Mahakumbh 2025: प्रयागराज महाकुंभ की अनोखी तस्वीर, कल्पवास करने पहुंचे 128 साल के बाबा शिवानंद, बंगाल से लेकर बनारस तक कनेक्शन
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Mahakumbh 2025: प्रयागराज महाकुंभ की अनोखी तस्वीर, कल्पवास करने पहुंचे 128 साल के बाबा शिवानंद, बंगाल से लेकर बनारस तक कनेक्शन

Mahakumbh 2025: काशी के पद्मश्री बाबा शिवानंद ने कल्पवास के लिए प्रयागराज में डेरा डाल दिया है. बाबा नई पीढ़ी को आशीष देने वाले हैं. मां गंगा यमुना और अदृश्य सरस्वती से आशीर्वाद ले पाएंगे. योग से निरोग की ओर बढ़ने का संदेश भी देंगे. पढ़िए

Mahakumbh 2025

Mahakumbh 2025: संगमनगरी में भव्य और दिव्य महाकुंभ का आगाज हो चुका है. प्रयागराज में कल्पवासी जुट चुके हैं. संकल्प के साथ महीने भर का जप तप शुरू हो गया है. ऐसे में कल्पवास के लिए 128 वर्षीय काशी के पद्मश्री बाबा शिवानंद भी आए हुए हैं. वैसे तो वह यहां नई पीढ़ी को आशीष देंगे, लेकिन खुद भी मां गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती से आशीर्वाद लेंगे. इसके साथ ही बाबा शिवानंद यहां से योग से निरोग की ओर बढ़ने का संदेश भी देंगे. जानकारी के मुताबिक, उनकी दिनचर्या का नियमित हिस्सा योग है.

कौन हैं बाबा शिवानंद?
जानकारी के मुताबिक, 8 अगस्त 1896 को बाबा शिवानंद का जन्म अविभाजित बंगाल के श्रीहट्ट के ग्राम हरिपुर (थाना-बाहुबल) में हुआ. उनका जन्म गोस्वामी ब्राह्मण परिवार में हुआ. मौजूदा वक्त में यह जगह बांग्लादेश में है. रिपोर्ट्स की मानें तो बाबा शिवानंद 6 साल की उम्र से संयमित दिनचर्या का पालन कर रहे हैं. वह ब्रह्ममुहूर्त में जग जाते हैं. फिर स्नान-ध्यान करने के बाद योग करते हैं. उसके बाद एक घंटे तक उसी कमरे में चहलकदमी करते हैं.

कैसा रहा उनका बचपन?
बाबा शिवानंद सुबह पिसे हुए चिउड़ा के पाउडर नाश्ता करते हैं. वह भरपेट भोजन नहीं करते. इसके पीछे की खास वजह है. कहा जाता है कि उनके पिता श्रीनाथ गोस्वामी और मां भगवती देवी ने चार साल की उम्र में बेहतर भविष्य के लिए उन्हें नवद्वीप निवासी बाबा ओंकारनंद गोस्वामी को समर्पित कर दिया था. फिर उन्होंने काशी में गुरु के सानिध्य में अध्यात्म की दीक्षा लेनी शुरू की.

माता-पिता और बहन का निधन
रिपोर्ट्स की मानें तो जब बाबा शिवानंद 6 साल के हुए तो माता-पिता और बहन का भूख से निधन हो गया. बचपन में कभी भरपेट भोजन नसीब नहीं हुआ था, इसलिए उन्होंने जीवनभर आधा पेट भोजन का संकल्प लिया. दोपहर में बगैर तेल-मसाले की सब्जी के साथ चावल-रोटी और शाम को सिर्फ एक रोटी खाते हैं. शिविर में प्रवेश द्वार के ठीक बगल वाले कमरे से वह बिना किसी सहारे निकलते हैं. बिना चश्मा स्पष्ट रूप से देख लेते हैं. हर मौसम में वह धोती-कुर्ता ही पहनते हैं.  

बाबा को पद्मश्री से सम्मान
रिपोर्ट्स के मुताबिक, बाबा शिवानंद का ठिकाना वाराणसी के कबीरनगर (दुर्गाकुंड) में तीसरे तल पर हैं. रोज सीढ़ियों से तीन से चार बार चढ़ते-उतरते हैं. योग करते हुए 122 साल बीत चुके हैं. उनके शिविर में स्विट्जरलैंड, बांग्लादेश, गुवाहटी, असम, त्रिपुरा, पुरी और बेंगलुरु के अनुयायी ठहरे हैं. 21 मार्च 2022 को तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने बाबा शिवानंद को पद्मश्री से अलंकृत किया. राष्ट्रपति भवन में उन्होंने सम्मान लेने तक तीन बार नंदीवत योग मुद्रा में प्रणाम किया. पहले पीएम के सामने दोनों पैर मोड़कर हाथों को आगे कर प्रणाम किया तो पीएम ने भी झुककर अभिवादन किया. वहीं, राष्ट्रपति के सामने बाबा शिवानंद ने इसी मुद्रा में प्रणाम किया. फिर वह झुके तो राष्ट्रपति ने आगे बढ़कर सहारा दिया.

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