Ratha Sapatami 2024 Date And Time: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य देव का पूरे मन से पूजा अर्चना करने से जीवन से जुड़ी हर परेशानी को दूर किया जा सकता है और संकट टल जाते हैं. कुंडली में ग्रहों की स्थिति काफी मजबूत होने लगती है. जानें इस साल किस दिन रथ सप्तमी मनाना है?
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Ratha Saptami Upay: हिंदू धर्म शास्त्रों में सूर्यदेव की पूजा के बारे में कई-कई बार बताया गया है. दक्षिण भारत में रथ सप्तमी का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. माघ महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर इस त्योहार को मनाया जाता है. दरअसल, रथ सप्तमी को विशेष ये हुआ था कि इसी तिथि पर भगवान सूर्य देव का जन्म हुआ था. ऐसे में इस दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है.
रथ सप्तमी के व्रत का संकल्प करने से साथ में भगवान सूर्य की आराधना करने से इतना ही नहीं सूर्य देव से जुड़े कुछ उपाय करके व्यक्ति अपने शरीर की बीमारियों से छुटकारा पा सकता है. ज्योतिष शास्त्र की माने तो सूर्य देव का पूरे मन से पूजा अर्चना करने से जीवन से जुड़ी हर परेशानी को दूर किया जा सकता है और संकट टल जाते हैं. कुंडली में ग्रहों की स्थिति काफी मजबूत होने लगती है. जानें इस साल किस दिन रथ सप्तमी मनाना है? (Rath Saptami: Subh Mhurut, Puja Vidhi)
कब है रथ सप्तमी 2024
इस साल माघ माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली सप्तमी तिथि 15 फरवरी 2024 गुरुवार से ही सुबह के 10 बजकर 12 मिनट पर शुरू हो गया है और 16 फरवरी 2024 शुक्रवार सुबह 8 बजकर 54 मिनट तक रहने वाला है. हिंदू धर्म में पूजा-पाठ आदि उदयातिथि के हिसाब से ही मनाया जाता है ऐसे में उदायतिथि अनुसार यह पर्व 16 फरवरी को ही मनाया जाएगा.
रथ सप्तमी के दिन सूर्य देव का जन्म
पौराणिक कथाओं की माने तो माघ माह की सप्तमी तिथि के दिन ग्रहों के राजा और देवताओं के चिकित्सक सूर्य देव का जन्म हुआ. सूर्य देव के वाहन रथ में सात घोड़े हैं, ऐसे में इस तिथि को रथ सप्तमी के रूप जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि सूर्य देव ने अपने रथ पर सवार होकर रथ सप्तमी के दिन ही संसार को प्रकाश से अवलोकित किया और आज तक करते आ रहे हैं.
सूर्य को अर्घ्य देने की विधि जानें
ऐसा माना जाता है कि सूर्य देव को अगर रथ सप्तमी के दिन अर्घ्य दे तो रोगों से मुक्ति समेत कई दिक्कतों का अंत होता है. सूर्य देव की पूजा करने वालों को पूर्ण फल की प्राप्ति होती है अगर वो भगवान को सही विधि से अर्घ्य दें. इसके लिए रथ सप्तमी के दिन पवित्र नदी में सूर्योदय से पहले ही स्नान कर लें. नदी में डुबकी लगाते वक्त सिर पर बैर और मदार के सात-सात पत्ते रख लें और बैर और मदार के पत्ते समेत चावल, तिल, दूर्वा, चंदन मिलाकर भगवान सूर्य को अर्घ्य दें. साथ ही सप्तमी देवी को प्रणाम कर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें.
तीन स्नान के बाद अर्घ्य उगते हुए सूर्य को दें और सूर्य को नमस्कार कर घी का दीपक भी जलाएं. लाल फूल, कपूर के साथ ही धूप के साथ-साथ सूर्य देव की पूजा करें. इस अनुष्ठान को अगर किया जाए तो लंबी उम्र और सफलता पाई जा सकती है. रथ सपत्मी के दिन घर में सूर्य देव के स्वागत में रंगोली बनाना भी शुभ होता है. रथ सप्तमी के दिन आंगन में मिट्टी के बर्तन में अगर दूध रखकर सूर्य की गर्मी से उबाले और फिर इसी दूध का उपयोग सूर्य देव को भोग लगाएं चावलों में करे तो लाभ ही लाभ होगा.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEEUPUK इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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