Khatushyam ji: खाटूश्याम जी के दीदार का भक्तों को करना होगा लंबा इंतजार, 19 घंटे तक नहीं हो पाएंगे दर्शन
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Khatushyam ji: खाटूश्याम जी के दीदार का भक्तों को करना होगा लंबा इंतजार, 19 घंटे तक नहीं हो पाएंगे दर्शन

Khatushyam ji: 3 फरवरी 2025 को खाटू नरेश के दर्शन जुड़ी ये खबर आपको निराश कर सकती है. 19 घंटे तक भक्तजन बाबा श्याम के दर्शन नहीं कर पाएंगे.

Khatushyam ji: खाटूश्याम जी के दीदार का भक्तों को करना होगा लंबा इंतजार, 19 घंटे तक नहीं हो पाएंगे दर्शन

Khatushyam ji: सीकर जिले के सबसे प्रसिद्ध खाटूश्यामजी के दर्शन करने के लिए देशभर से लोग यहां पहुंचते हैं. अब बाबा के दर्शन से जुड़ी ये खबर आपको निराश कर सकती है. शहर से महज 43 किलोमीटर दूर रिंगस में खाटू गांव में बाबा श्याम का मंदिर है. जहां भगवान कृष्ण और बर्बरीक को पूजा जाता है. यहां हर साल लाखों श्रद्धालु माथा टेकने के लिए आते हैं. लेकिन इस 3 फरवरी को खाटू नरेश के दर्शन नहीं मिलने वाले हैं. क्योंकि 19 घंटे तक दर्शन नहीं कराए जाएंगे.

खाटूश्याम जी कस्बे के बाबा श्याम मंदिर के कपाट आज 3 फरवरी 2025 को  रात 9:30 बजे से अगले 19 घंटे तक भक्तों के लिए बंद रहने वाले हैं. कपाट 4 फरवरी की शाम 5 बजे के बाद खोले जाएंगे. जिसके बाद श्रद्धालु बाबा श्याम के दर्शन करेंगे. इस संबंध में खाटूश्यामजी मंदिर की श्री श्याम मंदिर कमेटी के मंत्री मानवेंद्र सिंह चौहान ने सूचना पत्र जारी कर दिया है. जिसके जरिए बताया गया है कि बाबा श्याम की विशेष सेवा पूजा और तिलक श्रृंगार के चलते मंदिर के पट 3 फरवरी रात 9:30 बजे से 4 फरवरी शाम 5:00 बजे तक बंद रहने वाले हैं.

इस दौरान बाबा श्याम की विशेष पूजा और उनका तिलक-श्रृंगार होता है. बता दें कि काली अमावस्या के बाद यह तिलक-श्रृंगार सामप्त कर दिया जाता है. उसके बाद 7 दिनों तक बाबा श्याम अपने असली स्वरूप यानी शालिग्राम रूप में ही भक्तों को दर्शन देते हैं.

बाबा श्याम हर महीने दो रूपों में अपने दर्शन देते हैं. एक कृष्ण पक्ष में श्याम वर्ण (पीले रंग) में और दूसरा शुक्ल पक्ष की शुरुआत में 7 दिनों तक पूर्ण शालिग्राम (काले रंग) के रूप में. एक महीने में वे 23 दिनों तक श्याम वर्ण में लोगों को आशीर्वाद देते हैं. इसके बाद अमावस्या के दिन बाबा का अलग-अलग तरह के द्रव्यों से अभिषेक होता है. जिसके बाद मूर्ति अपने मूल स्वरूप यानी शालिग्राम वर्ण में दिखाई देने लगती है.

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