Wayanad Landslide: वायनाड में पहाड़ियों के बीच बसे मुंडक्कई और चूरलमाला में जुलाई 2024 में आई भयानक प्राकृतिक आपदा ने लोगों की जिंदगी को तहस-नहस कर दिया. सैकड़ों जानें गईं.. कई लोग बेघर हो गए और बुनियादी सुविधाएं भी बुरी तरह प्रभावित हुईं.
Trending Photos
Wayanad Landslide: वायनाड में पहाड़ियों के बीच बसे मुंडक्कई और चूरलमाला में जुलाई 2024 में आई भयानक प्राकृतिक आपदा ने लोगों की जिंदगी को तहस-नहस कर दिया. सैकड़ों जानें गईं.. कई लोग बेघर हो गए और बुनियादी सुविधाएं भी बुरी तरह प्रभावित हुईं. अब छह महीने बाद भी पीड़ित अपनी जिंदगी को पटरी पर लाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. इस बीच कांग्रेस महासचिव और वायनाड की सांसद प्रियंका गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर राहत पैकेज को अनुदान में बदलने और इसकी क्रियान्वयन अवधि बढ़ाने की अपील की है. उनका कहना है कि यह पैकेज न केवल अपर्याप्त है बल्कि इसमें रखी गई शर्तें भी त्रासदी से जूझ रहे लोगों के लिए अन्यायपूर्ण हैं.
त्रासदी के छह महीने बाद भी मुश्किल में लोग
कांग्रेस महासचिव और वायनाड की सांसद प्रियंका गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर वायनाड भूस्खलन त्रासदी को लेकर घोषित राहत पैकेज को अनुदान में बदलने और इसकी क्रियान्वयन अवधि बढ़ाने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि 529.50 करोड़ रुपये की राहत राशि पर्याप्त नहीं है और इस आपदा को ‘राष्ट्रीय आपदा’ घोषित नहीं किए जाने से स्थानीय लोगों में निराशा है.
जुलाई 2024 की भयावह त्रासदी
30 जुलाई 2024 को वायनाड के मुंडक्कई और चूरलमाला क्षेत्र में आए भूस्खलन में 200 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी. जबकि कई अन्य घायल हुए थे. इस आपदा ने इन दोनों क्षेत्रों को लगभग पूरी तरह तबाह कर दिया था. प्रभावित लोगों के लिए यह छह महीने का समय बेहद कठिन रहा है और वे अभी भी सामान्य जीवन की ओर लौटने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
सांसद के रूप में प्रियंका गांधी का दायित्व
प्रियंका गांधी ने पत्र में लिखा, 'वायनाड की सांसद के रूप में मेरा कर्तव्य है कि मैं अपने क्षेत्र के लोगों की दुर्दशा से आपको अवगत कराऊं. यह वास्तव में हृदयविदारक है कि त्रासदी के छह महीने बाद भी लोग असहनीय कठिनाइयों से जूझ रहे हैं.' उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा घोषित 529.50 करोड़ रुपये के राहत पैकेज को अपर्याप्त बताते हुए इस पर पुनर्विचार करने की मांग की.
राहत पैकेज की शर्तों पर सवाल
प्रियंका गांधी ने इस राहत पैकेज की दो प्रमुख शर्तों पर आपत्ति जताई. पहली यह राशि अनुदान के बजाय ऋण के रूप में दी जा रही है. और दूसरी इसे 31 मार्च 2025 तक खर्च करना अनिवार्य है. उन्होंने कहा कि ये शर्तें त्रासदी पीड़ितों के प्रति संवेदनशीलता की कमी को दर्शाती हैं और प्रभावित लोगों के लिए बेहद अनुचित हैं.
प्रधानमंत्री से उम्मीदें अधूरी रहीं
प्रियंका गांधी ने अपने पत्र में लिखा कि प्रधानमंत्री ने खुद प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया था. जिससे लोगों को केंद्र सरकार से पर्याप्त सहायता मिलने की उम्मीद थी. लेकिन यह अपेक्षाएं पूरी नहीं हो पाईं. इसके अलावा केंद्र सरकार द्वारा इस आपदा को ‘राष्ट्रीय आपदा’ घोषित करने से इनकार करना पीड़ितों के लिए एक और झटका साबित हुआ.
‘गंभीर प्रकृति की आपदा’ घोषित करने का निर्णय
केंद्र सरकार ने केरल के सांसदों के लगातार आग्रह के बाद इस आपदा को ‘गंभीर प्रकृति की आपदा’ घोषित किया. जिसे सही दिशा में एक कदम माना जा सकता है. हालांकि प्रियंका गांधी का मानना है कि इस आपदा की गंभीरता को देखते हुए इसे ‘राष्ट्रीय आपदा’ घोषित किया जाना चाहिए था.
प्रभावित लोगों के लिए अधिक सहायता की मांग
प्रियंका गांधी ने पत्र में लिखा, 'मुझे विश्वास है कि वायनाड के लोग इस भयानक आपदा से उबरने के लिए हरसंभव सहायता और समर्थन के पात्र हैं. मैं आपसे उनकी कठिनाइयों पर दया भाव से विचार करने का अनुरोध करती हूं.' उन्होंने प्रधानमंत्री से राहत पैकेज को अनुदान में बदलने और इसके क्रियान्वयन की समयसीमा बढ़ाने का आग्रह किया.
पीड़ितों की बहाली के लिए ठोस कदम जरूरी
वायनाड में आई इस भीषण आपदा के बाद प्रभावित लोगों को अभी भी अपनी जिंदगी को फिर से पटरी पर लाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. प्रियंका गांधी के अनुसार केंद्र सरकार को संवेदनशीलता दिखाते हुए इस आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करना चाहिए और राहत पैकेज को ऋण के बजाय अनुदान में बदलकर पीड़ितों को राहत पहुंचानी चाहिए.
(एजेंसी इनपुट के साथ)