Maha kumbh 2025 GK Quiz: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 से महाकुंभ शुरू हो गया है. महाकुंभ मेले का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. इस मौके पर हम आपके लिए लेकर आए हैं, महाकुंभ पर आधारित ये खास क्विज. क्या आप जानते हैं अखाड़ा शब्द कैसे बना..पढ़िए...
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Maha kumbh 2025 GK Quiz: साल 2025 में महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में किया जा रहा है. कुंभ मेले को सबसे बड़े धार्मिक मेले के रूप में विश्व भर में जाना जाता है. इस मेले में न केवल भारत के बल्कि दुनिया भर के हिंदू श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं, साथ ही अन्य धर्मों के अनुयायी भी इस मेले की रौनक को देखने आते हैं. 2025 में 13 जनवरी से महाकुंभ मेले की शुरूआत हो गई है और 26 फरवरी को अंतिम शाही स्नान किया जाएगा। आपको बता दें कि, शाही स्नान सबसे पहले नागा साधुओं के अखाड़ों के द्वारा ही किया जाता है. फिर उसके बाद अन्य भक्त डुबकी लगाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि, आखिर अखाड़ा है क्या और इन्हें बनाने के पीछे की वजह क्या थी? अगर आपका जवाब नहीं है तो आप सही पेज पर आए हैं. इस मौके पर हम आपके लिए लेकर आए हैं, महाकुंभ पर आधारित ये खास क्विज यानी आपकी जनरल नॉलेज के बारे में जानते हैं. देखते हैं कि आप कुंभ को कितना जानते हैं.
सवाल:अखाड़ा शब्द कहां से आया?
जवाब: अखाड़ा शब्द सुनकर दिमाग में कुश्ती का अखाड़ा आता है, लेकिन महाकुंभ में अखाड़े का अर्थ इससे बिल्कुल विपरीत होता है. महाकुंभ में अखाड़े का तात्पर्य साधु संतों के समुह से होता है. महाकुंभ में अलग-अलग अखाड़ों के साधु पवित्र नदी में स्नान करने के लिए पहुंचते हैं. ये अखाड़े धार्मिकता और साधना का प्रतीक माने जाते हैं.
सवाल:क्या है अखाड़ा?
जवाब: साधु संतों के बेड़े या समूह को अखाड़ा कहा जाता है. हालांकि यह शब्द मुगलकाल के दौरान ही चलन में आया था. इससे पहले साधुओं के समूह को बेड़ा या फिर जत्था कह कर ही पुकारा जाता था.
सवाल:क्या होती है भूमिका ?
जवाब: महाकुंभ में देशभर से साधू संत आते हैं जिनके बीच अखाड़े का विशेष महत्व होता है. ऐसे में अखाड़ा (Akhada) क्या होता है और इसकी क्या भूमिका होती है, जानें यहां.
सवाल:कहां से निकला अखाड़ा शब्द?
जवाब:कुछ जानकार मानते हैं कि, अखाड़ा शब्द अक्खड़ शब्द से निकला है वहीं कुछ विद्वानों का मानना है कि, आश्रम शब्द से ही अखाड़ा शब्द बना.
सवाल:सबसे पहला कौन सा अखाड़ा बना
जवाब: धार्मिक मान्यताओं पर नजर डालें तो, अखाड़ा साधुओं का वह दल है जो अपने ज्ञान, पराक्रम, शस्त्र विद्या के जरिये समय-समय पर देश और धर्म की सुरक्षा करता है. बता दें की भारत में कुल 13 अखाड़े हैं. इनमें से सबसे पुराना अखाड़ा आवाहन अखाड़े को माना जाता हैं. इस आखाड़े के बाद अन्य अखाड़े भी अस्तित्व में आए.
सवाल:पहले कैसे रहते थे साधु संत?
जवाब: भारत में हजारों साल पहले से साधु-संत, ऋषि-मुनि रहते रहे हैं. हालांकि, पहले इनके समूह छोटे होते थे. वहीं ज्यादातर साधु-संन्यासी अकेले ही विचरण करना पसंद करते थे.
सवाल:क्यों की थी शंकराचार्य ने अखाड़ों की स्थापना?
जवाब: माना जाता है कि, 8 वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य के द्वारा अखाड़ा परंपरा की शुरुआत हुई थी. आदि शंकराचार्य ने धर्म और राष्ट्र की रक्षा के लिए शस्त्र और शास्त्र में निपुण साधुओं के एक संगठन का निर्माण किया था. शंकराचार्य द्वारा यह कार्य इसलिए किया गया ताकि, साधुओं की शक्ति और पुरुषार्थ से राष्ट्र को बाहरी आक्रमणों से सुरक्षित किया जा सके. कालांतर में इन्हीं साधुओं के समूह को अखाड़ा नाम से जाना गया.
सवाल:कैसी होती है अखाड़ों की दुनिया?
जवाब: अखाड़े में साधुओं को शस्त्र और शास्त्र दोनों की शिक्षा दी जाती थी. अखाड़े में भोजन, आवास, और प्रशिक्षण की सुविधाएं होती हैं. साधुओं का जीवन भौतिक इच्छाओं से मुक्त होता है.
अखाड़े में साधु शस्त्र विद्या में भी पारंगत रहते हैं. अखाड़े में साधुओं के अपने-अपने नियम और विधि-विधान होते हैं.
सवाल:भारत में कितने अखाड़े?
जवाब: देशभर में 13 अखाडे़ बताए जाते हैं. ये अखाड़े उदासीन, शैव और वैष्णव पंथ के संन्यासियों के हैं. 7 अखाड़े शैव संप्रदाय के संन्यासियों के, 3 अखाड़े बैरागी वैष्णव संप्रदाय के और अन्य 3 अखाड़े उदासीन संप्रदाय के हैं.
डिस्क्लेमर
लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि स्वयं करें. एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.
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