Bhai Dooj 2023: हर साल कार्तिक मास में दिवाली के दो दिन बाद भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है. आइये जानते हैं इस दिन का महत्व, शुभ मुहूर्त और मान्यता
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Bhai Dooj 2023: 12 नवंबर को दिवाली मनाई जाएगी. दीपावली के दो दिन बाद और गोवर्धन पूजा के ठीक अगले दिन भाई दूज (Bhai Dooj 2023 Kab hai) मनाया जाएगा. हिंदू पंचाग के अनुसार, हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है. भाई दूज को यम द्वितीया (Yam Dwitiya) या भ्रातृ द्वितीया भी कहा जाता है. यह पर्व भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का प्रतीक है. इस त्योहार के साथ ही पांच दिन के दीपोत्सव का समापन हो जाता है. इस साल भाई दूज 15 नवंबर को मनाया जाएगा. आइये जानते हैं कि यह त्योहार क्यों मनाया जाता है और इसके पीछे की मान्यता क्या है.
क्यों मनाया जाता है भाई दूज?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्यदेव और उनकी पत्नी छाया की दो संतानें थीं, यमराज और यमुना. दोनों में बहुत प्रेम था. यमुना हमेशा चाहती थीं कि यमराज उनके घर भोजन करने आया करें, लेकिन यमराज उनकी विनती को टाल देते थे. एक बार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि पर दोपहर में यमराज उनके घर पहुंचे. यमुना अपने घर के दरवाजे पर भाई को देखकर बहुत खुश हुईं. इसके बाद यमुना ने मन से भाई यमराज को भोजन करवाया. बहन का स्नेह देखकर यमदेव ने उनसे वरदान मांगने को कहा.
इसपर उन्होंने यमराज से वचन मांगा कि वो हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर भोजन करने आएं. इसके साथ ही मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई का आदर-सत्कार के साथ टीका करे, उनमें यमराज का भय न हो. तब यमराज ने बहन को यह वरदान देते हुआ कहा कि आगे से ऐसा ही होगा. उसके बाद से यही परंपरा चली आ रही है. यही वजह है कि भैयादूज वाले दिन यमराज और यमुना की पूजा की जाती है.
भाई दूज मनाने का शुभ मुहूर्त
कार्तिक मास की द्वितीया तिथि प्रारंभ- 14 नंवबर, दोपहर 2:36 बजे से शुरू
कार्तिक मास की द्वितीया तिथि का समापन: 15 नंवबर, दोपहर 1.47 मिनट पर
यूं तो आप दोनों ही दिन भाई दूज का पर्व मना सकते हैं, लेकिन उदया तिथि के लिहाज से 15 नंवबर को भाई दूज मनाना ज्यादा सही है.
पूजा सामग्री
कुमकुम, पान, सुपारी, फूल, कलावा, मिठाई, सूखा नारियल और अक्षत आदि. तिलक करते वक्त इन चीजों को पूजा की थाली में रखना ना भूलें.
ऐसे करें पूजा
व्रत रखने वाली बहनें प्रात: स्नान आदि के बाद सूर्य को अर्घ्य देकर अपना व्रत शुरू करें. इसके बाद आटे का चौक तैयार कर लें. शुभ मुहूर्त पर भाई को चौक पर बिठाएं और उसके हाथों की पूजा करें. सबसे पहले भाई की हथेली में सिंदूर और चावल का लेप लगाएं. इसके बाद उसमें पान, सुपारी और फूल इत्यादि रखें. अब हाथ पर कलावा बांधकर जल डालते हुए भाई की लंबी उम्र के लिए मंत्रजाप करें और भाई की आरती उतारें. इसके बाद भाई का मुंह मीठा कराएं और खुद भी करें.
तिलक का महत्व
प्राचीन काल से यह परंपरा चली आ रही है कि भाई दूज के दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि के लिए तिलक लगाती हैं. मान्यता है कि कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि पर जो बहन अपने भाई के माथे पर कुमकुम का तिलक लगाती है, उनके भाई को सभी सुखों की प्राप्ति होती है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भाई दूज के दिन जो भाई अपनी बहन के घर जाकर तिलक करवाता है और भोजन करता है, उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती.
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