24 अकबर रोड: कांग्रेस से भी मजबूत वो पेड़, जिसके गिरते ही हिल गई थी पार्टी की जड़ें; अटल जी बने थे PM
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24 अकबर रोड: कांग्रेस से भी मजबूत वो पेड़, जिसके गिरते ही हिल गई थी पार्टी की जड़ें; अटल जी बने थे PM

Congress New Headquarter: आज यानी 15 जनवरी को कांग्रेस का पता बदलने जा रहा है. अब तक 24 अकबर रोड कांग्रेस का पता था लेकिन अब से कांग्रेस का नया पता इंदिरा भवन 9-A कोटला मार्ग हो गया है. इस मौके पर हम आपको कांग्रेस के पुराने मुख्यालय से जुड़ी एक दिलचस्प कहानी बताने जा रहे हैं. 

24 अकबर रोड: कांग्रेस से भी मजबूत वो पेड़, जिसके गिरते ही हिल गई थी पार्टी की जड़ें; अटल जी बने थे PM

Congress Headquarter: पिछली 5 दहाइयों से कांग्रेस पार्टी का पता '24 अकबर रोड' था लेकिन आज यानी 15 जनवरी को ये बदल जाएगा. क्योंकि पार्टी का नया मुख्यालय अब 'इंदिरा भवन' 9-A कोटला मार्ग में तैयार हो गया है और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी आज इसका उद्घाटन करेंगी. इस मौके पर कांग्रेस के पुराने मुख्यालय '24 अकबर रोड' के बारे में कई दिलचस्प कहानियां बताई जा रही हैं. इसी कड़ी में हम आपको 24 अकबर रोड वाले मुख्यालय के एक पेड़ की कहानी बताने जा रहे हैं, जिसे कांग्रेस की बुनियादों से भी मजबूत समझा जाता था और जब ये पेड़ एक दिन अचानक गिर गया तो पूरी पार्टी में हड़कंप मच गया था. साथ ही राजनीतिक गलियारों पेड़ गिरने की घटना को कांग्रेस की स्थिति से आंका जाने लगा था. 

पेड़ गिरने से पूरी पार्टी हैरान

दरअसल मई 1999 में दिल्ली के अंदर आए एक तूफान ने कांग्रेस की जड़ें हिला थीं. कांग्रेस मुख्यालय '24 अकबर रोड' में मौजूद 100 वर्ष पुराना पेड़ इस आंधी तूफान में धराशाई हो गया था. इस हादसे में एक 8 साल के बच्चे की मौत होने के अलावा एक बेहद पुराना मंदिर भी नष्ट हो गया था. पेड़ और ये मंदिर कांग्रेस के प्रतीक के रूप में जाने जाते थे. यहां तक कि पार्टी के कुछ लोग यहां अपनी इच्छाओं को लेकर भी आया करते थे. जब पेड़ गिरने की खबर सोनिया गांधी को मिली तो वो भी हैरान रह गई थीं. 

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पेड़ गिरने के बाद पार्टी को हुआ झटका

कांग्रेस के लिए ये समय काफी उठा-पटक वाला था और विपक्षी पार्टी कांग्रेस पर हावी थी, क्योंकि अगले कुछ महीनों में लोकसभा चुनाव भी होने थे. चुनाव से कुछ महीने पहले ये पेड़ गिरने की घटना को राजनीतिक गलियारों में कांग्रेस की तत्काली स्थिति के तौर पर देखा जाने लगा था. पेड़ गिरने के बाद 5 सितंबर से लेकर 3 अक्टूबर के बीच हुए 13वीं लोकसभा के चुनावों में भी कांग्रेस की जड़ें उसी पेड़ की तरह काफी कमजोर नजर आईं, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस को शिकस्त दे दी थी और अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने थे. भारतीय जनता पार्टी को 182, जबकि कांग्रेस के खाते में 114 सीटें आई थी और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार अगले 5 वर्षों तक चली थी. 

कांग्रेस ने अगले चुनाव में की वापसी

हालांकि कांग्रेस पार्टी ने अगले ही चुनावों में वापसी की और एक बार फिर सत्ता पर कब्जा कर लिया. हालांकि भाजपा और कांग्रेस के बीच का अंतर बहुत ज्यादा नहीं था. कांग्रेस ने सोनिया गांधी के नेतृत्व में 145 तो भाजपा ने 138 सीटें जीती थीं. कांग्रेस ने अन्य पार्टियों के साथ मिलकर सरकार बनाई और डॉ. मनमोहन सिंह पहली बार प्रधानमंत्री बने थे. इसके बाद मनमोहन सिंह अगले 10 वर्ष यानी 2014 तक देश के प्रधानमंत्री बने रहे. क्योंकि इसके बाद 2009 में होने वाले लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने 206 सीटें जीतीं और भाजपा नीचे गिरकर 116 पर आ गई.

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