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Mahakumbh 2025: साध्वी सत्यप्रिया से सतुआ बाबा तक... महाकुंभ में महामंडलेश्वर बनीं ये हस्तियां, उठा विवादों का बवंडर

इन दिनों प्रयागराज में महाकुंभ की रौनक देखने को मिल रही है. जिसमें दुनियाभर से करोड़ों श्रद्धालुओं के साथ ही संत और साधु पहुंचे हैं. इस महाकुंभ में कई अखाड़ों के महामंडलेश्वर बनाए गए हैं. जानिए कौन-कौन महामंडलेश्वर बना है?

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Mahakumbh 2025: प्रयागराज में इन दिनों महाकुंभ की रौनक है. यहां संगम में डुबकी लगाने के लिए करोड़ों लोगों के साथ साधु-संत भी आए हैं. अब महाकुंभ में तीनों अमृत स्नान पूरे होने के बाद अखाड़ों की विदाई का समय आ गया है. 

प्रयागराज से होंगे विदा

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प्रयागराज से होंगे विदा

बुधवार की रात श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी में साध्वी सत्यप्रिया गिरी को महामंडलेश्वर बनाया गया. इस महाकुंभ में निरंजनी अखाड़े में कुल 16 महामंडलेश्वर और 1 जगद्गुरु बनाए गए. 7 फरवरी को अखाड़े और उससे जुड़े साधु-संत प्रयागराज से विदा हो जाएंगे.

साध्वी सत्यप्रिया

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साध्वी सत्यप्रिया

साध्वी सत्यप्रिया भोपाल की रहने वाली हैं. वह श्रीमद्भागवत कथा की वक्ता हैं. साध्वी सत्यप्रिया किशोरी जी का जन्म 2004 में बसंत पंचमी को हुआ था. बचपन से ही धर्म में रुचि रखते हुए 5 साल की उम्र में उन्होंने खुद को ईश्वर को समर्पित कर साध्वी बनने की इच्छा जताई. 8 साल की उम्र में पहली श्रीमद्भागवत कथा सुनाई. अब तक 100 से ज्यादा कथा और यज्ञ कर चुकी हैं.

ममता कुलकर्णी

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ममता कुलकर्णी

आज ममता कुलकर्णी किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं. 90 के दशक की एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी महाकुंभ में किन्नर अखाड़ा ने महामंडलेश्वर बनाया, लेकिन विवाद के बाद पद वापस लिया गया. महाकुंभ की शुरुआत से ममता कुलकर्णी खूब चर्चाओं में हैं.

लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी

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लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी

लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी किन्नर अखाड़े की पहली महामंडलेश्वर बनीं. हालांकि, उन्हें निष्कासित कर दिया गया. फिल्मी एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाए जाने के बाद विवाद बढ़ा हुआ था. उनका जन्म 13 दिसंबर 1980 को महाराष्ट्र के ठाणे में हुआ था. उन्होंने मुंबई के मीठीबाई कॉलेज से ग्रेजुएशन और भरतनाट्यम में पीजी किया.

हिमांगी सखी

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हिमांगी सखी

हिमांगी सखी विश्व की पहली किन्नर भागवताचार्य महामंडलेश्वर बनीं. हिमांगी सखी को महामंडलेश्वर की उपाधि पशुपतिनाथ पीठ अखाड़े से मिली है. यह अखाड़ा नेपाल में है. 2019 में प्रयागराज में हुए कुंभ में नेपाल के गोदावरी धाम स्थित आदिशंकर कैलाश पीठ के आचार्य महामंडलेश्वर गौरीशंकर महाराज ने उन्हें पशुपतिनाथ पीठ की महामंडलेश्वर की उपाधि दी.

सतुआ बाबा

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सतुआ बाबा

संतोष दास उर्फ सतुआ बाबा ने 11 साल की उम्र में घर छोड़कर आध्यात्म में जुट गए थे.उनके गले में माला और शरीर पर पर पीला कपड़ा और जनेऊ पहचान के तौर पर दिखता है. सतुआ बाबा वाराणसी के मणिकर्णिका घाट स्थित सतुआबाबा आश्रम में रहते हैं. वाराणसी की रामकथा के दौरान उन्होंने युवा संन्यासी के तौर पर आध्यात्म की दुनिया में कदम रखा. उन्हें काशी विश्वनाथ का प्रतिनिधि भी माना जाता है.

व्यासानंद गिरि

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व्यासानंद गिरि

अमेरिका के व्यासानंद गिरि श्रीनिरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर बनाए गए हैं. महाकुंभ के एक भव्य समारोह में उनका पट्टाभिषेक किया गया. 15 साल की उम्र से ही व्यासानंद गिरि ने आदि शंकराचार्य के सिद्धांतों का पालन शुरू किया था. फिर उन्होंने महर्षि महेश योगी के सानिध्य में आने के बाद घर-परिवार से छोड़ दी और संन्यास ले लिया.