Arvind Kejriwal News: सवाल ये भी है कि अब अरविंद केजरीवाल क्या करेंगे? क्योंकि उनके पास कोई संवैधानिक पद है नहीं और राज्यसभा जाने के लिए भी अरविंद केजरीवाल को 3 साल का इंतजार करना पड़ेगा.
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What will Arvind Kejriwal Do: दिल्ली में मिली करारी हार (AAP loses Delhi poll) के बाद आम आदमी पार्टी मंथन में जुटी है. लेकिन सवाल है कि अब आम आदमी पार्टी की आगे की रणनीति क्या होगी. क्योंकि 10 साल तक सत्ता में रहने के बाद AAP को जनता ने नकार दिया है. ऐसे में जमीनी स्तर पर पार्टी को एक बार फिर से उठाने के लिए आम आदमी पार्टी को काफी मशक्कत का सामना करना पड़ेगा. सवाल ये भी है कि अब अरविंद केजरीवाल क्या करेंगे? क्योंकि उनके पास कोई संवैधानिक पद है नहीं और राज्यसभा जाने के लिए भी अरविंद केजरीवाल को 3 साल का इंतजार करना पड़ेगा.
आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कई बार कहा था, 'दिल्ली के मालिक हम हैं. दिल्ली के मालिक ये लोग नहीं हैं'. उनकी इस बात को 'आप' के नेताओं के अहंकार से जोड़कर देखा गया था. दिल्ली में 10 साल तक दिल्ली में आम आदमी पार्टी का राज रहा, लेकिन इस बार के चुनाव में AAP को करारी हार का सामना करना पड़ा. सवाल अब अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली पार्टी के भविष्य को लेकर भी उठ रहे हैं. सवाल उठ रहे हैं कि दिल्ली चुनाव में हार के बाद 'आप' का क्या होगा.
सवाल उठ रहा है कि सालभर पहले तक PM बनने की ललक रखने वाले अरविंद केजरीवाल के हाथ से CM की कुर्सी भी फिसल गई है.
ऐसे में अब अरविंद केजरीवाल क्या करेंगे?
केजरीवाल की आगे की रणनीति क्या होगी?
आम आदमी पार्टी दिल्ली में विपक्ष की भूमिका निभाने को तैयार है. लेकिन पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल के हाथ खाली हैं. अब केजरीवाल जनप्रतिनिधि नहीं हैं. उनके पास कोई संवैधानिक पद नहीं है. ना ही केजरीवाल 2028 से पहले राज्यसभा के सदस्य बन सकते हैं. हार के बाद केजरीवाल को खुद को राजनीति में प्रासंगिक बनाने के लिए बहुत संघर्ष करना होगा.
फिलहाल, राष्ट्रीय संयोजक की जिम्मेदारी के साथ पार्टी की रणनीति को जमीन पर उतारना होगा. चूंकि, पंजाब में राज्यसभा के चुनाव साल 2028 में होंगे और दिल्ली में साल 2030 में होंगे. ऐसे में अगले 3 साल तक राज्यसभा जाने की उम्मीदें भी दूर-दूर तक नहीं दिख रही हैं.
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क्या जेल जाएंगे केजरीवाल और खत्म हो जाएगा आम आदमी पार्टी का वजूद?
एक आशंका ये भी है कि प्रवर्तन निदेशालय ने शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में AAP को भी आरोपी बनाया है और कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की है. अगर कोर्ट में दोष साबित होता है तो ना सिर्फ पार्टी खत्म हो सकती है, बल्कि केजरीवाल के पास भी संयोजक का पद नहीं रह जाएगा. राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष के तौर पर मिली सरकारी सुविधाएं भी छीनी जा सकती हैं.
दिल्ली में AAP की हार का गहरा असर ना सिर्फ केजरीवाल की राजनीति पर पड़ेगा. बल्कि पार्टी के प्रभाव को भी धुंधला कर सकता है. साथ ही मनीष सिसौदिया के राजनीतिक भविष्य को लेकर भी चिंता बढ़ गई है. क्योंकि बीजेपी के आने के बाद मनीष सिसौदिया के करप्शन की फाइल एक बार फिर से खुल सकते हैं. ऐसे में मनीष सिसौदिया की मुसीबत बढ़ना तय माना जा रहा है.
अब आम आदमी पार्टी की सरकार सिर्फ पंजाब में बची है. इस हार से निश्चित तौर पर पार्टी हाईकमान चिंतित होगा और पंजाब के किले को बरकरार रखने के लिए नई रणनीति के साथ मैदान में उतरना पड़ सकता है.
अब आम आदमी पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपनी साख बचाने की है. क्या वो जनता के बीच अपनी पुरानी छवि दोबारा बना पाएगी या ये हार ‘आप’ के अस्तित्व के लिए संकट बन जाएगी?. ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा.