Kidney Donor: आपको जागरूक करने वाली खबर, ...तो अगला निशाना आप भी बन सकते थे
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Kidney Donor: आपको जागरूक करने वाली खबर, ...तो अगला निशाना आप भी बन सकते थे

Kidney Donor Fraud: दिल्ली पुलिस ने ऐसे रैकेट का खुलासा किया है जिसने कि सोशल मीडिया के माध्यम से किडनी/ऑर्गन डोनर्स के नाम से अलग-अलग पेज बनाए गए थे.

Kidney Donor: आपको जागरूक करने वाली खबर, ...तो अगला निशाना आप भी बन सकते थे

Kidney Donor Fraud: साउथ दिल्ली की पुलिस ने राजधानी में किडनी रैकेट का पर्दाफाश किया है. इस मामले में हौजखास थाना पुलिस ने एक डॉक्टर समेत 10 लोगों को गिरफ्तार किया है. इस मामले में खास बात ये है कि ये रैकेट सोशल मीडिया के माध्यम से चलाया जा रहा था. सोशल मीडिया पर किडनी/ऑर्गन डोनर्स के नाम से अलग-अलग पेज बनाए गए थे. 

फेसबुक पेज बनाकर मांगते थे बॉडी ऑर्गन

इन फेसबुक पेज पर जो लोग सम्पर्क करते, उनकी आर्थिक स्थिति का पता लगा उनका ब्रेन वॉश कर रुपये का लालच देकर किडनी डोनेट को तैयार किया जाता था. पुलिस का कहना है कि किडनी ट्रांसप्लांट करने वाला डॉक्टर दिल्ली के एक बड़े अस्पताल से जुड़ा है. जिसके साथ उस अस्पताल के ओटी (आपरेशन थिएटर) के टैक्नीशियन भी मिले हुए थे. 

सोनीपत में देते थे क्राइम को अंजाम

ये सभी लोग सोनीपत के गोहाना में बने एक नर्सिंग होम में ट्रांसप्लांट सर्जरी किया करते थे. डीसीपी साउथ बेनिता मैरी जैकर का कहना है कि दो पैथलब एएस हेल्थ स्क्वायर और दिल्ली इंस्टिट्यूट ऑफ फंक्शनल इमेजिंग का नाम सामने आया है. जहां किडनी ट्रांसप्लांट से पहले टेस्ट के लिए लाया जाता था. हेल्थ स्क्वायर लैब का मार्केटिंग का स्टाफ किडनी डोनर टेस्ट के लिए लाता था.

पकड़े गए आरोपियों के नाम

सर्वजीत जैलवाल, शैलेश पटेल, मोहम्मद लतीफ, विकास, रंजीत गुप्ता, डॉ सोनू रोहिल्ला(झोलाछाप), डॉ सौरभ मित्तल, कुलदीप रे विश्वकर्मा(सरगना), ओम प्रकाश शर्मा और मनोज तिवारी. कुलदीप, ओम प्रकाश और मनोज ये तीनों लैब टेक्नीशियन हैं और कई बड़े अस्पतालों में काम कर चुके हैं.

डीसीपी बेनिता मेरी जैकर के मुताबिक हौजखास थाना पुलिस को सूचना मिली कि हौजखास से किडनी ट्रांसप्लांट से जुड़ा एक रैकेट चलाया जा रहा है. हौजखास की एक पैथलैब में किडनी डोनर्स के टेस्ट करवाते हैं. पुलिस ने सूचना के आधार पर जांच शुरू की. इस बीच पुलिस को इसी रैकेट के झांसे में आया एक युवक मिला, जिसे पैथलैब लाया गया था. उसे ये कहा गया था कि उसके पेट की जांच होनी है लेकिन उसे कुछ शक हुआ और वह वहां पर झगड़ने लगा. पुलिस ने तुरंत ही मामला दर्ज कर जांच शुरू की और हौज खास थाने के 11 लोगों की टीम बनाई जिसे एसएचओ शिवानी, इंस्पेक्टर भरत लाल और इंस्पेक्टर रोहित ने अपने साथियों के साथ इस ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाया. 

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किडनी निकाले जाने से पहले पुलिस ने कराया मुक्त

इस दौरान सर्वजीत नामक शख्स को पकड़ा गया. पुलिस को पता चला कि पश्चिम विहार इलाके में एक फ्लैट में कुछ लोगों को रखा गया है, जिनकी किडनी ली जानी है. पुलिस ने तुरंत ही उस ठिकाने पर छापेमारी की, जहां से शैलेश नामक शख्स के चंगुल से 3 लोगों को सकुशल मुक्त कराया गया. उनके मेडिकल जांच के दस्तावेज भी मिले, जो किडनी ट्रांसप्लांट से जुड़े थे. शैलेश की निशानदेही पर विकास रंजीत और विपिन उर्फ अभिषेक को पकड़ा गया. जांच में पता चला कि ये गैंग सोनीपत के गोहाना में एक नर्सिंग होम में किडनी ट्रांसप्लांट करता था. ये नर्सिंग होम डॉ सोनू रोहिल्ला का है. ट्रांसप्लांट सर्जरी डॉ सौरभ मित्तल अपनी ओटी तकनीशियन की टीम कुलदीप रे विश्वकर्मा, ओम प्रकाश शर्मा और मनोज तिवारी के साथ करता था.

