Russia-Ukraine War 3rd anniversary: रूस-यूक्रेन युद्ध की आज तीसरी बरसी है. सोमवार को रूस के साथ चौतरफा युद्ध करते हुए यूक्रेन जंग के चौथे साल में दाखिल हो गया. हालांकि ये पहला मौका है जब यूक्रेन लंबे समय से हथियारों की सप्लाई और फंडिंग कर रहे अमेरिका पर पूरी तरह भरोसा नहीं कर पा रहा है.
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Ukraine entered fourth year of war with: आज रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू हुए चौथा साल लग गया. लड़ाई कब और किन शर्तों पर खत्म होगी कोई नहीं जानता. अमेरिका में ट्रंप राज ये यूक्रेन के हाथ-पांव फूले हैं. यूक्रेन की पहले से कराह रही अर्थव्यवस्था एकदम ध्वस्त होने के कगार पर पहुंच गई है. लंबे समय से चल रहे युद्ध में फंसे होने के चलते यूक्रेन पहले से मंदी के चपेट में है. यूक्रेन के थके-हारे सैनिक रूस का मुकाबला करने के लिए जी जान से जुटे हैं. दूसरी ओर रूसी खेमे की बात करें तो एक बार उनके मुंह से निकली ये बात- 'युद्ध मॉस्को के लिए भी अच्छा नहीं रहा'. इससे संकेत मिलते हैं कि रूस की अर्थव्यवस्था भी मुद्रास्फीति के जाल में फंसी है.
इस्तीफे से रुकेगी जंग?
यूक्रेनी राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की कह चुके हैं कि सही डील हो तो वो पद छोड़ने को तैयार हैं. हालांकि इस बयान की आड़ में भी उन्होंने अमेरिका और यूरोप के देशों पर तंज कस दिया. जेलेंस्की ने पश्चिमी देशों के नेताओं की चुटकी लेते हुए कहा, 'नाटो में यूक्रेन की एंट्री हो जाए, तो मैं यूक्रेन के राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दूंगा'. उन्होंने इशारों-इशारों में पुतिन से लेकर ट्रंप तक सबको समझा दिया कि वो 3 साल में फायर से वाइल्ड फायर बन चुके हैं. यानी चाहे कुछ भी हो जाए वो झुकेंगे नहीं.
जेलेंस्की को लगी मिर्ची?
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जेलेंस्की से जब पूछा गया कि क्या वो अपना पद छोड़ने के लिए तैयार हैं? तो कुल पलों के लिए वह उखड़े और असहज नजर आए. फिर खुद को संभालते हुए जेलेंस्की ने कहा, 'अगर आपके लिए (इसका मतलब) यूक्रेन के लिए शांति है, आप वास्तव में चाहते हैं कि मैं अपना पद छोड़ दूं, तो हां मैं तैयार हूं. लेकिन मेरी एक शर्त है कि नाटो में एंट्री और मेरा इस्तीफा... डील डन?
अमेरिका का रुख बदल 180 डिग्री बदला
20 जनवरी को दूसरी बार पदभार संभालने के बाद से, ट्रंप ने जेलेंस्की को तानाशाह करार देते हुए यूक्रेन में चुनाव कराने पर जोर दिया है. अमेरिका यूक्रेन के खिलाफ है. अमेरिकी मीडिया भी इस मामले में बंटा हुआ है. कोई जेलेंस्की को तानाशाह बता रहा है तो कोई ऐसा कमेडियन जिसने अपने देश को जंग की आग में झोंक दिया. ट्रंप की बात करें तो वह यूक्रेन पर रूस के हमले का जिम्मेदार भी जेंलेस्की को मानते दिख रहे हैं.
ट्रंप, जेलेंस्की की तबीयत से मिट्टी पलीद उस वक्त कर रहे हैं, जब हाल ही में दोनों नेताओं के बीच संबंध तेजी से बिगड़े हैं. ट्रंप, यूक्रेन में फौरन चुनाव चाहते हैं, लेकिन जेलेंस्की युद्ध के बीच चुनाव कराने के मूड में नहीं है, इस बात का समर्थन जेलेंस्की के विरोधी भी कर रहे हैं.
फैसला मानने से इनकार करने की बात कह चुके जेलेंस्की
यूक्रेनी राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि वह ट्रंप को यूक्रेन के साझेदार के रूप में और कीव और मॉस्को के बीच मध्यस्थ के रूप में देखना चाहते हैं. कीव की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जेलेंस्की ने कहा, 'मैं वास्तव में चाहता हूं कि डील इमानदारी से और बराबरी की होनी चाहिए. अगर डील में यूक्रेन के लोगों को शामिल नहीं किया गया और यूक्रेनी लोगों की बात न मानकर अमेरिका या किसी अन्य ने हमसे बिना शर्त युद्ध रोकने यानी पीछे हटने का दबाव डाला तो फैसला हमें मंजूर नहीं होगा.'
