UP Congress News: बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बाद उत्तर प्रदेश कांग्रेस संगठन में भी बड़े स्तर पर फेरबदल की तैयारी है. सूबे में लंबे अरसे से सत्ता से दूर कांग्रेस अभी से 2027 विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई है.
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UP Politics: यूपी विधानसभा चुनाव 2027 में अभी भले समय बाकी हो लेकिन कांग्रेस ने अभी से इसको लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं. प्रदेश में खोई सियासी जमीन को दोबारा हासिल करने के लिए कांग्रेस संगठन को नए सिरे से तैयार करेगी. यानी चुनाव से पहले यूपी कांग्रेस में जिलाध्यक्ष से लेकर महानगर अध्यक्ष तक बड़े स्तर पर फेरबदल किया जाएगा. बुधवार को पार्टी मुख्यालय पर हुई बैठक में संगठन को मजबूत करने के लिए रणनीति तैयार की गई.
बदलेंगे कांग्रेस जिला और महानगर अध्यक्ष
यूपी में कांग्रेस पार्टी संगठन में जिला अध्यक्षों से लेकर महानगर अध्यक्षों की तैनाती अब नए सिरे से करने की कोशिश में जुट गई है. नई कवायद के तहत यूपी को प्रियंका गांधी के वक्त से छह जोन में बांटा गया था. उसे कंटीन्यू रखते हुए अब हर जोन में लगभग 10 से लेकर 13 जिले रखे गए हैं. पार्टी हर जिले में एक जिलाध्यक्ष और एक महानगर अध्यक्ष की नियुक्ति नए अंदाज और नई प्रक्रिया के तहत करेगी. इसके बाद भंग की गईं सभी इकाई को दोबारा से गठित किया जाएगा.
यूपी में संगठन को नए सिरे से तैयार करेगी कांग्रेस
उत्तर प्रदेश में संगठन सृजन का कार्य चल रहा है जिसमें प्रदेश, मंडल, ब्लाक और बूथ स्तर तक की कमेटियों का गठन किया जाना है. संगठन चुनाव के पहले चरण में 75 जिले और 58 शहर इकाइयों का गठन होगा. इसमें सहयोग और मार्गदर्शन के लिए वरिष्ठ कांग्रेस के नेताओं की एक चयन समिति गठित की गई है. जिसमें भूतपूर्व प्रदेश अध्यक्ष सलमान खुर्शीद, अरुण कुमार मुन्ना, राज बब्बर, बृजलाल खाबरी,सांसद किशोरी लाल शर्मा, पूर्व सांसद पीएल पुनिया, कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा, विधायक वीरेन्द्र चौधरी शामिल हैं. इस प्रक्रिया का पहला चरण आगामी 12 जनवरी को समाप्त होगा.
जिलाध्यक्ष-महानगर अध्यक्ष पद के लिए मांग गए आवेदन
पार्टी के संगठन के विस्तार के लिए हर जोन में जो भी जिलाध्यक्ष और महानगर अध्यक्ष के पद के लिए इच्छुक हैं, उनसे आवेदन मांगे गए हैं. प्रक्रिया पूरी होने के बाद कमेटी नई टीम को लेकर अपनी रिपोर्ट दिल्ली आलाकमान को सौंपेगी और दिल्ली आलाकमान इस रिपोर्ट के आधार पर उत्तर प्रदेश में पार्टी के हर जिले में नए जिलाध्यक्ष शहर अध्यक्ष प्रदेश कार्यकारिणी और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्यों का नाम का चयन करेगा.
यूपी में सत्ता में आए 39 साल बीते
यूपी में कांग्रेस की आखिरी बार साल 1985 में सरकार बनी थी. 269 सीटें जीतने वाली कांग्रेस से तब नारायण दत्त तिवारी मुख्यमंत्री बने. वह 1989 तक सीएम रहे. इसके बाद समीकरण ऐसे बने कि कांग्रेस का ग्राफ गिरता चला गया. अपने बलबूते सरकार बनाने का दमखम रखने वाली कांग्रेस 90वे के दशक में गठबंधन की बैसाखियों पर आ गई. पार्टी के वोट और सीटें धीरे-धीरे कम होते गए. 2012 में सपा के साथ कांग्रेस 114 सीटों पर चुनाव लड़ी. जिसमें केवल सात सीटें मिलीं और वोट शेयर 6.25 फीसदी पर आ गया. वहीं 2022 में कांग्रेस से केवल तीन विधायक चुनकर सदन पहुंच सके.
लोकसभा चुनाव 2024 से मिली संजीवनी
विधानसभा चुनाव से लेकर बीते लोकसभा चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन भले निराशाजनक रहा हो लेकिन 2024 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने बड़ा करिश्मा किया था. यूपी में समाजवादी पार्टी साथ चुनाव लड़ी कांग्रेस के खाते में 17 सीटें आईं, जिसमें 6 पर कांग्रेस ने परचम लहराया. यानी उसका स्ट्राइक रेट 35 फीसदी रहा. लोकसभा चुनाव में मिली अप्रत्याशित जीत से गदगद कांग्रेस अब प्रदेश में खोई सियासी जमीन को हासिल करने के लिए जुट गई है.