काशी में 12 फरवरी को लगेगा 'महाकुंभ', माघी पूर्णिमा पर पांच लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं का पहुंचेगा सैलाब
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काशी में 12 फरवरी को लगेगा 'महाकुंभ', माघी पूर्णिमा पर पांच लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं का पहुंचेगा सैलाब

Saint Ravidas Birthaday: संत रविदास जयंती केवल एक पर्व नहीं, बल्कि संत रविदास के विचारों और उनके सामाजिक सुधार के संदेश को आत्मसात करने का अवसर है. वाराणसी में इस बार होने वाले आयोजन में श्रद्धालुओं की ऐतिहासिक भागीदारी देखने को मिलेगी. पीएम मोदी से लेकर राहुल गांधी तक तमाम बड़े नेता दर्शन के लिए आ चुके हैं. 

Varanasi News, Saint Ravidas

When is Saint Ravidas Birthaday: इस वर्ष 12 फरवरी को महान संत, कवि और समाज सुधारक संत रविदास की 648वीं जयंती पूरे देश में धूमधाम से मनाई जाएगी. उनकी जन्मस्थली वाराणसी के सीर गोवर्धन में विशेष आयोजन की तैयारियां जोरों पर हैं. देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचकर संत रविदास के दर्शन करेंगे और उनकी शिक्षाओं का अनुसरण करने का संकल्प लेंगे. 

श्रद्धालुओं का आगमन और आयोजन की भव्यता
10 फरवरी से ही रैदासियों (संत रविदास के अनुयायियों) का जत्था वाराणसी पहुंचना शुरू हो जाएगा. संत निरंजन दास भी 10 फरवरी को विशेष ट्रेन से वाराणसी पहुंचेंगे और तीन दिवसीय महोत्सव में शामिल होंगे. अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार 5 लाख श्रद्धालु इस पावन आयोजन में भाग लेंगे. इस दौरान श्रद्धालुओं के ठहरने और अन्य सुविधाओं के लिए 40 विशाल पंडाल तैयार किए गए हैं. पंजाब से 1000 सेवादारों का जत्था सेवा कार्यों के लिए पहले ही वाराणसी पहुंच चुका है. श्रद्धालुओं के लिए 700 क्विंटल अनाज और 15 क्विंटल लकड़ी भी जुटाई गई है. 

विशेष व्यवस्थाएं और मंदिर की ऐतिहासिकता
इस बार आयोजन स्थल पर जर्मन हैंगर टेंट लगाया जा रहा है, जो 300 फीट लंबा और 100 फीट चौड़ा होगा. इसके अलावा 30 वातानुकूलित कमरे और 100 से अधिक टेंट भी बनाए गए हैं. 

वाराणसी में संत रविदास का भव्य मंदिर 1965 में संत सरवन दास महाराज के नेतृत्व में बनवाया गया था. इस मंदिर का निर्माण 7 वर्षों में पूरा हुआ और 1972 में इसे श्रद्धालुओं के लिए खोला गया. मंदिर में रखी 130 किलो सोने की पालकी केवल रविदास जयंती के दिन ही बाहर निकाली जाती है. मंदिर में 35 किलो सोने का दीपक 2012 में चढ़ाया गया था, जिसमें अखंड ज्योति जलती रहती है. इस दीपक में एक बार में 5 किलो घी भरा जाता है. 

600 साल पुराना इमली का पेड़
मंदिर के पास स्थित 600 साल पुराना इमली का पेड़ भक्तों के लिए श्रद्धा का केंद्र है. ऐसा कहा जाता है कि 14वीं शताब्दी में संत रविदास इसी पेड़ के नीचे बैठकर सत्संग किया करते थे. आज भी भक्त यहां आकर मत्था टेकते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूरी होने की प्रार्थना करते हैं. 

मंदिर का विकास और महत्वपूर्ण घटनाए
2024: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लंगर हॉल और रविदास पार्क का उद्घाटन किया था. 
2023: सीएम योगी आदित्यनाथ ने 24 करोड़ रुपए की लागत से संत रविदास म्यूजियम बनाने की घोषणा की.
2019: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर के सुंदरीकरण और विस्तारीकरण की आधारशिला रखी. 
2015: मंदिर में अखंड स्वर्ण दीप जलाने की परंपरा शुरू हुई. 
2012: मंदिर के मुख्य शिखर को स्वर्ण मंडित किया गया. 
2010: काशी में "रविदासिया धर्म" की स्थापना हुई. 
2008: पंजाब से स्वर्ण पालकी लाई गई, जिसे तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने लोकार्पित किया.
1994: कांशीराम ने मंदिर पर पहला स्वर्ण कलश चढ़ाया.

राजनीतिक हस्तियों की उपस्थिति
संत रविदास की जयंती के  मौके पर हर साल देश की कई प्रमुख राजनीतिक हस्तियां वाराणसी के सीर गोवर्धन मंदिर में हाजिरी लगाती हैं. यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पूर्व मुख्यमंत्री मायावती, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी सहित कई बड़े नेता दर्शन के लिए आ चुके हैं. 

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