Banswara News: बांसवाड़ा के महात्मा गांधी अस्पताल में बना नया पर्ची काउंटर उपयोग न होने के कारण धूल और मकड़ी के जालों से घिर गया है. खाली स्थान मूत्रालय में तब्दील हो गया. निर्माण में खामियों के चलते अस्पताल प्रबंधन हैंडओवर लेने से कतरा रहा है. प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
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Rajasthan News: बांसवाड़ा जिले के सबसे बड़े महात्मा गांधी चिकित्सालय में सरकारी उदासीनता की बानगी इन दिनों साफ देखने को मिल रही है. मरीजों और उनके परिजनों की सुविधा के लिए बनाया गया पर्ची काउंटर अब धूल, मकड़ी के जालों और गंदगी का अड्डा बन चुका है. उपयोग न होने के चलते आसपास के लोगों ने इसे मूत्रालय के रूप में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है, जिससे अस्पताल परिसर की स्वच्छता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं.
2018 में मिली थी मंजूरी, अब तक नहीं हुआ हैंडओवर
इस पर्ची काउंटर के निर्माण को लेकर 4 जुलाई 2018 को वित्तीय स्वीकृति जारी की गई थी. जिम्मेदारी चिकित्सा विभाग के एनएचएम विंग को सौंपी गई, लेकिन वर्षों तक काम शुरू नहीं हो सका. आखिरकार, लंबे इंतजार के बाद बीते वर्ष इसका निर्माण कार्य पूरा हुआ, लेकिन अब तक अस्पताल प्रबंधन को हैंडओवर नहीं किया गया.
खामियों के चलते नहीं ले रहा अस्पताल प्रबंधन जिम्मेदारी
अस्पताल प्रशासन का कहना है कि पर्ची काउंटर के निर्माण में कई तकनीकी खामियां हैं, जिसे दूर करने के निर्देश दिए गए थे. लेकिन ठेका फर्म ने इसमें कोई सुधार नहीं किया. सबसे बड़ी समस्या यह है कि इमारत की छत पर चाइना मोजैक नहीं लगाया गया, जिससे बारिश में पानी रिसने का खतरा है. अगर समय रहते इन खामियों को दूर नहीं किया गया तो इमारत जल्द ही जर्जर हो जाएगी.
अस्पताल प्रशासन का दावा – जल्द होगा समाधान
डॉ. डीके गोयल, डिप्टी कंट्रोलर, एमजी अस्पताल ने कहा कि जल्द ही एनएचएम अधिकारियों से निरीक्षण करवा कर इमारत को अस्पताल प्रशासन के हवाले किया जाएगा. हालांकि, निर्माण में देरी और प्रशासनिक लापरवाही ने सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
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