Uttrakhand News: उत्तराखंड में अभी से होली का रंग चढ़ने लगा है. इन दिनों पहाड़ पर होली की अलग ही छटा देखने को मिल रही है. खास तौर पर कुमाऊं की खड़ी होली...
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देहरादून: उत्तराखंड ( Uttarakhand) में अभी से होली (Holi 2023) का रंग चढ़ने लगा है. इन दिनों पहाड़ पर होली (Mountain Ke Holi) की अलग ही छटा देखने को मिल रही है. खास तौर पर कुमाऊं की खड़ी होली का अपना ही रंग है. सरोवर नगरी नैनीताल में मां नंदा देवी के मंदिर में होला-होली गायन किया गया. होली के गीतों के गाते होल्यारों की ये तस्वीर आपको ये बताने के लिए काफी है, कि पहाड़ में किस तरह से होली खेली जाती है. अगले कुछ दिन पहाड़ में अलग-अलग जगह से होली के ऐसे ही रंग देखने को मिलेंगे. दरअसल, पहाड़ की महिलाएं खास तौर पर इस समृद्ध परंपरा को आगे बढ़ा रहीं.
महोत्सव में प्रतिभाग कर रही महिलायें भी काफी उत्साहित
आपको बता दें कि होली महोत्सव में प्रतिभाग कर रही महिलाएं होली को लेकर बहुत उत्साहित हैं. महिलाओं की मानें तो होली एक ऐसा मंच है, जहां महिलाएं अपने-अपने घरों से बाहर निकलकर पहाड़ों की परंपरा को आगे बढ़ा रही हैं. ऐसा करके वो न केवल उत्तराखंड की परम्परा को आगे बढ़ा रही हैं, बल्कि उसे बचाने के लिए अहम योगदान दे रही हैं. वहीं, होली के माध्यम से उन्हें बड़ा मंच भी दिया जा रहा है. जानकारी के मुताबिक पहाड़ों में त्यौहारों और संस्कृति को संरक्षित करने में पहाड़ की महिलाएं अहम योगदान दे रही है. इस तरह होली के माध्यम से महिलाएं उत्तराखंड की समृद्ध परंपरा को बढ़ाने में अपना सहयोग दे रही हैं.
साल भर तक होली के इस त्यौहार का इंतजार रहता
आपको बता दें कि पहाड़ों में महिलाओं को साल भर होली का इंतजार रहता है. बेसबरी से होली महोत्सव का इंतजार करने वाली होलियार महिलाएं बताती हैं कि उन्हें साल भर होली का इंतजार रहता है. खास तौर पर होली गायन के लिए तकरीबन एक महिने पहले से बैठक शुरू हो जाती है. इसके बाद सभी महिलाएं होली की तैयारियों में लग जाती हैं. जानकारी देते हुए होली जुलूस में प्रतिभाग करने वाली महिलाओं ने बताया कि इन कार्यक्रमों के जरिए उत्तराखंड की होली गायन की संस्कृति को जीवित रखने का राम सेवक सभा और महिला होली दल कर रहे हैं.