Indian Army Day 2025: आज सेना दिवस है, 15 जनवरी को हर साल सेना दिवस मनाया जाता है. इस मौके पर हम आपको यह बताने जा रहे हैं कि इंडियन आर्मी को पहला भारतीय अध्यक्ष कैसे मिला? क्योंकि कहा जाता है कि पंडित नेहरू का कहना था कि कि हमारे पास तजुर्बा नहीं है इसलिए सेनाध्यक्ष कोई अंग्रेज होना चाहिए
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Army Day 2025: हर साल 15 जनवरी का देशभर में सेना दिवस मनाया जाता है. हालांकि भारतीय सेना की स्थापना 1 अप्रैल 1895 को हुई थी लेकिन सेना दिवस 15 जनवरी इसलिए बनाया जाता है, क्योंकि यह वो दिन जब किसी भारतीय ने इस सेना की कमान संभाली थी. जी हां 15 जनवरी 1949 को पहली इंडियन आर्मी को पहला भारतीय अध्यक्ष मिला था, जिनका नाम था केएम करियप्पा. करियप्पा ने जनरल फ्रांसिस बुचर की जगह ली थी. केएम करियप्पा को भारतीय सेना का अध्यक्ष बनाया जाना भी बेहद दिलचस्प है. क्योंकि कहा जाता है कि नेहरू तजुर्बे के अभाव के चलते यह अंग्रेज के पास ही रहने देना चाहते थे.
दरअसल आजादी के बाद जब भारतीय सेना के अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर एक मीटिंग बुलाई गई. जिसमें डिफेंस के कई बड़े अधिकारियों समेत कांग्रेस पार्टी तमाम बड़े नेता भी मौजूद थे. कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया जाता है कि इसी मीटिंग में पंडित नेहरू ने कहा था कि उन्हें लगता है कि हमारे पास आर्मी का ज्यादा तजुर्बा नहीं है, इसलिए आर्मी चीफ किसी अंग्रेज को ही रहना चाहिए. हालांकि इसी मीटिंग मौजूद ले. जनरल नाथू सिंह राठौड़ ने नेहरू के इस विचार पर आपत्ति जताई. जबकि मीटिंग में मौजूद ज्यादातर लोग नेहरू की बात से इत्तेफाक रखते थे.
नाथू सिंह राठौड़ ने अपनी आपत्ति में कहा,'सर, हमें देश को चलाने के लिए कोई अनुभव नहीं हैं, तो क्या हमें किसी अंग्रेज को ही भारत का प्रधानमंत्री नहीं चुन लेना चाहिए?' नाथू सिंह राठौर का इतना कहना था कि मीटिंग में मौजूद सभी लोग उनके मुंह को देखते रह गए और अचानक एक खामोशी सी छा गई. हालांकि उनके इस विरोध के बाद कुछ और लोगों ने भी उनका समर्थन किया. जिसके बाद यह तय हुआ कि किसी अंग्रेज को सेना का अध्यक्ष नहीं बनाया जाएगा.
इसके बाद देश के पहले डिफेंस मिनिस्टर सरदार बलदेव सिंह ने नाथू सिंह राठौड़ को ही यह पोस्ट ऑफर की तो उन्होंने लेने से भी इनकार कर दिया और कहा कि मेरे सीनियर जनरल केएम करिअप्पा इस पोस्ट के लिए सबसे योग्य व्यक्ति हैं. जिसके बाद पहली बार इंडियन आर्मी को भारतीय अध्यक्ष मिला. इसी दिन को याद करते हुए 1 अप्रैल की बजाए 15 जनवरी को सेना दिवस मनाया जाता है. इससे पहले करियप्पा ब्रिटिश इंडियन आर्मी में एक बटालियन का नेतृत्व कर रहे थे.