Gyanvapi Case: काशी विश्वनाथ बनाम अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी के बीच ज्ञानवापी परिसर के मालिकाना हक को लेकर चल रहे केस की बाच हिंदू पक्ष को बड़ा झटका लगा है.
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Gyanvapi case: ज्ञानवापी परिसर के मालिकाना हक को लेकर चल रहे काशी विश्वनाथ बनाम अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद केस में कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है, इस केस के पहले वादी स्वर्गीय सोमनाथ व्यास के नाती योगेंद्र नाथ व्यास द्वारा खुद को वादी बनाए जाने की याचिका खारिज कर दी गई है.
काशी विश्वनाथ बनाम अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी के बीच ज्ञानवापी परिसर के मालिकाना हक को लेकर जो केस चल रहा था, उसमें केस का जो पहला वादी था सोमनाथ व्यास, उसके नाती ने खुद को वादी बनाने की याचिका दाखिल की थी. इसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है, क्योंकि याचिका मूल वादी सोमनाथ व्यास की मृत्यु के 23 साल बाद दाखिल की गई थी.
अदालत ने कहा कि यह याचिका मूल वादी सोमनाथ व्यास की मृत्यु के 23 साल बाद दाखिल की गई थी और प्रार्थी ने इस देरी का कोई ठोस कारण नहीं बताया. कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रार्थी द्वारा कोई ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया जो वादमित्र द्वारा केस में किसी अनियमितता को साबित करता हो.
आदेश के मुताबिक, 2019 में न्यायालय ने विजय शंकर रस्तोगी को वादी का वादमित्र नियुक्त किया था, जो केस का संचालन कर रहे हैं. कोर्ट ने प्रार्थनापत्र 507 (ग) को निरस्त करते हुए अन्य संबंधित आपत्तियों का भी निस्तारण कर दिया.
अब मामले में अगले चरण की सुनवाई 21 जनवरी 2025 को होगी. कोर्ट का यह फैसला केस की मौजूदा स्थिति को स्पष्ट करता है.
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