Sambhal News: संभल (Sambhal) में करोड़ों की जमीन वापस ली गई है. यह 'अवैध अतिक्रमण' के खिलाफ बड़ी कार्रवाई का हिस्सा है. प्रशासन ने 1978 के दंगों के दौरान कब्जाई हिन्दुओं की जमीन को खाली कराकर उन्हें वापस सौंप दिया है. तीन परिवार दंगों के बाद यहां से पलायन कर गए थे.
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Sambhal News: संभल जिला प्रशासन ने 1978 के दंगों के दौरान पलायन करने वाले तीन हिंदू परिवारों को उनकी भूमि का कब्जा वापस दिला दिया है. 1978 के दंगे के बाद कर पलायन कर गए थे. अधिकारियों ने जानकारी देते हुए बताया कि इस भूमि पर दूसरे समुदाय के लोगों ने कथित तौर पर अतिक्रमण कर लिया था और असली मालिकों ने प्रशासन से शिकायत कर मामले में कार्रवाई की मांग की थी. जमीन पर दूसरे समुदाय के लोगों पर अवैध कब्जा कर लिया था. 47 साल बाद जमीन वापस पाकर परिवार के लोगों ने प्रशासन का आभार जताया है.
कब्जाई जमीन पर बना स्कूल
बता दें कि संभल सदर इलाके के मोहल्ला जगत में जन्नत निशा नाम से स्कूल संचालित है. आरोप है कि स्कूल समिति ने जिस जमीन पर स्कूल बनाया है, वह अवैध रूप से कब्जाई गई है. इस भूमि पर साल 1978 तक हिंदू समुदाय के लोगों का कब्जा था. लेकिन 1978 में दंगे हुए तो यहां के माली समाज के तीन परिवार यहां से पलायन कर गए थे. इस परिवार के एक सदस्य को दंगे में मार दिया गया था. जिसके बाद पूरा परिवार घर और जमीन छोड़कर चला गया था. प्रशासन ने 1978 के दंगे में मारे गए मृतक तुलसीराम की 3 करोड़ की जमीन को आजाद जन्नत निशा इंटर कॉलेज की समिति के अवैध कब्जे से मुक्त कराया है. संभल सदर कोतवाली इलाके के रोडवेज बस स्टेंड के समीप का मामला.
प्रशासन को शिकायती पत्र
पिछले दिनों रामभरोसे के परिवार के लोगों ने प्रशासन को शिकायती पत्र देकर बताया था कि उनकी जमीन पर दूसरे समुदाय के लोगों ने अवैध कब्जा कर लिया है. इसके बाद मंगलवार को SDM डॉ. वंदना मिश्रा राजस्वकर्मियों के साथ तो ASP श्रीश चंद्र भी पुलिस फोर्स के साथ मौके पर पहुंचे. SDM ने स्कूल संचालक से बैनामे के कागजात दिखाने को कहा, लेकिन वह नहीं दिखा सका. इसके बाद SDM ने मौके पर जमीन की पैमाइश कराई. इसके बाद शिकायतकर्ता को बुलाकर उसकी जमीन वापस दिला दी.
अमरीश कुमार ने कहा-दादा की हुई थी हत्या
भूमि के दावेदारों में से एक अमरीश कुमार ने कहा, 'हम 1978 के दंगों तक संभल में रहते थे. दंगों के दौरान मेरे दादा तुलसी राम की हत्या कर दी गई थी. अपनी जान के डर से हमने मोहल्ला जगत में अपनी संपत्ति छोड़ दी. जिस पर कुछ लोगों ने कब्जा कर लिया. एक दो बार यहां आए तो उन लोगों ने भगा दिया था. अब वह चंदौसी में रहते हैं. 1978 में दंगे हो रहे थे तो हम यहां छोड़ कर चले गए थे. तीन परिवार पहले यहां रहते थे. रोडवेज के पीछे हमारी सवा दो बीघा जमीन थी, जिस पर मुसलमानों ने कब्जा कर लिया था. कई बार हम आए तो भगा दिया था. हमने हाल में जिला प्रशासन को अपने स्वामित्व को साबित करने वाले दस्तावेजों के साथ एक शिकायत प्रस्तुत की.
पलायन को किया गया था मजबूर-आशा देवी
इसी तरह आशा देवी ने कहा, 'हम अब चंदौसी में रहते हैं. 1978 के दंगों के बाद, हमें पलायन के लिए मजबूर किया गया था. यहां तीन परिवार रहते थे. सड़क के पीछे स्थित हमारी 2.25 बीघा जमीन पर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने कब्जा कर लिया और वहां स्कूल बना लिया. इसे वापस पाने के कई प्रयासों के बावजूद हमें भगा दिया गया. शिकायत दर्ज कराने के बाद आज पता चला कि जमीन की पैमाइश हो रही है, इसलिए हम यहां आए हैं. उप जिलाधिकारी (एसडीएम) वंदना मिश्रा ने मीडिया से कहा, 'स्कूल समिति द्वारा जमीन पर अतिक्रमण करने के बारे में शिकायत मिली थी. शिकायत के बाद राजस्व विभाग ने सर्वे किया. इसमें पुष्टि हुई कि जमीन का एक हिस्सा अब भी शिकायतकर्ताओं का है.
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