पिता ने पूरा किया अरमान, निकाली लड़की की बारात, घोड़ी पर बैठे दिखी दुल्हन
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पिता ने पूरा किया अरमान, निकाली लड़की की बारात, घोड़ी पर बैठे दिखी दुल्हन

Unique Wedding: मध्य प्रदेश के खंडवा में एक अनोखी शादी देखने को मिली, जहां लड़के की जगह लड़की अपनी शादी पर घोड़ी चढ़ बारात निकालते दिखी. परिवार का कहना कि इस कार्य में उन्हें हर किसी का सहयोग मिला है.

 

bride's baraat in mp khandwa

khandwa unique wedding: शादियों का सीजन शुरू हो चुका है. हर तरफ शादी की शहनाई गूंजती सुनाई दे रही है. वैसे तो शादियों में बारात लड़के वाले लेकर आते हैं, लेकिन खंडवा में हुई एक शादी काफी चर्चा में है. वजह है पिता की दिल छू लेने वाली कोशिश. बेटी का अरमान पूरा करने के लिए दुल्हे की जगह दुल्हन को घोड़ी चढ़ाई और धूमधाम से बारात निकाली. खंडवा में जब दुल्हे की जगह दुल्हन की बारात निकाली गई, तो लोगों को पिता की कोशिश भा गई. लोग अपने अपने तरीके से प्रतिक्रिया दे रहें हैं. 

बेटी की निकली बारात  
मध्य प्रदेश के खंडवा में हुई इस शादी का नजारा बिल्कुल अलग था. सदियों से चले आ रहे रिवाज से अलग हटकर देखने को मिला. खंडवा से 8 किलोमीटर दूर सुरगांव जोशी गांव के किसान नानाजी चौधरी ने अपनी बेटी भाग्यश्री चौधरी की शादी में अरमानों को पूरा करते दिखाई दिए.  नानाजी चौधरी का सपना था कि जब भी उनकी बेटी की शादी हो वे अपनी बेटी को शान से विदा करेंगे. शुरू से ही उन्होंने अपनी बेटी को बेटे की तरह बड़ा किया था. बेटी की शादी में बेटे की बारात वाला अरमान पूरा करने के लिए उन्होंने ऐसा किया. इस अलग हटकर नजारे को देखने के लिए हर कोई बारात में शामिल होने चला गया. 

पिता के साथ - साथ दुल्हन की भी इच्छा 
दुल्हन ने बताया कि उनकी शादी खंडवा के अजय जिराती के साथ तय हुई है और इस शादी को लेकर वह बहुत खुश भी हैं. उनके पिता ने उन्हें बचपन से बेटे की तरह ही पाला है और पिता का सपना था कि वे जब भी मुझे विदा करेंगे बड़े शान के साथ करेंगे. मेरे पिता के साथ - साथ मेरी भी इच्छा थी कि जैसे लड़केवाले  जिस तरीके से बारात लेकर लड़की के द्वार पर जाते है वैसै ही मैं भी घोड़ी चढ़कर अपनी बारात लेकर जाऊं और इस बदलाव में हमें ग्रामीणों का भी पूरा सहयोग मिला है. दुल्हन ने आगे बताया कि वह करीब एक घंटे घोड़ी पर बैठी और उन्हें बहुत अच्छा लगा.

रिवाज तोड़ पेश किया उदाहरण
दुल्हन के भाई ने बताया कि आज समाज में दुल्हन को घोड़ी नहीं चढ़ाया जाता, सिर्फ दूल्हे को ही घोड़ी चढ़ाने का रिवाज है. दूल्हे घोड़ी चढ़ अपनी बारात लड़की वालों के द्वार पर ले जाते हैं. हमनें अपनी बेटी को बेटा समझकर पाला है और वह हमारे घर की लाडली भी है. पिता और बहन की इच्छा को पूरा करते हुए हमने समाज के इस रिवाज को तोड़ा और एक नया उदाहरण पेश किया है.  इस काम में गांव वालों ने भी अपना भरपूर सहयोग दिया है.

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