2-3 लाख का झांसा देकर निकाली जाती थी किडनी

पुलिस के अनुसार कुलदीप इस रैकेट का मास्टरमाइंड है. उसने ही सोनू रोहिल्ला के साथ मिलकर साजिश रची और डॉ सौरभ मित्तल को अपने साथ मिलाया. सौरव एक बड़े अस्पताल में काम करता है. सौरव को दिल्ली के उसी अस्पताल से गिरफ्तार किया गया है जहां वो काम करता है. एक किडनी ट्रांसप्लांट के लिए डॉक्टर को 2 से 3 लाख दिए जाते थे. किडनी डोनर को भी दो से तीन लाख रुपये दिए जाते थे. किडनी डोनर को लाने वाले दलाल भी 30से 40 हजार के बीच दिया जाता था. बाकी का कट कुलदीप विश्वकर्मा अपने टीम के साथ बांटता था. किडनी के इस रैकेट को चलाने के लिए सोशल मीडिया का भी इस्तेमाल करते थे. 

फेसबुक पर पेज बनाकर लोगो को फंसाते थे

पुलिस  का दावा है कि यह रैकेट फेसबुक के माध्यम से चलाया जा रहा था. शैलेश पटेल फेसबुक पर किडनी डोनर या फिर ऑर्गन डोनर के नाम से पेज बनाता था. उस पर अलग-अलग जगहों से लोग जुड़ते थे, जिसमें किडनी की जरूरत रखने वाले लोगों के अलावा किडनी दान देने वाले लोग भी शामिल होते थे. शैलेश पटेल इन लोगों में से ऐसे व्यक्तियों की पहचान करता था, जो आर्थिक तौर पर कमजोर होते, फिर उन्हें बहाने से दिल्ली बुलाया जाता. 

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ब्रेन बॉश कर निकाल लेते थे किडनी

यहां उनका ब्रेन वाश कर किडनी बेचने के लिए तैयार किया जाता था. गोहाना स्थित नर्सिंग होम में डॉक्टर सौरव मित्तल अपने टैक्नीशियनों के साथ मिलकर ट्रांसप्लांट की सर्जरी को अंजाम देता था. इस रैकेट के हर सदस्य को जिम्मेदारी बंटी हुई थी. कोई किडनी डोनर की तलाश करता तो कोई इन डोनर के मेडिकल टेस्ट करवाता. किसी के पास किडनी डोनर को ठहराने की जिम्मेदारी थी. कोई किडनी खरीदने वाले व्यक्ति से संपर्क साधना और उसके साथ सौदा तय करता था. इस रैकेट में 20 से 30 साल की उम्र के डोनर होते थे.

पुलिस के अनुसार यह गिरोह किडनी लेने से पहले यह सुनिश्चित कर लेता कि किडनी देने वाले की उम्र 20 से 30 साल के बीच ही होनी चाहिए इस उम्र के लोगों को ही यह गिरोह अपने जाल में फंसाया करता था. 

15 से 16 किडनी ट्रांसप्लांट कर चुका है ये गिरोह 

पुलिस के सामने अभी तक 4 लोग आए हैं, जो किडनी डोनेट करने वाले थे. ये लोग असम, केरल, पश्चिम बंगाल और गुजरात से हैं. बाहर से आए लोगों को दिल्ली में लैब टेस्ट करवाने के बाद उन्हें पश्चिम विहार के एक फ्लैट में रखा जाता था. पश्चिम विहार से गोहाना में सोनू के नर्सिंग होम में ले जाते थे. किडनी ट्रांस्प्लांट के बाद तीन से चार दिन वहां रखने के बाद फिर पश्चिम विहार में देख रेख के लिए रखते थे.  

गुजरात के डोनर ने बताई सच्चाई

जी न्यूज से बात करते हुए गुजरात के एक डोनर ने बताया कि वो काम की तालाश में दिल्ली आया था. घर की माली हालत ठीक नहीं थी. उसका ब्रेनवॉश और पैसों की लालच देकर उसको तीन लाख 20 हजार रुपये दिए गए. फिलहाल पुलिस की जांच जारी है. उम्मीद है कि इस रैकेट के तार काफी बड़े हैं. पुलिस को जांच में कुछ लोगों के नाम भी मिलें हैं जिसकी जांच चल रहीं है. आने वाले दिनों में कुछ और गिरफ्तारी भी संभव है.

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