महान राजा पृथ्वीराज चौहान जो हिंदू वंश के क्षत्रिय राजा थे. इनकी आंख नहीं होने के बावजूद भी इन्होंने मुहम्मद गौरी को मार दिया था.
महान सम्राट पृथ्वीराज चौहान हिंदू वंश के क्षत्रिय राजा थे .12वीं सदी में उन्होंने दिल्ली और अजमेर पर राज किया था.इनका जन्म 1166 में अजमेर में चौहान घराने में हुआ था.पृथ्वीराज चौहान बचपन से ही बहुत स्वाभिमानी थे.इनकी माता का नाम कपूर्वी देवी था. महान सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने पिता की मृत्यु के बाद अजमेर की गद्दी संभाली थी.इनकी उम्र लगभग 13 साल की थी जब इन्होंने अजमेर की गद्दी संभाली थी.
महान सम्राट पृथ्वीराज चौहान बचपन से ही बेहतरीन योद्धा थे. बचपन में ही इन्होंने बहुत से गुण सीख लिए थे.पृथ्वीराज चौहान के दादा जी जब उनकी बहादुरी के किस्से सुने तो वे बहुत प्रभावित हुए.इसीलिए उन्हें दिल्ली का सम्राट बनाने का ऐलान कर दिया.इनकी एक कथा बहुत प्रचलित है कि एक बार बिना तलवार के इन्होंने शेर को हरा दिया था.
सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने 13 साल की उम्र में ही गुजरात के राजा भीमदेव को युद्ध में हरा दिया था.पृथ्वीराज चौहान जी को कुल छह भाषा का ज्ञान था.इसमें संस्कृत, प्राकृत, मागधी, पैशाची, शौरसेनी और अपभ्रंश भाषा है.उन्हें विज्ञान और चिकित्सा का ज्ञान था.जितने बलवान पृथ्वीराज चौहान थे उतनी ही बलवान उनकी सेना थी.उनकी सेना में कुल 300 हाथी थे और 3 लाख सैनिक थे. इनकी सेना में घुड़सवार भी शामिल थे.इनका राज्य राजस्थान से लेकर हरीयाणा तक फैला था.
पृथ्वीराज चौहान और चंदबरदाई बचपन के सबसे अच्छे दोस्त थे. चंदबरदाई एक कवि और लेखक भी थे. इन्होंने सम्राट पृथ्वीराज चौहान के ऊपर महाकाव्य लिखा है. 1191 के पहले युद्ध में मुहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज चौहान को हराना चाहा पर सफल नहीं हुआ.पृथ्वीराज चौहान ने मुहम्मद गौरी को युद्ध में 17 बार हराया है.18वीं बार मुहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज चौहान के ससुर जयचंद की सहायता ली और पृथ्वीराज चौहान को हरा दिया .मुहम्मद गौरी ने फिर पृथ्वीराज चौहान औक चंदरदाई को कैद कर लिया था.
मुहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज चौहान को आंखे निकालने की सजा दी थी.पृथ्वीराज चौहान ने चंदबरदाई के साथ मिलकर मुहम्मद गौरी को खत्म करने की योजना बनाई.चंदबरदाई शब्दों के बाण एकदम सटीक चलाना जानते थे.पृथ्वीराज चौहान को जहां अपनी कला का प्रदर्शन करना था वहां पर मुहम्मद गौरी भी मौजूद था.महफिल शुरु होने वाली थी तभी चंदबरदाई ने एक दोहा कहा-'चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण, ता ऊपर सुल्तान है मत चूके चौहान'.
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