यूपी की सबसे अमीर मस्जिद 500 किलो सोने से लदी, 300 साल पुरानी मस्जिद, 1857 की गदर के 73 शहीदों की कब्रें
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यूपी की सबसे अमीर मस्जिद 500 किलो सोने से लदी, 300 साल पुरानी मस्जिद, 1857 की गदर के 73 शहीदों की कब्रें

Gold in Masjid: यूपी की इस मस्जिद में सोने का जखीरा है. मस्जिद की गुंबदों व मीनारों पर इतना सोना जड़ा है जितना एशिया की किसी दूसरी मस्जिद में नहीं.  यह मस्जिद शानदार नक्काशी व वास्तुकला का अनूठा नमूना भी है जो आगरा के ताजमहल की याद दिला देती है.

Gold in Aligarh Masjid

Gold in Aligarh Masjid: क्या आप किसी ऐसी मस्जिद के बार में जानते हैं जहां पर करीब 500 से 600 किलो सोना लगा हुआ है, और वो भी एकदम खालिस सोना. हम बात कर रहे हैं अलीगढ़ की जामा मस्जिद के बारे में. ये यूपी के तालानगरी के नाम से मशहूर अलीगढ़ जिले में. यह जामा मस्जिद ऊपरकोट में स्थित है. ऊपर कोट में बनी इस मस्जिद में इतना सोना लगा है कि ये भारत ही नहीं एशिया में सबसे ज्यादा सोना होने के कारण मशहूर है.

बनी हैं 17 गुंबद
जामा मस्जिद के 17 गुंबदों को ठोस सोने से बनाया गया है. इस मस्जिद में लगभग 5 से 6 क्विंटल सोना लगा हुआ है. जामा मस्जिद कमेटी सदस्य की मानें तो इस मस्जिद में करीब 500 किलो से ज्यादा शुद्ध सोने का इस्तेमाल किया गया है.

5 हजार से ज्‍यादा लोग एक साथ पढ़ते हैं नमाज
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस मस्जिद में करीब 5000 लोग एक साथ नमाज पढ़ सकते हैं. करीब 300 साल पहले जामा मस्जिद का निर्माण कोल के गवर्नर साबित खान जंगे बहादुर के शासनकाल में साल 1724 में कराया गया था. इसके निर्माण में 4 साल लगे थे. तब जाकर यह साल 1728 में बनकर तैयार हुई थी.  

मुगलकालीन वास्तुकाल
जामा मस्जिद को अवधी और मुगलकालीन वास्तुकाल में बनाया गया. अलीगढ़ की ये मस्जिद अवधी और मुगलकालीन वास्तुकला का अनूठा संगम है. मस्जिद के गेट और चारों कोनों पर भी छोटी-छोटी मीनारें हैं.

कहते हैं शहीदों की बस्ती
जामा मस्जिद और ताजमहल की कारीगरी में बहुत सी समानताएं देखने को मिलती है. इस मस्जिद में 17 गुंबद हैं. अलीगढ़ की यह जामा मस्जिद देश की पहली मस्जिद है. जहां पर 1857 की क्रांति के 73 शहीदों की कब्रें हैं. इसलिए इसे गंज-ए-शहीदान यानी शहीदों की बस्ती कहते हैं. यह अलीगढ़ की एक ऐसी इकलौती मस्जिद है जब पूरा अलीगढ़ डूब जाएगा तब कहीं जाकर इस मस्जिद की सीढ़ियों तक पानी पहुंचेगा.

डिस्क्लेमर- यहां पर दी गई जानकारी अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट्स से ली गई है. इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि स्वयं करें. एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

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