कई लोगों को रात में अच्छी नींद के लिए तकिए की आवश्यकता होती है. तकियों का प्रयोग बिलकुल ठीक होता है, लेकिन यदि तकियों के कवर को नियमित रूप से बदलना नहीं जाता, तो इसमें बीमारियों का खतरा हो सकता है.
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रात की नींद को आरामदायक बनाने के लिए तकिये की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. कई लोगों को रात में अच्छी नींद के लिए कई तकिए की आवश्यकता होती है. तकियों का प्रयोग बिलकुल ठीक होता है, लेकिन यदि तकियों के कवर को नियमित रूप से बदलना नहीं जाता, तो इसमें बीमारियों का खतरा हो सकता है. एक नए शोध में पता चला है कि तकिये के लिहाफ (कवर) में टॉयलेट सीट की तुलना में 17 हजार गुना बैक्टारिया पनप रहे हैं.
अमेरिका के कॉर्नेल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने यह दावा किया. उन्होंने लिहाफ पर लिए गए स्वाब टेस्ट से पाया कि डेड स्किन सेल्स पसीने, मल और लार के कारण कीटाणुओं से भरी हुई हैं. अध्ययन के दौरान बिना धोए तकिये के नमूने एकत्र किए गए और इन्हें सात दिनों तक रखा गया. इसमें बैक्टीरिया का पता चला, जो त्वचा में संक्रमण का कारण बन सकता है
अध्ययनों के अनुसार, औसत व्यक्ति हर 24 दिनों में कवर को बदलता या साफ करता है. त्वचा विशेषज्ञ डॉ. हेडली किंग ने बताया कि जब हम बिस्तर पर जाते हैं, तो इस दौरान मृत त्वचा कोशिकाएं और पसीना या धूल के कण भोजन बैक्टीरिया को भोजन प्रदान करते हैं और उन्हें बिस्तर की ओर आकर्षित करते हैं। इस दौरान वह तेज गति से बढ़ते हैं.
कॉटन से ज्यादा सिल्क का कवर होता है अच्छा
तकिए का खोल यदि सिल्क का हो तो इससे बैक्टीरिया लगने के चांसेज कम होते हैं और इससे पिंपल्स भी नहीं होते. स्टडी में पाया गया कि स्किन की हेल्थ के लिए तकिए में कॉटन कवर से अच्चा सिल्क कवर होता है. सिल्क कवर के इस्तेमाल से चेहरे पर पिंपल्स होने का खतरा कम होता है.
इन चीजों को भी बदलना जरूरी
यदि आप अपनी स्किन को हेल्दी रखना चाहते हैं तो बिस्तर की इन चीजों को भी नियमित रूप से बदलनी चाहिए. इनमें शामिल हैं-पिलो केस यानी तकिए का खोल, बेडशीट, मेकअप ब्रश, ब्यूटी ब्लैंडर्स और तौलिए.