Sena Diwas 2025: हर साल 15 जनवरी को आर्मी डे यानी सेना दिवस मनाया जाता है. इस मौके पर हम देश के पहले सेनाध्यक्ष केएम करियप्पा की बहादुरी से जुड़ी एक कहानी बताने जा रहे हैं, जब उनका बेटा पाकिस्तान में फंस गया था और उन्होंने बेटे को बचाने से इनकार कर दिया था.
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Army Day 2025: आज सेना दिवस है, ये वही दिन है जब पहली बार भारतीय सेना को भारतीय अध्यक्ष मिला था, इससे पहले तक सभी सेनाध्यक्ष अंग्रेज थे. केएम करियप्पा को आजाद देश का पहला सेनाध्यक्ष चुना गया था. उनके अध्यक्ष बनने की कहानी बेहद दिलचस्प है, लेकिन यहां हम आपको केएम करियप्पा की वो कहानी बताएंगे जब उनका बेटा पाकिस्तान के कब्जे में था और अगर वो चाहते थे उसे छुड़ा सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.
दरअसल 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच जंग हुई थी. इस दौरान केएम करियप्पा के बेटे केसी करियप्पा भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दे रहे थे. 1965 की जंग में एयर मार्शल केसी करियप्पा इंडियन एयर फोर्स का हंटर एयरक्राफ्ट को लेकर पाकिस्तान की सरहद में घुस गए थे. हालांकि पाकिस्तानी फौज ने यह एयरक्राफ्ट मार गिराया था, साथ ही केसी करियप्पा को युद्धबंदी बना लिया था. दूसरी तरफ केएम करियप्पा भी भारतीय सेना के अध्यक्ष पद से रिटायर हो चुके थे.
इस दौरान पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल अय्यूब खान थे, जो केएम करियप्पा के अंडर में काम कर चुके थे. ऐसे में उन्होंने तुरंत फौरन अपने पूर्व बॉस केएम करियप्पा को फोन किया और बताया कि उनका बेटा सही सलामत है और वो जल्द ही उनके बेटे को रिहा कर देंगे. हालांकि केएम करियप्पा का जवाब काफी बहादुरी भरा था. उन्होंने खुश हुए बगैर कहा कि मेरा बेटा सिर्फ मेरा बेटा नहीं है, वो अपने देश की रक्षा के लिए लड़ रहा है. आपने जो उसके लिए अभी तक किया है उसके लिए शुक्रिया लेकिन आप उसपर खास रहम मत कीजिए, जब बाकी युद्ध बंधियों को रिहा किया जाए तभी उसे भी रिहा करें.
केएम करियप्पा कर्नाटक के चिकमंगलूर में 28 जनवरी 1899 को जन्मे थे. उन्होंने पहले ब्रिटिश भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दी थीं. हालांकि आजादी के बाद उन्हें देश का पहला अध्यक्ष चुना गया था. केएम करियप्पा को अप्रैल 1986 में भारतीय सेना की सर्वोच्च पदवी फील्ड मार्शल से सम्मानित किया गया था. उनसे पहले ये पदवी सिर्फ जनरल सैम मानेकशॉ को 1973 में दी गई थी. ये पदवी हासिल करने वाले भारतीय सेना में अभी तक सिर्फ दो लोग ही हुई हैं.