जान से खिलवाड़ के बराबर LT चेयरमैन की सलाह, 90 घंटे काम किए तो क्या होगा सेहत का हाल, डॉ. ने बताया दिया
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जान से खिलवाड़ के बराबर LT चेयरमैन की सलाह, 90 घंटे काम किए तो क्या होगा सेहत का हाल, डॉ. ने बताया दिया

90 Hours Work Week Impact On Health: एल टी चेयरमैन सुब्रह्मण्यन के हफ्ते में 90 घंटे काम करने के बयान पर एक बहस सी छिड़ गयी है. बेशक इसका फायदा कंपनी को होगा लेकिन सेहत पर इसका असर भयंकर हो सकता है. 

जान से खिलवाड़ के बराबर LT चेयरमैन की सलाह, 90 घंटे काम किए तो क्या होगा सेहत का हाल, डॉ. ने बताया दिया

आमतौर पर ऑफिस में 8 घंटे से 9 घंटे प्रतिदिन काम करने का नियम होता है, जो कि हफ्ते में 40- 54 घंटे बराबर है. प्राइवेट कंपनियों में अलग-अलग पाली में काम करवाया जाता है, जिससे 24 घंटे प्रोडक्शन हो और फायदा ज्यादा हो सके. इसके बदले में कंपनी अपने कर्मचारियों को कुछ हेल्थ बेनिफिट्स भी देती है. लेकिन यह इतना नहीं होता है कि नाइट शिफ्ट और लंबे घंटो तक काम करने के नुकसान की भरपाई कर पाए. 

ऐसे में इंजीनियरिंग सेक्टर की बड़ी कंपनी एल एंड टी के चेयरमैन (L&T Chairman) एसएन सुब्रह्मण्यन ने कर्मचारियों को सप्ताह में 90 घंटे काम करने की सलाह दी है. हालांकि इसकी आलोचना दीपिका पादुकोण जैसी हस्तियों ने भी किया है, लेकिन फिर भी सेहत पर पड़ने वाले इसके प्रभावों को समझ लेना जरूरी है. इसके लिए हमने डॉ. टी.एस. क्लेर चेयरमैन और एचओडी - बीएलके-मैक्स हार्ट एंड वैस्कुलर इंस्टीट्यूट, चेयरमैन पैन मैक्स - इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी से बातचीत की है.

वर्किंग आवर पर डॉक्टर की राय 

लंबे घंटे काम करना मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डाल सकता है. कई अध्ययन और विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार, सप्ताह में 42 से 48 घंटे तक काम करना शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए ठीक माना जाता है. लेकिन जब यह समय बढ़कर 90 घंटे या उससे अधिक हो जाता है, तो इससे सबसे ज्यादा नुकसान दिल को पहुंचता है. 

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कामकाजी घंटों के प्रभाव और दिल की सेहत

एक्सपर्ट का कहना है कि लंबे काम के घंटों से दिल की बीमारियों, हाई बीपी और स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है. जब किसी व्यक्ति पर लगातार तनाव बना रहता है, तो शरीर में तनाव हार्मोन जैसे कोर्टिसोल और एड्रेनालाईन का रिलीज होता है, जो दिल पर दबाव डालते हैं.

90 घंटे काम से जानलेवा बीमारियों का रिस्क

- अत्यधिक तनाव और थकावट के कारण हाई बीपी और कोरोनरी आर्टरी डिजीज (दिल की धमनियों की बीमारी) जैसी बीमारियां बढ़ सकती हैं.

- मानसिक तनाव और थकावट से न केवल शरीर, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है. यह अवसाद, चिंता और मानसिक थकावट का कारण बन सकता है.

- ज्यादा घंटों तक काम स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है. अधिक काम करने से शरीर थका हुआ महसूस करता है, जो रक्त संचार में गड़बड़ी का कारण बन सकता है.

- लंबे घंटे काम करने से पर्याप्त नींद नहीं मिल पाती, जिससे हार्ट की रिकवरी प्रभावित होती है और हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ सकता है.

- अधिक काम के कारण सही खानपान और शारीरिक गतिविधि की कमी हो जाती है, जिससे कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर बढ़ सकता है.

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हेल्दी लाइफ के लिए जरूरी ये चीजें 

अपने काम और निजी जीवन के बीच संतुलन बनाएं. योग, ध्यान और गहरी सांस लेने की तकनीकों का अभ्यास करें ताकि मानसिक तनाव को कम किया जा सके. रात को 7-8 घंटे की नींद लेने की कोशिश करें ताकि शरीर को ठीक से रिकवरी का समय मिल सके. फलों, सब्जियों, ओमेगा-3 फैटी एसिड जैसे हृदय के लिए फायदेमंद आहार को शामिल करें. सप्ताह में कम से कम 150 मिनट की हल्की व्यायाम गतिविधि करें. इसके साथ ही रेगुलर मेडिकल चेकअप भी करवाना जरूरी है. 

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

 

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