अखिलेश को चंद्रशेखर का करारा झटका, मिल्कीपुर में सपा के बागी को मैदान में उतारा
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अखिलेश को चंद्रशेखर का करारा झटका, मिल्कीपुर में सपा के बागी को मैदान में उतारा

Milkipur Bypoll 2025: मिल्कीपुर की सियासी लड़ाई दिलचस्प होती दिख रही है. आजाद समाज पार्टी मुखिया चंद्रशेखर ने यहां से सपा के बागी सूरज चौधरी को टिकट देकर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है.

Milkipur Byelection 2025

Milkipur Byelection 2025: मिल्कीपुर में अब तक बीजेपी बनाम सपा के बीच मुकाबला दिख रहा था. लेकिन ऐन मौके पर चंद्रशेखर आजाद ने यहां से उम्मीदवार उतारक मुकाबले को त्रिकोणीय और दिलचस्प बना दिया है. चंद्रशेखर ने मिल्कीपुर से सूरज चौधरी को मैदान में उतारा है, जो समाजवादी पार्टी से बगावत कर चुनाव लड़ने जा रहे हैं. बीजेपी से चंद्रभान पासवान और सपा से अजीत प्रसाद चुनाव लड़ रहे हैं.

कौन हैं सूरज चौधरी?
मिल्कीपुर से आजाद समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे सूरज चौधरी सपाई रहे हैं. एक समय  वह अवधेश प्रसाद के करीब थी. लेकिन अब अपने 500 समर्थकों संग आजाद समाज पार्टी में शामिल हो गए हैं. वह मिल्कीपुर से सपा के सिंबल पर चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन टिकट नहीं मिला. इसके बाद सपा छोड़कर वह चंद्रशेखर के साथ खड़े दिख रहे हैं. 

अवधेश प्रसाद पर लगाया आरोप
यही नहीं उन्होंने सांसद अवधेश प्रसाद पर परिवारवाद का आरोप लगाते हुए कहा कि लोकसभा के चुनाव मैं उनके साथ रहा उनके प्रचार-प्रसार में लेकिन जब टिकट की बात आई तो परिवारवाद करते हुए उन्होंने अपने बेटे अजीत प्रसाद को टिकट दिलवा दिया. सूरज चौधरी ने कहा कि मिल्कीपुर में बसपा और सपा के वोटर भी आज़ाद समाज पार्टी को ही वोट देंगे. इस बार मिल्कीपुर का इतिहास बदलने जा रहा है.

रोचक हुई मिल्कीपुर की लड़ाई
मिल्कीपुर की सियासी लड़ाई अब और दिलचस्प हो गई है. कांग्रेस और बसपा यहां से चुनाव नहीं लड़ रही है. अभी तक यहां मुकाबला सपा बनाम बीजेपी का था. लेकिन आजाद समाज पार्टी प्रत्याशी के मैदान में आने से त्रिकोणीय लड़ाई देखने को मिलेगी. ऐसे में सियासी गुणा-गणित लगना भी शुरू हो गया है कि सपा के बागी सूरज चौधरी के मैदान में उतरने से क्या नए समीकरण बनेंगे.

सियासी जानकारों की मानें तो सूरज चौधरी समाजवादी पार्टी की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं. वहीं बसपा और कांग्रेस के मैदान में न उतरने से बीजेपी से छिटकने वाला वोट आजाद समाज पार्टी के खेमे में जा सकता है. हालांकि बीजेपी की निगाहें सूरज चौधरी की रणनीति पर टिकी हैं. हालांकि मिल्कीपुर की कुर्सी जनता किसे सौंपेगी इसका फैसला 8 फरवरी को नतीजे आने के बाद ही हो पाएगा.

मिल्कीपुर के जातीय समीकरण
मिल्कीपुर में पासी समाज सबसे ज्यादा है. 1991 से अब तक हुए चुनाव में मिल्कीपुर में केवल दो बार बीजेपी को जीत मिली है. यहां 55 हजार पासी, 1 लाख 20 हजार अन्य दलित (कोरी व अन्य) हैं. इसके अलावा 55 यादव वोटर हैं. ब्राह्मण वोटर 60 हजार, ठाकुर 20 हजार और ओबीसी वोटर 50 हजार हैं.

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