Gyanvapi Survey ASI Report: ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे की ASI रिपोर्ट सार्वजनिक हो गई है. हिन्दू पक्ष ने जीपीआर तकनीक से परिसर की सच्चाई सामने आने का दावा भी कर दिया है.
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Gyanvapi News: काशी विश्वनाथ परिसर से जुड़ी ज्ञानवापी मस्जिद की एएसआई रिपोर्ट सार्वजनिक हो गई है. रिपोर्ट लेने के बाद हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु जैन ने प्रेस कान्फ्रेंस की. ज्ञानवापी मस्जिद पर एएसआई सर्वे रिपोर्ट में साफ बताया गया है कि यहां पहले हिन्दू मंदिर था. एएसआई रिपोर्ट पढ़ते हुए हिन्दू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने ये दावा किया है. उन्होंने कहा कि यहां पहले हिन्दू मंदिर था. इससे जुड़े 32 सबूत एएसआई सर्वे में जुटाए गए हैं. रिपोर्ट में नागर शैली के हिसाब से तमाम साक्ष्य मिले हैं, जो मंदिर की गवाही दे रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि खंभों की नक्काशी को क्षति पहुंचाई गई है. मंदिर को गिराने का फारसी भाषा में आदेश है. टूटे पत्थर पर मस्जिद निर्माण की तारीख अंकित है. वहीं एएसआई रिपोर्ट के एक हफ्ते बाद ही वाराणसी जिला जज ने व्यासजी तहखाना में पूजा पाठ की इजाजत भी हिन्दू पक्ष को दे दी है. यहां 1993 से पूजा अर्चना बंद थी.
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यह भी कहा गया है कि पुराने मंदिर के सबूत को मिटाया गया है. जितनी भी चीजें मिली हैं, उन्हें मिटाया गया है. तहखाने में हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियां मिली हैं. दरवाजों पर पशु-पक्षियों के चित्र मिले हैं. मंदिर में थोड़े शिलालेख भी मिला है. जैन ने कहा कि साफ है कि मंदिर के अवशेषों पर मस्जिद मिली है. गलियारे में कुआं भी मिला है. यह भी कहा गया है कि वहां दीवार पर मस्जिद 17वीं सदी में मस्जिद निर्माण की तारीख भी अंकित थी, जिसे मिटाने का प्रयास किया गया.
स्वास्तिक के निशान औऱ नागदेवता के निशान मिले हैं. चौकोर अरघा मिला है, जिसे शिवलिंग का बताया जा रहा है. चतुर्भुज मूर्ति मिली है. एक जनेऊधारी मूर्ति मिली है. हिन्दू पक्ष का दावा है कि 300 से ज्यादा सबूत मिले हैं, जो चीख चीखकर वहां हिन्दू मंदिर होने का दावा कर रहे हैं. वहां तांबे का कलश, सिक्के आदि है. तहखाने में शेर के रूप में नरसिंह भगवान की भी तस्वीर मिली है.
जैन के अनुसार, एएसआई साफ कह रहा है कि पहले के स्तंभ का दोबारा इस्तेमाल किया गया है. तहखाना एस2 है, उसमें हिन्दू देवी देवताओं की मूर्तियां हैं. पश्चिमी दीवार हिन्दू मंदिर का हिस्सा है.पहले हिन्दू मंदिर का स्ट्रक्चर को 17 वीं शताब्दी में तोड़ा गया. यहां मस्जिद से पहले हिन्दू मंदिर था. 839 पेज की एएसआई की मेन रिपोर्ट है. आगे वजुखाने का भी सर्वे कराया जाएगा.
विष्णु जैन - महामुक्ति मण्डप लिखा हुआ है। एएसआई सर्वे के दौरान एक पत्थर मिला, जिसका रिकॉर्ड एएसआई के पास पहले से था। ये जो पत्थर है वो मस्ज़िद के अंदर से मिला। उसको मिटाया गया। औरंगज़ेब के आदेश पर 1669 को विश्वनाथ मंदिर को ढहाने का ज़िक्र किया गया।
विष्णु जैन - मन्दिर के पिलर्स का उपयोग मस्ज़िद बनाने में इस्तेमाल किया गया. तहखाना एस 2 में हिन्दू देवी देवताओं की मूर्तियां मिट्टी के अंदर दबे पाए गए.
