. मां-बाप को बिना बेटा-बेटी का भेदभाव किए मौका देना चाहिए. बच्चियों पर विश्वास करना चाहिए. उनको पढ़ाना चाहिए, ताकि वो भी मेरी तरह आगे बढ़े. बेटियों को खास समय दें. जिंदगी का एक ही मकसद था कि मम्मी-पापा का नाम रोशन करुं और वो कर दिखाया है.

अब बेटी का दो सरकारी नौकरी में चयन होने पर एक मां के उन प्रयासों को हौसले के पंख मिल गए, जिन्हें वो पिछले 10 साल से मेहनत कर पूरा करने का प्रयास कर रही थीं. इस सफलता में उस बहन के प्रयास को भी नकारा नहीं जा सकता जिसने गाय का दूध बेचकर बहन की सफलता के हवन में आहूति में अपनी शिक्षा और समय दोनों झोंक दिए.

रिपोर्ट: मनीष शर्मा 

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