Mathura News: मथुरा में प्रस्तावित नवीन ग्रीनफील्ड डेयरी प्लांट की स्थापना का रास्ता साफ हो गया है. इस प्लांट की स्थापना से मथुरा और आसपास के दूध उत्पादक किसानों को अच्छी कीमत मिलेगी. साथ ही लोगों को शुद्ध दूध और दूध से बने उत्पाद मिलेंगे. पढ़िए पूरी डिटेल
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Mathura News: मथुरा में नवीन ग्रीनफील्ड डेयरी प्लांट की स्थापना होने वाली है. इस प्लांट की स्थापना का काम जल्द शुरू होने वाला है. बुधवार को सीएम योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक हुई. यहां एक लाख लीटर प्रतिदिन की क्षमता का प्लांट स्थापित किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली है. 2017 में इस डेयरी प्लांट का शिलान्यास पीएम नरेन्द्र मोदी ने किया था. इस प्लांट को मथुरा में स्थापित करने का मूल उद्देश्य मथुरा और आसपास के दूध उत्पादक किसानों को अच्छी कीमत मिलेगी. इसके साथ ही आम जनता को शुद्ध दूध और दूध से बने उत्पाद मिलेंगे.
मथुरा का धार्मिक महत्व
इस प्लांट की अहमियत मथुरा के धार्मिक महत्व को देखते हुए बढ़ जाती है. इस परियोजना की शुरुआत पहले 30 हजार लीटर हर दिन की क्षमता से किए जाने और बाद में इसे विस्तारित करते हुए एक लाख लीटर प्रतिदिन की क्षमता तक ले जाने का प्रस्ताव था. बताया जाता है कि कैबिनेट मीटिंग में तय किया गया कि प्लांट की स्थापना पूरी क्षमता यानी एक लाख लीटर प्रतिदिन की क्षमता से ही की जाएगी. इस मामले में अन्य फैसले लेने के लिए सीएम को अधिकृत किया गया.
62 सालों में होंगे कई उतार-चढ़ाव
रिपोर्ट्स के मुताबिक, 62 सालों में कई उतार-चढ़ाव के बाद निराला नगर स्थित पराग डेयरी प्लांट फिर पल्लवित होगा. पराग के चार लाख लीटर क्षमता के आधुनिक प्लांट को अब नेशनल डेयरी डेवलेपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) चलाएगा. शासन से भी प्रस्ताव पास हो चुका है.
4 जनवरी को सांसद रमेश अवस्थी ने पराग के जीएम के साथ प्लांट का निरीक्षण किया और एक हफ्ते बाद पराग का एनडीडीबी के बीच एमओयू होने की संभावना है. प्लांट चलने के बाद लोगों को रोजगार के साथ ही पराग की फिर पहचान मिलेगी.
कब बनकर हुआ था तैयार?
12 अप्रैल 2016 को निराला नगर स्थित पराग डेयरी परिसर में आधुनिक प्लांट का शिलान्यास हुआ था. 2020 में करीब 166 करोड़ की लागत से दो लाख लीटर दूध और दो लाख लीटर पाउडर बनाने की क्षमता का प्लांट बनकर तैयार हो गया था, लेकिन कर्मचारियों से लेकर कई विभागों की करीब 26 करोड़ रुपये से ज्यादा देनदारी होने से पराग उबर नहीं पा रहा था. इसी वजह से आधुनिक प्लांट भी चालू नहीं हो पा रहा था.