ट्रंप की चाल
ट्रंप रूस के खिलाफ यूक्रेन के युद्ध का समर्थन करने के लिए भेजे गए अरबों डॉलर की हर हाल में रिकवरी करना चाहते हैं. इस सिलसिले में यूएस, यूक्रेन के साथ एक खनिज संसाधन समझौते पर बातचीत कर रहा है. इस डील को ट्रंप प्रशासन के लोग पूर्व राष्ट्रपति बाइडेन द्वारा यूक्रेन को दी गई युद्धकालीन सहायता का मुआवजा बता रहे हैं. वहीं यूक्रेन, अपनी खनिज संपदा अमेरिका को देने के एवज में यूक्रेन की लिखित सुरक्षा गारंटी मांग रहे हैं. जेलेंस्की जानते हैं कि रूस के साथ तीन साल से युद्ध में उलझे होने की वजह से यूक्रेन की इकॉनमी खैरात के डॉलरों और चंदे पर टिकी है.
यूक्रेन सीन में नहीं
यूक्रेन में हालात सामान्य करने के लिए उसे फंडिंग चाहिए होगी, ऐसे में वो भी अपने लिए सुरक्षित माहौल चाहता है. गौरतलब है कि ट्रंप प्रशासन ने रूस से राजनयिक संबंधों को फिर से बहाल करने के लिए खासकर युद्ध की समाप्ति पर चर्चा करने के लिए मास्को के साथ बातचीत शुरू की है. अब तक, कीव को वार्ता से बाहर रखा गया है.
रूस और यूक्रेन दोनों पर युद्ध का आर्थिक तनाव
जियोपॉलिटिकल एक्सपर्ट हों या अर्थव्यवस्था के जानकार सब जंग की शुरुआत से ही कह रहे थे कि यूक्रेन में पुतिन का युद्ध एक वैश्विक आर्थिक आपदा साबित होगा. एक हद तक ये अनुमान प्रभावी रहा है. सीमा के दोनों ओर जारी किए गए महंगाई (Inflation) के आंकड़ों से पता चलता है कि संघर्ष का दोनों पड़ोसियों के नागरिकों पर निरंतर प्रभाव पड़ रहा है. रूस में इसकी मूल्य वृद्धि 9.5 फीसदी और यूक्रेन में 12 फीसदी है.
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के आंकड़ों के मुताबिक, रूस का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) युद्ध की शुरुआत में -1.3 फीसदी तक लुढक गया था, लेकिन बीते दो सालों में यह 3.6 फीसदी के स्तर पर पहुंच गया है. रूस की इकॉनमी पर भी संकट के बादल छाए हैं.
रूसी मंत्री मैक्सिम रेशेतनिकोव ने हाल ही में कहा था- 'नवंबर और दिसंबर के नतीजों के हिसाब से विकास दर धीमी हुई है. उद्योगों पर मंदी छाई है. खासकर फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री, केमिकल इंडस्ट्री, लकड़ी का उत्पादन और मशीन निर्माण के क्षेत्र में ग्रोथ नहीं है. नए ऑर्डर नहीं मिल रहे हैं.
द गार्जियन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 'अमेरिका और यूरोप के कड़े प्रतिबंधों के बावजूद, रूस ने खुद को संभाल रखा है. रूस का वित्त मंत्रालय पाई-पाई का हिसाब लगा रहा है. महंगाई रोकने और आर्थिक विकास के बीच संतुलन बिठाने की कोशिश हो रही है. रूसी कारखानों ने युद्ध मशीन को चालू रखने के लिए जरूरी चीजों और कच्चे माल की सप्लाई का रास्ता साफ रखा है.
पुतिन सरकार, तेल, प्राकृतिक गैस, निकेल और प्लैटिनम की हर तरह की बिक्री से आने वाले फंड को बढ़ाने का रास्ता साफ कर दिया है. कुछ नियम बदले हैं तो कुछ आसान किए हैं. ऐसे 18 महीने पहले अपने घुटनों पर दिख रही रूसी इकॉनमी में थोड़ी मजबूती आई है.
दूसरी ओर यूक्रेन एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में बेहतर स्थिति में है. अमेरिका दिसंबर 2024 तक हुई पैसों की बारिश से उसकी जीडीपी में कुछ सुधार दिखा है. जबकि तीन साल पहले यूक्रेन की अर्थव्यस्था बहुत बदहाल स्थिति में पहुंच गई थी. 2022 में 36 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई थी, जबकि 2023 और 2024 में सुधार देखने को मिला.
यूक्रेन की सबसे बड़ी ताकत - मेटल रिजर्व
यूक्रेन के वित्त मंत्रालय के पूर्वानुमान के मुताबिक, इस साल की जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि धीमी होकर 2.7 फीसदी होने की उम्मीद है. यूक्रेन अपने इलेक्ट्रिकसिटी मार्केट और मेटल रिजर्व यानी धातु भंडार पर मजबूत पकड़ बनाए हुए है. एक अनुमान के मुताबिक यूक्रेन के पास करीब $11 ट्रिलियन यूएस डॉलर से ज्यादा का मेटल रिजर्व है, इसमें कुछ दुर्लभ और बहुमूल्य धातुएं हैं. जिससे उसकी अगले 10 साल की जरूरतें पूरी हो सकती हैं. कुछ परिस्थितियां ऐसी हुईं, कुछ हालात बदल गए... वरना अभी 10 साल तक रूस से 'लोहा' ले लेता यूक्रेन?