विष्णु जैन - पश्चिमी दीवार से साबित होता है कि मस्ज़िद हिन्दू मन्दिर का हिस्सा है. हिन्दू मंदिर को 17वीं शताब्दी में तोड़कर मस्ज़िद का निर्माण किया गया, ऐसा लगता है। ये पाया गया है कि मस्ज़िद से पहले एक हिन्दू मन्दिर मौजूद था.
विष्णु जैन - एएसआई ने ये साफ़ कर दिया है कि जहां ज्ञानवापी है, वहां 7वीं शताब्दी से पहले हिन्दू मंदिर था.
पूर्वी दीवार पर हिन्दू मंदिर का हिस्सा है. मंदिर को 17वीं सदी में औरंगजेब के आदेश पर तोड़ा गया. फारसी भाषा में मासिर ए आलमगीरी का यह आदेश भी यहां पत्थर में अंकित था, इस आदेश का टूटा पत्थर भी मिला है. विष्णु जैन का कहना है कि इस मामले में प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट लागू नहीं होता, क्योंकि यहां हमेशा से मंदिर था.
देवनागरी ग्रंथ तेलगु और कन्नड़ में जनार्दना रुद्र और उमेश्वर ये तीन नाम इंगित मिले हैं. महामुक्ति मंडप भी लिखा दिखा है. एएसआई प्रारूप बता रहा कि कैसे ये हिन्दू मंदिर हुआ करता था. एएसआई कह रहा कि खम्भे हिन्दू मंदिर के थे, इसे रीयूज किया गया.
उसके बाद होटल में सार्वजनिक प्रेस वार्ता कर जानकारी देंगे. वाराणसी में विश्वनाथ मंदिर के पास भी सुरक्षा बढ़ा दी गई है. संवेदनशील इलाकों में प्रशासनिक चहलकदमी बढ़ी है. कोर्ट परिसर के आसपास भी पुलिसकर्मियों की आमद बढ़ गई है.
हिंदू पक्ष ने सर्टिफाइड कॉपी के लिए कोर्ट में आवेदन दिया था. अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने जी मीडिया से बातचीत में बताया कि हमने आवदेन दे दिया है. अगर आज रिपोर्ट उपलब्ध नहीं हुई तो 29 जनवरी तक इंतजार करना होगा. पुरातत्व विभाग की टीम ने करीब 136 दिनों तक अध्ययन कर 1600 पेज की ये रिपोर्ट तैयार की है. ये रिपोर्ट गुरुवार को कोर्ट में खोली गई. कोर्ट ने सभी पक्षों को रिपोर्ट की कॉपी देने को कहा था. हैदराबाद के साथ अमेरिका के वैज्ञानिकों ने जीपीआर तकनीक के जरिये 10 मीटर तक गहराई तक अध्ययन किया था.
हिन्दू पक्ष की तीन मांगें
मुस्लिमों का प्रवेश ज्ञानवापी परिसर में रोका जाए.
ज्योर्तिलिंग की पूजा करने का अधिकार हिंदुओं को दिया जाए
पूरा परिसर हिन्दू के नियंत्रण दिया जाए
एएसआई ने जीपीआर तकनीक के अलावा फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की है. ऊपरी हिस्से में दिखने वाली आकृतियों की स्थलीय बनावट, काल और ढांचे का अनुमान लगाया गया है.
वहीं ज्ञानवापी के 1991 के मूल मालिकाना हक के मामले में भी गुरुवार को सुनवाई हुई. सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट में इसकी सुनवाई हुई. इसमें भी पक्षकारों ने कोर्ट में ASI की सर्वे रिपोर्ट को प्राप्त करने के लिए प्रार्थना पत्र दिया. प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने 30 जनवरी की तारीख मुकर्रर की है. इसी कोर्ट में 24 जनवरी को ASI ने हाइकोर्ट के निर्देश पर सर्वे रिपोर्ट जमा किया है. इलाहाबाद हाइकोर्ट ने पूरे मामले को 6 महीने के अंदर निस्तारित करने का निर्देश भी दिया है. इस केस में रामलला विराजमान की तरह बाबा विश्वेश्वरनाथ को खुद एक पक्षकार की तरह पेश किया गया है यह उस विवादित जगह के मालिकाना हक से जुड़ा मामला है.
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